नैतिक विकास क्या है?
नैतिक विकास (Moral Development) का मतलब सही और गलत के बोध को समझना, नैतिक निर्णय लेना और व्यवहार में नैतिकता का पालन करना है। यह बच्चों के मूल्यों, तर्क शक्ति और आचरण के विकास को दर्शाता है।
जीन पियाजे का जीवन परिचय
जन्म: 9 अगस्त, 1896 (स्विट्ज़रलैंड)
प्रसिद्धि: पियाजे ने संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development) और नैतिक विकास पर गहन शोध किया।
सिद्धांत: बच्चों की सोचने की प्रक्रिया उनके विकास के अलग-अलग चरणों में बदलती है।
उन्होंने बच्चों के चार संज्ञानात्मक विकास चरण प्रस्तावित किए:
संवेदी मोटर चरण (जन्म-2 वर्ष)
पूर्व-संक्रियात्मक चरण (2-7 वर्ष)
ठोस संक्रियात्मक चरण (7-11 वर्ष)
औपचारिक संक्रियात्मक चरण (11 वर्ष और अधिक)
---
पियाजे का नैतिक विकास सिद्धांत
पियाजे ने नैतिक विकास को दो मुख्य चरणों में विभाजित किया:
1. हेटेरोनॉमस नैतिकता (Heteronomous Morality)
आयु: 5-9 वर्ष
इसे मोरल रियलिज़्म स्टेज भी कहा जाता है।
बच्चे नियमों को अटल और स्थायी मानते हैं।
नियम तोड़ने पर सजा (Punishment) और प्राकृतिक न्याय (Immanent Justice) का डर रहता है।
विशेषता:
नियम बड़ों या अधिकार प्राप्त व्यक्तियों (जैसे माता-पिता, शिक्षक) द्वारा बनाए गए हैं।
नियम नहीं बदले जा सकते।
गलत कार्य के लिए दंड का उद्देश्य अपराधी को पीड़ा देना होता है।
उदाहरण: अनु भूखी है लेकिन रोटी नहीं खाती क्योंकि उसे सजा और भगवान के डर का एहसास है।
2. स्वायत्त नैतिकता (Autonomous Morality)
आयु: 9 वर्ष और अधिक
इसे मोरल रिलेटिविज़्म स्टेज कहा जाता है।
बच्चे समझते हैं कि नैतिकता का आधार इरादे (Intentions) हैं, न कि केवल परिणाम।
नियम लोगों द्वारा बनाए जाते हैं और बदलाव संभव है।
विशेषता:
बच्चे अपनी सोच से निर्णय लेते हैं।
खेलों या समूह गतिविधियों में नियमों को सभी की सहमति से बदला जा सकता है।
उदाहरण: अनु अब रोटी खा लेती है क्योंकि वह समझती है कि यह उसकी ज़रूरत है और इसे चोरी नहीं माना जा सकता।
मुख्य विशेषताएं
1. सामाजिक संपर्क और अनुभव नैतिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
2. नैतिकता केवल नियमों के पालन तक सीमित नहीं है, बल्कि इरादों और संदर्भ को भी महत्व देती है।
3. नैतिकता का विकास संज्ञानात्मक विकास के चरणों से जुड़ा है।
पियाजे सिद्धांत की आलोचना
1. बच्चों की क्षमताओं को कम आंकना: पियाजे ने बच्चों की सोचने की क्षमता को कम महत्व दिया।
2. संस्कृति और सामाजिक संदर्भ की अनदेखी: उन्होंने नैतिकता पर सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव को नहीं समझा।
3. बुद्धिमत्ता और नैतिकता के संबंध को नकारा: नैतिक विकास और बौद्धिक विकास का अलग-अलग अध्ययन किया।
4. पश्चिमी दृष्टिकोण पर आधारित: सिद्धांत में अन्य संस्कृतियों और परंपराओं को जगह नहीं दी गई।
कोहलबर्ग बनाम पियाजे का तुलनात्मक अध्ययन
Piaget and Kholberg |
प्रमुख कीवर्ड्स: जीन पियाजे, नैतिक विकास, पियाजे का सिद्धांत, बच्चों का नैतिक विकास, शिक्षाशास्त्र।
निष्कर्ष
पियाजे का नैतिक विकास सिद्धांत बच्चों के नैतिक और संज्ञानात्मक विकास को समझने का एक प्रभावी माध्यम है। आलोचनाओं के बावजूद, यह सिद्धांत आज भी शैक्षिक मनोविज्ञान में प्रासंगिक है।
👉 इस जानकारी को साझा करें और नैतिकता पर विचार-विमर्श करें।
No comments:
Post a Comment