Dec 27, 2023
Dec 25, 2023
हिन्दी साहित्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी
हिन्दी साहित्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी
1- “ईरानी महाभारत काल से भारत को हिन्द कहने लगे थे” - पण्डित रामनरेश त्रिपाठी
2- विश्व की भाषाओं को विभाजित किया गया है – 12 भागों में
3- हिन्दी किस भाषा परिवार की भाषा है – भारोपीय
4- प्राचीन भारतीय आर्य भाषा है – वैदिक संस्कृत
5- वैदिक ध्वनि के अनुसार – 13स्वर, 39व्यंजन
6- प्रथम प्राकृत भाषा कहा जाता है – पालि
7- त्रिपिटक ग्रंथों की रचना किस भाषा में हुई है – पालि
8- “सद्दनीति व्याकरण” के रचनाकार थे – अग्गवंश
9- “कच्चान व्याकरण किस भाषा में लिखा गया है – पालि
10- प्राकृत भाषा को अर्द्धमागधी, चूलिका, पैचाशी और अपभ्रंश इन तीन भागों में विभाजित किया है – हेमचन्द्र
11- मार्कण्डेय ने मागधी की उत्पत्ति बताई – शौरसेनी प्राकृत
12- जॉर्ज ग्रियर्सन ने बाँगरू नाम दिया – हरियाणवी
13- दक्खिनी भाषा मूलत: थी – 14वीं, 15वीं सदी की खड़ी बोली
14- हिन्दुस्तानी शब्द का प्रयोग हुआ है – तुजुके-बाबरी
15- “ऊर्दू का जन्म दिल्ली और आगरा में नहीं बल्कि दक्खिनी भारत में हुआ – राहुल सांकृत्यायन
16- भाषाओं का सही अनुक्रम है – संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश
17- पूर्व से पश्चिम की ओर भाषाओं का क्रम – मैथली, अवधी, ब्रज, हरियाणवी
18- पश्चिम से पूर्व भाषाओं का क्रम – पंजाबी, कौरवी, अवधी, भोजपुरी
19- उत्तर से दक्षिण की ओर बोलियों का क्रम – बाँगरू, बुन्देली, मालवी, मैथली
20- पश्चिमी हिन्दी की बोलियाँ – खड़ी बोली, हरियाणवी, ब्रजभाषा, बुन्देली, कन्नौजी
21- पूर्वी हिन्दी की बोलियाँ – अवधी, बघेली, छ्त्तीसगढ़ी
22- दोहा मूलत: किस भाषा का शब्द है – अपभ्रंश
23- अर्द्धमागधी अपभ्रंश से विकसित बोली है – बघेली
24- किसी भाषा की मूलभूत इकाई होती है – स्वनिम
25- लिपि किसे कहते हैं – लिखित ध्वनि संकेतों को
26- “स्वनिम मिलती-जुलती ध्वनियों का परिवार है” – डेनियस जोन्स
27- गुजराती भाषा का विकास किस अपभ्रंश से हुआ है – शौरसेनी
28- अपभ्रंश में स्वरों की संख्या कितनी है – दस
29- नागरी लिपि कैसी है – अक्षरात्मक
30- ब्रजभाषा है – पश्चिमी हिन्दी
31- खण्डय ध्वनियाँ हैं – स्वर एंव व्यंजन
32- अमीर खुशरो ने हिन्दी के लिए कौन सा शब्द प्रयुक्त किया है – हिन्दवी
33- बौध्द धर्म से जुड़े साहित्य की भाषा है – पालि
34- अवहट्ठ भाषा से तात्पर्य है – ग्रामीण अपभ्रंश
35- अंगिका किस राज्य की बोली है – बिहार
36- हिन्दी का प्रथम व्याकरण किसने लिखा – जेशुआ केटलर
37- उकार बहुला बोली मानी जाती है – अवधी
38- भोजपुरी बोली की उत्पत्ति हुई – मागधी अपभ्रंश
39- हिन्दी का पाणिनी किसे कहा जाता है – कामता प्रसाद गुरु
40- किसके आधार पर स्वर हस्व या दीर्घ होते हैं – मात्रा के आधार पर
41- ध्वनि को किस के आधार पर उच्च या निम्न किया जा सकता है – सुर
42- लहँदा की जन्मदात्री है – पैशाची
43- स्वर तन्त्रिका की स्थिति के आधार पर स्वर होते हैं – घोष व अघोष
44- जो स्वर दोंनों होठों को स्पर्श करते हैं – द्वयोष्ठ
45- “क” वर्ग के सभी व्यंजन होते हैं – कण्ठय
46- नासिक्य व्यंजन कहा जाता है – वर्ग के पंचमाक्षरों को
47- भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है – वर्ण
48- प्रत्येक व्यंजन वर्ग में कितने वर्ण होते हैं – पाँच
49- हिन्दी वर्णमाला में अयोगवाह वर्ण कौन से हैं – अं, अ:
50- किसी भी वर्ग के पहले व तीसरे व्यंजन कह लाते हैं – अल्पप्राण
51- वर्ग के द्वितीय व चतुर्थ व्यंजन कह लाते हैं – महाप्राण
52- हिन्दी वर्णमाला में मूल स्वर कितने होते हैं- चार
53- अनुनासिक का सम्बन्ध होता है – नाक और मुँह से
54- नमक किस भाषा का शब्द है – फारसी
55- संकर शब्द का अर्थ होता है – दो भाषाओं के शब्दों से मिलकर बना शब्द
56- ‘रिपोर्ताज’ किस भाषा का शब्द है – फ्रांसीसी
57- ‘’किताब’ किस भाषा का शब्द है – अरबी
58- ‘कारतूस’ किस भाषा का शब्द है – फ्रेंच
59- ‘बाल्टी’ किस भाषा का शब्द है – पुर्तगाली भाषा का
60- ‘कैंची’ किस भाषा का शब्द है – तुर्की
61- ‘चाय’ किस भाषा का शब्द है – चीनी
62- ‘रिक्शा’ किस भाषा का शब्द है – जापानी
63- उपसर्ग का प्रयोग होता है – शब्द के आदि में
64- प्रत्यय शब्द का प्रयोग होता है – धातु या शब्द के अन्त में
65- समास का कार्य है – शब्दों का संक्षेपण करना
66- कौन सा समास कारक से जुड़ा है – तत्पुरुष समास
67- आश्रित उपवाक्य होता है – मिश्र वाक्य में
68- आभ्यान्तर प्रयत्न के अनुसार वर्णों के भेद हैं – चार
69- प्रयत्न के आधार पर ‘ल’ किस प्रकार की ध्वनि है – पार्श्विक
70- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की कालानुक्रमी पद्धति का प्रयोग किया – मिश्रबन्धु
71- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का सूत्रपात किया – गार्सा-द-तासी
72- हिन्दी साहित्य के इतिहास का ‘प्रस्थान बिन्दु’ किस ग्रन्थ को कहा जाता है – हिन्दी साहित्य का इतिहास- आचार्य शुक्ल
73- साहित्य के इतिहास के लिए ‘इतिहास दर्शन’ संज्ञा का प्रयोग किस विद्वान ने किया है – वोल्तेर
74- आचार्य शुक्ल का ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ नामक ग्रन्थ सर्वप्रथम किस रूप में प्रकाशित हुआ – हिन्दी शब्द सागर
75- जनता की चित्तवृत्ति को काल विभाजन का आधार बनाने वाले आचार्य हैं – रामचन्द्र शुक्ल
76- आचार्य शुक्ल ने आदिकाल के तृतीय प्रकरण में किसका विवेचन किया है – वीरगाथा काव्य
77- ‘मिश्रबन्धु-विनोद’ के प्रथम तीन भाग कब प्रकाशित हुए थे – 1913ई0
78- ‘मिश्रबन्धु-विनोद’ का चतुर्थ भाग कब प्रकाशित हुआ – 1934ई0
79- किस विद्वान ने हिन्दी-साहित्य का आरम्भ भक्तिकाल से माना है – हजारी प्रसाद द्विवेदी
80- ‘स्केच ऑफ हिन्दी लिटरेचर’ के लेखक कौन हैं – पादरी एडिसन ग्रीब्ज
81- रामचन्द्र शुक्ल का ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ कब प्रकाशित हुआ – 1929ई0
82- “शिवसिंह सरोज का प्रकाशन वर्ष” - 1883
83- ‘हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास’ किसकी कृति है – बच्चन सिंह
84- ‘राधावल्लभ सम्प्रदाय सिध्दान्त और साहित्य’ के लेखनकर्ता कौन हैं – डॉ0 विजयेन्द्र स्नातक
85- “हिन्दी में किसी भारतीय द्वारा लिखा गया पहला इतिहास” यह कथन ‘मिश्रबन्धु विनोद’ के सन्दर्भ में किसका है – सुमन राजे
86- “इतिहास शुक्ल जी ने जुटाया है, जगाया नहीं” यह कथन किसका है – जैनेन्द्र
87- “शुक्ल जी को साहित्य पंचांग के रूप में प्राप्त हुआ था। उन्होंने उसे मानवीय शक्ति से अनुप्रमाणित कर इतिहास बना दिया” कथन किसका है – नामवर सिंह
88- आचार्य शुक्ल ने ‘साम्प्रदायिक’ कहकर साहित्य के क्षेत्र से बहार रखा है – सिध्द और नाथ साहित्य
89- हिन्दी साहित्य का वह ग्रन्थ जो अभी तक अधूरा है – हिन्दी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास- डॉ0 रामकुमार वर्मा
90- शुक्ल जी के इतिहास की रिक्तियों को भरते हुए उसमें सुधार कर ‘नए तथ्य’ उजागर करने वाले विद्वान – हजारीप्रसाद द्विवेदी
91- कवियों की तुलना में काव्यगत विशेषताओं को प्रमुखता देने वाले इतिहास का नाम – हिन्दी साहित्य का इतिहास
92- हजारीप्रसाद द्विवेदी ने भक्ति साहित्य से वास्तविक हिन्दी साहित्य का आरम्भ माना है – अपभ्रंशाभास हिन्दी भक्ति काल तक आते-आते काव्य भाषा के रूप में स्थापित हो जाती है और हिन्दी का स्वरूप स्पष्ट हो जाता है
93- किसने अपने इतिहास ग्रन्थ में साहित्य के विकास के साथ-साथ सवेदना के विकास को रेखांकित किया है – डॉ0 रामस्वरूप चतुर्वेदी
94- आधुनिक हिन्दी साहित्य सम्पत्ति का ‘बीजक’ कहा जाता है – हिन्दी पुस्तक साहित्य-माता प्रसाद गुप्त
95- इतिहास ग्रन्थों में हिन्दी कवियों का प्रथम वृत्त संग्रहकार माना जाता है – जॉर्ज ग्रियर्सन
96- शुक्ल द्वारा दिए गए ‘वीरगाथा काल’ नाम के विरुद्ध सर्वप्रमुख आपत्ति – उनमें कुछ अप्राप्य और कुछ परवर्ती काल की रचनाएँ हैं
97- “ इतिहास दर्शन का सम्बन्ध न तो अपने आप में अतीत से होता है न ही अतीत के बारे में इतिहासकार के विचारों से बल्कि उसका संबंध इन दोंनों के पारस्परिक संबंध से होता है” – कॉलिगबुड
98- “हिन्दी साहित्य और संवेदना का विकास”(1986) – रामस्वरूप चतुर्वेदी
99- “हिन्दी भाषा एवं साहित्य”(1930) - बाबू श्यामसुन्दर दास
100- “हिन्दी साहित्य का विवेचनात्मक इतिहास”(1930) - सूर्यकान्त शास्त्री
101- “हिन्दी काव्य संग्रह”(1873) – पंण्डित महेशदत्त शुक्ल
102- “रीतिकाव्य की भूमिका”(1949) – डॉ नगेन्द्र
103- “हिन्दी साहित्य का अतीत”(1960) – विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
104- “उत्तरी भारत की सन्त परम्परा”(1951) – परशुराम चतुर्वेदी
105- “आधुनिक हिन्दी साहित्य”(1850-1900) – डॉ लक्ष्मी सागर वार्ष्णेय
106- “हिन्दी वीर काव्य”(1954) – डॉ टीकम सिंह तोमर
107- “इतिहास एवं साहित्य दृष्टि”(1981) – मैनेजर पाण्डे
108- “खड़ी बोली हिन्दी साहित्य का इतिहास”(1998) – ब्रजरत्न दास
109- “वस्तुत: आचार्य शुक्ल की अनेक अवधारणाओं और स्थापनाओं को चुनौती देते हुए उन्हें सबल प्रमाणों के आधार पर खण्डित किया…… जहाँ तक ऐतिहासिक चेतना व पूर्व परम्परा के बोध की बात है, निश्चय ही आचार्य द्विवेदी हिन्दी के सबसे सशक्त इतिहासकार हैं” – गणपतिचन्द्र गुप्त
110- “विगत तीस-पैंतीस वर्षों में हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में पर्याप्त अनुसन्धान कार्य हुआ है, जिनमें बहुत ऐसी नई सामग्री, नए तथ्य, निष्कर्ष प्रकाश में आए हैं जो आचार्य शुक्ल के वर्गीकरण विश्लेषण आदि के सर्वथा प्रतिकूल पड़ते हैं” – गणपतिचन्द्र गुप्त
111- आदिकालीन काव्य में किस प्रवृत्ति का अभाव है – राष्ट्रीय चेतना
112- सिध्द साहित्य से तात्पर्य है – वज्रयान परम्परा के सिध्द आचार्यों द्वारा रचित साहित्य
113- सिध्द कवियों में दार्शनिक कवि हैं – कण्हपा
114- नारी की निन्दा किस सम्प्रदाय में होती है – नाथ सम्प्रदाय
115- वाममार्गी भोगप्रधान साधना की प्रतिक्रिया स्वरूप पनपा सम्प्रदाय – नाथ सम्प्रदाय
116- नाथों ने किस भाषा का प्रयोग किया है – अवहट्ठ भाषा
117- अन्तरसाधनात्मक अनुभूतियों का संकेत करने वाली प्रतीक भाषा है – संधा भाषा
118- संधा भाषा का प्रयोग किया है – सिध्दों ने
119- चित्तौड़ के खुमाण युद्धों का वर्णन है – खुमाण रासो में
120- अजमेर के शासक से सम्बन्धित रसो ग्रन्थ के रचनाकार हैं – नरपति नाल्ह
121- ‘हिन्दी’ काव्य में प्रयुक्त होने वाला ‘बारहमासा’ सबसे पहले किस ग्रन्थ में मिलता है – बीसलदेव रासो
122- जयचन्द प्रकाश और जयमंयक जसचन्द्रिका ग्रन्थों का उल्लेख मिलता है – राठौडा री ख्यात
123- आदिकाल के अन्तिम चरण के प्रमुख कवि – अमीर खुसरो
124- सिद्धों की साधना में ‘शून्य’ का पूरक है – ज्ञान
125- सर्वाधिक चरित काव्य किस साहित्य में लिखा गया है – जैन साहित्य
126- आदिकाल को अत्यधिक विरोधों एवं व्याघातों का युग कहने वाले इतिहासकार हैं – हजारीप्रसाद द्विवेदी
127- ‘पृथ्वीराज रासो’ के कितने संस्करण प्राप्त होते हैं – चार
128- पृथ्वीराज रासो के तीस हजार छ्न्दों का अंग्रेजी में अनुवाद किस लेखक ने किया है – कर्नल जेम्स टाड
129- वज्रयानियों का प्रभाव किस क्षेत्र में था – पूर्वी भारत में
130- ‘रेवातट’ पृथ्वीराज रासो का कौन सा सर्ग हिअ – 27
131- पृथ्वीराज चौहान के सेनापति चामुण्ड राय किस नगरी को जीतकर आये थे – देवगिरि
132- लोहिताक्ष सरोवर पर क्रीडा करने वाले हाथियों को श्राप किसने दिया था – दीर्घतपा ॠषि ने
133- एक हथिनी के गर्भ से किसका जन्म हुआ था – पालवाक्य ॠषि
134- शहाबुद्दीन गोरी का प्रधान सेनापति कौन था – तातार मारुफ खाँ
135- विद्यापति पदावली में किस रस की प्रधानता है – श्रंगार रस
136- आदिकालीन किस रचना में तिरहुत के शासक की प्रशंसा का वर्णन है – कीर्तिलता
137- हिन्दी में नख-शिख वर्णन की श्रंगार परम्परा का आरम्भ माना जाता है – राउलवेल
138- ढोला-मारु-रा दूहा का वर्ण्य विषय है – प्रेम वर्णन
139- रासो मूलत: शुक-शुकी संवाद के रुप में लिखा गया था – हजारीप्रसाद द्विवेदी
140- ‘गोरखनाथ सम्प्रदाय को जिस आन्दोलन का रुप दिया, वह भारतीय मनोवृत्ति के सर्वथा अनुकूल सिध्द हुआ है” – डॉ रामकुमार वर्मा
141- “वे साम्प्रदायिक शिक्षा मात्र है अत: शुध्द साहित्य की कोटि में नहीं आ सकती” – आचार्य शुक्ल
142- “अपभ्रंश को अब कोई पुरानी हिन्दी नहीं कहता” – हजारीप्रसाद द्विवेदी
143- “पृथ्वीराज रासो बिल्कुल अनैतिहासिक ग्रन्थ है – गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा
144- “विद्यापति अपने वियोग वर्णन में उतने सफल नहीं हुए हैं, जितने संयोग-श्रंगार में” – डॉ रामकुमार वर्मा
145- “विद्यापति ने विरह का ऐसा मर्मस्पर्शी चित्रण किया है कि ह्रद्य को हारकर रह जाना पड़ता है” – डॉ आनन्द प्रकाश दीक्षित
146- “भाषा की कसौटी पर यदि ग्रन्थ को कसते हैं, तो और भी निराश होना पड़ता है क्योंकि वह बिल्कुल बेठिकाने है” यह कथन पृथ्वीराज रासो के विषय में किसका है – आचार्य शुक्ल
147- “रासो को काल, रचना व भाषा के आधार पर अप्रमाणिक नहीं कहा जा सकता है” – डॉ दशरथ शर्मा
148- आदिकालीन साहित्य में किस बात की प्रधानता थी – वर्णनात्मकता
149- बीसलदेव रासो में किस शैली का प्रयोग किया है – गेय
150- हिन्दी साहित्य के इतिहास को व्यवस्थित रूप देने का श्रेय किसको है – आचार्य शुक्ल
151- ‘कौलज्ञान’ निर्णय के रचनाकार हैं – मत्स्येन्द्रनाथ
152- स्वयंभू को हिन्दी का प्रथम कवि माना है – रामकुमार वर्मा
153- बीसलदेव रासो में कुल कितने छ्न्द हैं – 125
154- आदिकाल को संक्रमण काल की संज्ञा दीन है – रामखिलावन पाण्डेय
155- ‘भरतेश्वर बाहुबलीरास’ के रचयिता हैं – शालिभ्रद शूरी
156- ‘वर्णरत्नाकर’ के रचयिता हैं – ज्योतिरीश्वर ठाकुर
157- सिद्धों की साधना में शून्य का पूरक तत्व है – ज्ञान
158- ‘प्रथ्वीराज रासो’ के तीस हजार छन्दों का अंग्रेजी में अनुवाद किसने किया है – कर्नल जेम्स टाड
159- वज्रयानियों का प्रभाव किस क्षेत्र में था – पूर्वी भारत
160- भक्ति का सर्वप्रथम उल्लेख किस ग्रंथ में हुआ है – श्वेताश्वेतरोपनिषद
161- डॉ नगेन्द्र के अनुसार भक्तिकाल का समय है – 1350-1650 ई0
162- आलावार भक्त किन्हें कहा जाता है – वैष्णवों को
163- दिव्य प्रबन्धम किसके पदों का संकलन है – आलावार भक्त
164- रामावत सम्प्रदाय का प्रवर्त्न किसने किया - रामानन्द
165- श्री सम्प्रदाय की स्थापना किसने की – रामानुजाचार्य
166- शुद्धाद्वैत के प्रतिपादक हैं – विष्णुस्वामी
167- द्वैताद्वैतवाद के प्रवर्तक आचार्य हैं – निम्बार्काचार्य
168- सनकादि सम्प्रदाय का प्रवर्तन किसने किया - निम्बार्काचार्य
169- अद्वैत वेदान्त के प्रचारक हैं – शंकराचार्य
170- ‘विठोवा’ का भक्त किसे माना जाता है - नामदेव
171- कबीर द्वारा सूफ़ियों से गृहित है – प्रेम और पीर
172- कबीर ने इड़ा, पिंगला नाड़ियों के प्रतीक के रूप में किसका प्रयोग किया है – गंगा-यमुना
173- आचार्य शुक्ल ने कबीर की भाषा को क्या नाम दिया है – सधुक्कड़ी
174- किस विद्वान का मत है कि “कबीर की भाषा का निर्णय करना टेड़ी खीर है, क्योंकि वह खिचड़ी है। ………खड़ीबोली, पंजाबी, राजस्थानी, अरबी फ़ारसी आदि अनेक भाषाओं का पुट भी उनकी उक्तियों में चढ़ा हुआ है? – डॉ श्यामसुन्दर दास
175- “कबीर तथा अन्य निर्गुणपन्थी सन्तों के द्वारा अन्त:साधना में रागात्मिकता ‘भक्ति’ और ‘ज्ञान’ का योग तो हुआ पर कर्म की दिशा वही रही, जो नाथपन्थियों के यहाँ थी” कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
176- कबीर को वाणी का डिक्टेटर किसने कहा है – हजारी प्रसाद द्विवेदी
177- “ऐसे थे कबीर सिर से पैर तक मस्तमौला, आदत से अक्खड़, स्वभाव से फक्कड़, दिल से तर, दिमाग से दुरुस्त, भक्तों के लिए निरीह, भेषधारी के लिए प्रचण्ड” कथन किसका है – हजारी प्रसाद द्विवेदी
178- कबीर की उलटबाँसियों में कौन सा रस प्रमुख है - अद्भुत रस
179- स्वामी रामानन्द जी ने किस विरक्त दल का संगठन किया – वैरागी दल
180- दशधा भक्ति के प्रचारक थे – रामानन्द
181- बारहखड़ी, सुखसागर, ध्रुवसागर किसकी रचनाएँ हैं – मलूकदास
182- सन्त कवियों में सर्वाधिक शिक्षित कौन था – सुन्दरदास
183- भारत में सुहरावर्दी सम्प्रदाय का प्रचार-प्रसार किसने किया – बहाउद्दीन ज़कारिया
184- पद्मावत में पद्मावती किसका प्रतीक है – बुद्धि
185- सूफी काव्य परम्परा की सर्वप्रमुख रचना है – पद्मावत
186- “सूफी मत में ईश्वर की भावना स्त्री रूप में की गई है” कथन किसका है – डॉ रामकुमार वर्मा
187- प्रथम सूफी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता है – मुल्ला दाऊद
188- माताप्रसाद गुप्त ने किस ग्रन्थ को ‘लोरकथा’ कहा है – चन्दायन
189- जान कवि ने कितने ग्रन्थों की रचना की – 78
190- “भक्ति धर्म का रसात्मक रूप है” कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
191- “भक्ति आन्दोलन ईसाईयत की देन है” कथन किसका है – ग्रियर्सन
192- “अपने पौरुष से हताश जाति के लिए भगवान की शक्ति और करुणा की ओर ध्यान ले जाने के अतिरिक्त दूसरा मार्ग ही क्या था” कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
193- “पराजय के बाद व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक श्रेष्ठता प्रदर्शित करना चाहता है, यही मनोवृत्ति भक्ति आन्दोलन का श्रोत है” कथन किसका है – बाबू गुलाबराय
194- “भक्तिकाल का उदय अरबों की देन है” कथन किसका है – ताराचन्द
195- “भक्ति आन्दोलन भारतीय चिन्ताधारा का स्वाभाविक विकास है” कथन किसका है – हजारी प्रसाद द्विवेदी
196- “समूचे भारतीय इतिहास में अपने ढंग का अकेला साहित्य है। इसी का नाम भक्ति साहित्य है। यह एक नई दुनियाँ है” कथन किसका है – हजारी प्रसाद द्विवेदी
197- “बिजली की चमक के समान अचानक समस्त पुराने धार्मिक मतों ले अन्धकार के ऊपर एक नई बात दिखाई दी। कोई हिन्दू नहीं जानता कि यह बात कहाँ से आई और कोई भी इसके प्रादुर्भाव का कारण निश्चित नहीं कर सकता” कथन किसका है – ग्रियर्सन
198- “कबीर ने अपनी झाड़-फटकार के द्वारा हिन्दुओं और मुसलमानों का कट्टरपन दूर करने का जो प्रयास किया वह अधिकतर चिढ़ाने वाला सिद्ध हुआ, ह्रदय का स्पर्श करने वाला नहीं” कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
199- “साधना के क्षेत्र में जो ब्रह्म है, साहित्य के क्षेत्र में वही रहस्यवाद है” कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
200- “कबीर की रचना में कितने रंग हैं-अक्खड़ समाज नेता का, फटूक्तिकार का, एकदम भाव-भिवोर होकर आत्मसमर्पण का गहरी रहस्य चेतना का, प्रेम के तन्मय भाव का और चरम वैराग्य का” कथन किसका है – डॉ रामस्वरूप चतुर्वेदी
201- “यदि कहीं रमणीय, सुन्दर, अद्वैती रहस्यवाद है तो जायसी में, जिसकी भावुकता उच्चकोटि की है” कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
202- “जायसी की भाषा देशी साँचे में ढली हुई, हिन्दुओं के घरेलू भाव से भरी हुई बहुत ही मधुर और ह्र्दयग्राहिणी है” कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
203- भक्तिकाल को ‘स्वर्ण्युग’ सर्वप्रथम किसने कहा – ग्रियर्सन
204- गोवर्धन पर्वत पर 1519 ई0 में ‘श्रीनाथ’ का मन्दिर किसने बनवाया – वल्लभाचार्य
205- प्रेमाख्यान काव्य परम्परा का मुख्य दर्शन है – तसव्वुफ़
206- ‘पद्मावत’ में किस शासक की प्रशंसा है – शेरशाह
207- सूफी-प्रेमाख्यानों की भाषा कैसी है – अवधी, ब्रज और राजस्थानी
208- ‘पद्मावत’ को हिन्दी में अपने ढंग की अकेली त्रासदी किस आलोचक ने कहा है – विजयदेव नारायण साही
209- जायसी की किस पुस्तक में कमायत का वर्णन है – आखिरी कलाम
210- ‘पद्मावत’ को समासोक्ति मानने वाले विद्धान हैं – डॉ नगेन्द्र
211- ‘पद्मावत’ को अन्योक्ति मानने वाले विद्धान हैं – आचार्य शुक्ल
212- ‘पद्मावत’ का रचनाकाल है – 1540 ई0
213- कृष्ण का सर्वप्रथम उल्लेख किस ग्रन्थ में मिलता है – ब्रह्माचरित में
214- सूरदास जी ने कृष्ण के किस रूप का चित्रण किया है – लोकरंजन
215- ‘साहित्यलहरी’ में सूरदास ने अपना परिचय देते हुए स्वयं को किस कवि का वंशज कहा है – चन्दबरदाई
216- ‘साहित्यलहरी’ की विषय वस्तु क्या है – नायिका भेद
217- अष्ठछाप भक्त कवियों में सूर के बाद सर्वाधिक ख्याति प्राप्त कवि हैं – नंददास
218- रचना शिल्प की दृष्टि से ‘सूरसागर’ किस प्रकार का काव्य है – गेय मुक्तक काव्य
219- सूरसागर के कौन से स्कन्ध में रामावतार की कथा वर्णित है – नवम
220- सूरसागर में कृष्ण का बाल-जीवन वर्णित है – दशम स्कन्ध के पूर्वाद्ध में
221- सूरसागर में कृष्ण के द्वारिका गमन से लेकर अन्त तक की जीवनी किस स्कन्ध में वर्णित है – दशम स्कन्ध के उत्तरार्ध्द में
222- सूरदास की कौन सी रचना उपालम्ब में श्रेष्ठ है – भ्रमरगीत
223- ‘भ्रमरगीत’ नाम से सूर के काव्य को किसने सम्पादित किया है – आचार्य शुक्ल
224- ‘अष्ठछाप’ के कविओं का संबंध किस सम्प्रदाय से है – पुष्टिमार्ग सम्प्रदाय से
225- ध्रुवदास का संबंध किस सम्प्रदाय से है – राधावल्लभ सम्प्रदाय से
226- अष्ठछाप कविओं में सूर के बाद वात्सल्य का सर्वश्रेष्ठ चित्रण किसने किया है – परमानन्ददास
227- कृष्ण भक्त कविओं में उध्दव का अवतार किसे माना जाता है – सूरदास
228- वृन्दावन जाकर मीरा की भेंट किस कवि से हुई – जीव गोस्वामी
229- किस आचार्य ने भक्ति को सर्वसुलभ बनाया – रामानन्द
230- हिन्दी साहित्य में राम भक्ति काव्य का प्रमुख प्रेरणा स्रोत किसे कहा जाता है – स्वामी रामानन्द
231- ‘तत्सुखि सम्प्रदाय’ की स्थापना किसने की – जीवा जी राम
232- ‘स्वरसुखी सम्प्रदाय’ की स्थापना किसने की – रामचरण दास जी
233- तुलसीदास किस दार्शनिक मत के भक्त थे – विशिष्टाद्वैतवाद
234- तुलसीदास को किसने ‘मुगलकाल का सबसे महान व्यक्ति’ कहा है – आचार्य शुक्ल
235- सीता विवाह से संबंधित ग्रंथ है – जानकी मंगल
236- तुलसीदास ने कौन-सी रचना राम के दरबार में भेजने हेतु की – विनयपत्रिका
237- रामचरितमानस ग्रन्थ किस शैली में लिखा गया है – बरवै शैली
238- रामकाव्य के रसिक सम्प्रदाय का आधार ग्रन्थ है – ध्यान मंजरी
239- किस कवि ने स्वयं को जानकी की सखी मानकर काव्य रचना की है – ईश्वरदास
240- तुलसीदास को ‘कलिकाल का वाल्मीकि’ किसने कहा है – स्मिथ ने
241- हितहरिवंश की मृत्यु पर “छूटो रस रसकिन को आधार” किस कवि ने कहा – हरीराम व्यास
242- “भ्रमरगीत सूरसाहित्य का मुकुटमणि है। यदि वात्सल्य और श्रंगार के पदों को निकाल भी दिया जाये तो हिन्दी साहित्य में सूर का नाम अमर रखने के लिए भ्रमरगीत ही काफी है”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
243- “सूरदास की कविता में हम विश्वव्यापी राग सुनते हैं। वह राग मनुष्य के ह्रदय का सूक्ष्म उद्गार है – डॉ राम कुमार वर्मा
244- “जिस प्रकार के उन्मुक्त समाज की कल्पना अंग्रेज कवि ‘शैली’ ने की है ठीक उसी प्रकार का उन्मुक्त समाज है गोपियों का” कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
245- “आगे होने वाले कवियों की शृंगार और वात्सल्य की उक्तियाँ सूर की जूठी-सी जान पड़ती हैं”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
246- “हिन्दी के कविता मन्दिर में गोस्वामी जी का स्थान सबसे ऊँचा और सबसे विशिष्ट है। उस स्थान के बराबर स्थान पाने का कोई अधिकारी अब तक उत्पन्न नहीं हुआ”। कथन किसका है – डॉ श्यामसुन्दरदास
247- “सूर में जितनी भाव विभोरता है, उतनी वाग्विदाग्धता भी है”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
248- “बाल सौन्दर्य एवं स्वभाव के चित्रण में जितनी सफलता सूर को मिली है, उतनी अन्य किसी को नहीं। वे बन्द आँखों से वात्सल्य का कोना-कोना झाँक आए हैं”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
249- “जैसे रामचरित गान् करने वाले भक्त कवियों में गोस्वामी तुलसीदास जी का स्थान सर्वश्रेष्ठ है, उसी प्रकार कृष्ण चरित्र गान करने वाले भक्त कवियों में माहात्मा सूर का, वास्तव में, ये हिन्दी काव्य गान के सूर्य व चन्द्र हैं”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
250- ‘तुलसी का रामचरितमानस’ लोक से शास्त्र का, संस्कृत से भाषा का, सगुण से निर्गुण का, ज्ञान से भक्ति का, शैव से वैष्णव का, ब्राह्मण से शूद्र का, पण्डित से मूर्ख का, गार्हस्थ से वैराग्य का समन्वय है” कथन किसका है – हजारी प्रसाद द्विवेदी
251- “रामानन्द वर्णाश्रम व्यवस्था को समाज के लिए स्वीकार करते थे, किन्तु उपासना के क्षेत्र में नहीं”। कथन किसका है – डॉ नगेन्द्र
252- “रामचरितमानस में तुलसी केवल कवि के रूप में नहीं उपदेशक के रूप में भी सामने आते हैं”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
253- “ गोस्वामी जी के प्रादुर्भाव को हिन्दी काव्य के क्षेत्र में एक चमत्कार समझना चाहिए”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
254- “भारतीय जनता का प्रतिनिधि कवि यदि किसी को कह सकते हैं, तो तुलसी दास को”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
255- “प्रेम और श्रध्दा अर्थात पूज्यबुध्दि दोनों के मेल से भक्ति की निष्पत्ति होती है”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
256- “राम को पाने का रास्ता संसार से होता हुआ गया है”। संवाद किसका है – आचार्य शुक्ल
257- “हिन्दी काव्य की सब प्रकार की रचना शैली के ऊपर गोस्वामी तुलसीदास ने अपना ऊँचा स्थान प्रतिष्ठित किया है, यह उच्चता किसी को प्राप्त नहीं है”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
258- “लोक संग्रह का भाव तुलसी भक्ति का एक अंग था। यही कारण है कि इनकी भक्ति रस भरी वाणी जैसी मंगलकारिणी मानी वैसी गई वैसी और किसी की नहीं”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
259- “तुलसी का सारा काव्य समन्वय की अपार चेष्टा है” कथन किसका है – हजारी प्रसाद द्विवेदी
260- “लोकनायक वही हो सकता है, जो समन्वय करने का अपार धैर्य लेकर आया हो। उनका सारा काम समन्वय की विराट चेष्टा है”। कथन किसका है – हजारी प्रसाद द्विवेदी
261- “माहात्मा बुध्द के बाद भारत के सबसे बड़े लोकनायक तुलसी थे”। कथन किसका है – ग्रियर्सन
262- बिहारी के काव्य में वर्णित मुगलकालीन वैभव विलास का समर्थन किसके यात्रा वृतान्त में मिलता है – हॉकिन्स
263- रीतिकालीन काव्य में व्यापक जनसमुदाय की उपेक्षा का भाव मिलता था क्योंकि – जनसमुदाय आर्थिक रूप से निर्बल था
264- काव्यशास्त्र की परम्पराओं के अनुसार लक्षण ग्रन्थों की रचना करने वाले कवि कह लाते हैं – रीतिबध्द
265- रीति की अविरल परम्परा किस कवि से प्रारम्भ मानी जाती है – चिन्तामणी
266- रीतिमुक्त कवि वे हैं – जिन्होंने प्रत्येक नियम की अवहेलना की
267- किस कवि ने प्रकृति पर स्वतन्त्र रूप से रचना की है – सेनापति
268- रीति निरूपण की प्रवृत्ति का परिचायक ग्रन्थ है – कविकुल कल्पतरू
269- कालक्रम के अनुसार रीति काल का प्रथम कवि है – केशव
270- रीतिकालीन कविता का आरम्भ केशव की किस रचना से माना जाता है – रसिकप्रिया
271- भारत में अंग्रेजों के बढ़ते प्रभाव के प्रति ध्यान आकर्षित करते हुए पद्माकर ने किस राजा के दरबार में कवित्त पढ़ा था – दौलत राव सिन्धिया
272- किस कवि ने राजा(अनूप गिरि उर्फ हिम्मत बहादुर) के कटु वचन कहने पर म्यान से तलवार निकाल ली – कवि ठाकुर
273- डॉ पीताम्बर बड़थ्वाल के अनुसार ‘रामचन्द्रिका’ है – फुटकर कवित्तों का संग्रह
274- ‘बिहारी सतसई’ ग्रन्थ का निर्माण किसकी प्रेरणा से हुआ है – गाथा सप्तशती
275- बिहारी के काव्य को ‘शक्कर की रोटी’ किसने कहा है – पद्मसिंह शर्मा
276- “बिहारी सतसई मक्खन की रोटी है, जिसे जिधर से खाओ, उधर से ही मधुर और सरस निकलती है” कथन किसका है – पद्मसिंह शर्मा
277- बिहारी के दोहों का उर्दू शेरों में अनुवाद किसने किया है – मुंशी देवी प्रसाद प्रीतम
278- ‘बिहारी सतसई’ की सबसे प्रमाणिक टीका किसने की है – जगन्नाथदास रत्नाकर
279- घनानन्द का प्रेम किस लिए भिन्न है – वह स्वानुभूत और रीतिमुक्त है
280- घनानन्द की काव्य रचना में स्थूलता के स्थान पर है – आन्तरिक प्रकृति
281- लक्षण ग्रन्थकारों की परम्परा का अन्तिम कवि प्रसिध्द कवि – पद्माकर
282- रीतिकाल के अन्तिम कवि - ग्वाल
283- आचार्य शुक्ल ने किस कवि को साक्षात रस पूर्ति कहा है – देव
284- “इस काल को ‘कलाकाल’ नाम देना समीचीन ज्ञात होता है, रीतिकाव्य और शृंगार काव्य के साथ इस काल में इतनी अधिक प्रवृत्तियाँ, विचार धाराएँ और ललित शिल्प की साधनाएँ दृष्टिगत होती हैं कि उनमें कला का प्रांजल रूप अनायास ही दृष्टिगत होता है” कथन किसका है – डॉ राम कुमार वर्मा
285- “राजाओं से पुरस्कार पाने तथा जनता द्वारा समादृत होने के कारण रीतिकाल की कविता शृंगार रसमयी हो गई और अन्य प्रकार की कविताएँ उसके सामने दब गई” कथन किसका है – डॉ श्यामसुन्दर दास
286- “रीतिकाल का प्रयोग साधारणत: लक्षण ग्रन्थों के लिए होता है ……जिस ग्रन्थ में रचना सम्बन्धी नियमों का विवेचन हो वह रीतिग्रन्थ और जिस काव्य की रचना इन नियमों से आबध्द हो वह रीति ग्रन्थ है” कथन किसका है – डॉ नगेन्द्र
287- “किसी कवि का यश उसकी रचनाओं के परिमाण के हिसाब से नहीं होता, गुण के हिसाब से होता है। मुक्तक कविता में जो गुण होना चाहिए, विहारी के दोहों में अपने चरम उत्कर्ष पर पहुचाँ है, इसमें कोई सन्देह नहीं”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
288- घनानन्द के संबंध में किसने लिखा है कि “भाषा के लक्षक एवं व्यंजक बल की सीमा कहाँ तक है, इसकी पूरी परख इन्हीं को थी” – आचार्य शुक्ल
289- “हिन्दी रीति ग्रन्थों की अखण्ड परम्परा चिन्तामणि त्रिपाठी से चली। अत: रीतिकाल का आरम्भ उन्हीं से मानना चाहिए” कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
290- “केशवदास जी ने काव्य के सब अंगों का निरूपण शास्त्रीय पध्दति पर किया। इसमें सन्देह नहीं कि काव्य रीति का सम्यक प्रतिपादन पहले आचार्य केशव ने ही किया, पर हिन्दी में रीतिग्रन्थों की अवरिल और अखण्डित परम्परा का प्रवाह केशव की ‘कविप्रिया’ के प्राय: पचास वर्ष पीछे चला और वह भी भिन्न आदर्श को लेकर, केशव के आदर्श कि लेकर नहीं” कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
291- “प्रकृति के नाना रूपों के साथ केशव के ह्रदय का सामंजस्य कुछ भी न था” कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
292- “प्रेममार्ग का एक ऐसा प्रवीण और धीरज पथिक तथा जबाँदानी का ऐसा दावा रखने वाला ब्रजभाषा का दूसरा कवि नहीं हुआ” कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
293- “बिहारी और घनानन्द की भाषा के आधार पूरा व्याकरण बनाया जा सकता है” कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
294- “बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक है” किसने कहा है – आचार्य शुक्ल
295- “यूरोप में बिहारी सतसई के समकक्ष कोई रचना नहीं है” कथन किसका है – ग्रियर्सन
296- “रीतिकाव्य का सम्यक प्रवर्तन केशवदास द्वारा भक्तिकाल में ही हो गया था” कथन किसका है – विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
297- “घनानन्द सी विशुध्द सरस और शक्तिशालिनी ब्रजभाषा लिखने में और कोई कवि समर्थ नहीं हुआ। विशुध्दता के साथ प्रौढ़ता और माधुर्य भी अपूर्व ही है” कथन किसका है – सुरति मिश्र
298- “घनानन्द की भाषा सरल और स्वाभाविक है, जिसमें लक्ष्यार्थ और व्यंग्यार्थ का प्राघान्य है” कथन किसका है – डॉ वासुदेव सिंह
299- “रीतिकाल का कोई भी कवि भक्ति भावना से हीन नहीं है। हो भी नहीं सकता, क्योंकि भक्ति उसके लिए मनोवैज्ञानिक आवश्यकता थी” कथन किसका है – डॉ नगेन्द्र
300- “बिहारी सतसई सैकड़ों वर्षों से रसिकों का मन मोह रही है। यह उनके ह्रदय का हार बनी हुई है और बनी रहेगी” कथन किसका है – हजारी प्रसाद द्विवेदी
301- आधुनिक काल को ‘गद्यकाल’ की संज्ञा दी – आचार्य शुक्ल
302- सुखसागर की विषय-वस्तु संबंधित है – भागवत पुराण से
303- ‘प्रेमसागर’ का वर्ण्य-विषय क्या है – विष्णु पुराण के दशम स्कन्ध का अनुवाद
304- भारतेन्दु युग में हिन्दी भाषा तथा राष्ट्रीय विचारधारा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विचारक थे – दयानन्द सरस्वती
305- आचार्य शुक्ल के अनुसार कौन प्रथम प्रौढ़ गद्य लेखक माना जाता है – रामप्रसाद निरंजनी
306- हिन्दी कविता के आधुनिक युग के प्रवर्तक माने जाते हैं – भारतेन्दु जी
307- सामान्य रूप से आधुनिक काल का आरम्भ माना गया है – 1857 ई0
308- उन्नीसवीं सदी की साहित्य-सर्जना का मूल हेतु है – पराधीनता का बोध
309- नवजागरण का सर्वाधिक प्रभाव किस साहित्य पर पड़ा – बंगला साहित्य
310- भारतेन्दु युग को ‘पुनर्जागरण काल’ किस आलोचक ने कहा – डॉ बच्चन सिंह
311- ‘तदीय समाज’ के संस्थापक थे – भारतेन्दु जी
312- आधुनिक काल को नवीन काल किसने कहा है – गुलाबराय
313- भारतेन्दु युग का कौन कवि पुष्टिमार्ग में दीक्षित था – भारतेन्दु जी
314- भारतेन्दु ने किस कविता में विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया है – प्रबोधनी
315- कविता के लिए खड़ी बोली के पक्ष में आन्दोलन की शुरूआत किसने की – अयोध्याप्रसाद खत्री
316- भारतेन्दु जी ने काव्य धारा को किस ओर मोड़ा – स्वदेश प्रेम की ओर
317- भारतेन्दु जी ने रीतिकालीन मुक्तकों का संकलन किस नाम से किया है – सुन्दरी तिलक
318- नारी शिक्षा के लिए भारतेन्दु जी ने कौन सी पत्रिका निकाली – बालाबोधिनी
319- “आधुनिक काल में गद्य का आविर्भाव सबसे प्रधान घटना है”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
320- “भारतेन्दु ने हिन्दी साहित्य को एक नए मार्ग पर खड़ा किया वे साहित्य के नए युग के प्रवर्तक थे”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
321- “वे प्राचीन और नवीन का योग इस ढंग से करते कि कहीं से जोड़ नहीं जान पड़ता था”। भारतेन्दु युग के कवियों के विषय में यह कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
322- “हमारे जीवन व साहित्य के बीच जो विच्छेद बढ़ रहा था, उसे इन्होंने दूर किया। हमारे साहित्य को नए-नए विषयों की ओर प्रवृत्त करने वाले भारतेन्दु ही हुए”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
323- “हिन्दी गद्य का ठीक परिष्कृत रूप पहले-पहल ‘हरिश्चन्द्र चन्द्रिका’ में ही प्रकट हुआ”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
324- “भारतेन्दु युग का साहित्य व्यापक स्तर पर गदर से प्रभावित है”। कथन किसका है – डॉ रामविलास शर्मा
325- “भारतेन्दु युग का साहित्य जनवादी इस अर्थ में है कि वह भारतीय समाज के पुराने ढाँचे से सन्तुष्ट न रहकर उसमें सुधार भी चाहता है”। कथन किसका है – डॉ रामविलास शर्मा
326- “आधुनिकता को अपनी सुरक्षा के लिए अतीत से संबंध रखना चाहिए” कथन किसका है – जी एस फ्रेजर
327- द्विवेदी युग को ‘जागरण काल’ किस विद्वान ने कहा है – डॉ नगेन्द्र
328- आधुनिक काल में हिन्दी गद्य व पद्य की भाषा के परिमार्जक थे – महावीर प्रसाद द्विवेदी
329- 1857 ई0 के प्रथम संग्राम के बाद भारत के हिन्दी प्रदेशों में आए राजनीतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तनों को जाना जाता है – नवजागरण के नाम से
330- आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी से प्रेरणा लेकर उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने वाले कवि हैं – मैथिलीशरण गुप्त
331- नवजागरण को आगे बढ़ाने में किस पत्रिका ने महत्व पूर्ण भूमिका निभाई – सरस्वती पत्रिका ने
332- द्विवेदी युग का सम्पूर्णत: प्रतिनिधि कवि है – मैथलीशरण गुप्त
333- द्विवेदी युग के सर्वश्रेष्ठ प्रगीतकार माने जाते हैं – मुकुटधर पाण्डेय
334- खड़ी बोली का प्रथम कवि किसे माना जाता है – अमीर खुसरो
335- ‘प्रियप्रवास’ के किस सर्ग में ‘हरिऔध’ जी ने विश्वप्रेम को व्यक्तिगत प्रेम की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण माना है – 17 वें सर्ग में
336- ‘प्रियप्रवास’ मूलत: किस रस से संबंधित ग्रन्थ है – वियोग श्रृंगार
337- चैतन्य महाप्रभु की वियुक्ता पत्नी के त्याग-तप और उसकी मनोदशा का उल्लेख किस ग्रन्थ में मिलता है – विष्णुप्रिया
338- ‘नायिका भेद वर्णन’ के विरोधी हैं – मैथली शरण गुप्त
339- ‘भारत-भारती’ गुप्त जी ने किस के अनुरोध पर लिखी थी – राजा रामपाल सिंह
340- ‘साकेत’ महाकाव्य में किस प्रकार की शैली का उल्लेख किया गया है – वैदर्भी काव्यात्मक गीत शैली
341- राष्ट्रीय काव्य धारा के प्रमुख कवि हैं – माखनलाल चतुर्वेदी
342- “भारत-भारती की लोकप्रियता खड़ी बोली की विजय पताका सिध्द हुई है”। कथन किसका है – डॉ नगेन्द्र
343- “भारतीय संस्कृति के प्रवक्ता होने के साथ-साथ गुप्त जी प्रसिध्द राष्ट्रीय कवि भी हैं। उनकी प्राय: सभी रचनाएँ राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत हैं”। कथन किसका है – डॉ उमाकान्त
344- “गुप्त जी की कविता राष्ट्रीयता और गांधीवाद की प्रधानता है”। कथन किसका है – बाबूगुलाब राय का
345- “खड़ी बोली के पद्य विधान पर द्विवेदी जी का पूरा-पूरा असर पड़ा। बहुत से कवियों की भाषा शिथिल और अव्यवस्थित होती थी। द्विवेदी जी के अनुकरण में अन्य लेखक भी शुद्ध भाषा लिखने लगे”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
346- प्रसाद जी की कौन सी रचना पूर्ण रूप से विरह काव्य है – आँसू
347- हिन्दी कविता में स्वच्छन्द छन्द रचना का सूत्रपात करने वाला कवि था – निराला
348- ‘राम की शक्ति पूजा’ का कथानक आधारित है – कृतिवास रामायण
349- पन्त जी की कौन सी रचना नवमानवता वादी युग की रचना है – लोकायतन
350- छायावाद का ‘मेनीफेस्टो’ कहा जाता है – पल्लव की भूमिका को
351- हिन्दी में स्वच्छन्दतावाद का प्रवर्तक कवि किसे कहा जाता है – श्रीधर पाठक को
352- छन्दबद्ध कविता के स्थान पर लय और गति पर आधारित काव्य रचना को महत्व मिला है – स्वच्छन्दतावाद में
353- छायावाद का प्रयोग दो अर्थों में समझना चाहिए “एक तो रहस्य वाद के अर्थ में…दूसरा प्रयोग वाक्य शैली या पद्धति विशेष के व्यापक अर्थ में”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
354- “परमात्मा की छाया आत्मा में, आत्मा की छाया परमात्मा में पड़ने लगती है तभी छायावाद की सृष्टि होती है”। कथन किसका है – डॉ रामकुमार वर्मा
355- “छायावाद एक दार्शनिक अनुभूति है”। कथन किसका है – शान्तिप्रिय द्विवेदी का
356- “छायावाद स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह नहीं रहा, बल्कि थोपी नैतिकता रूढ़िवाद और सामन्ती साम्राज्यवादी बन्धनों के प्रति विद्रोह रहा है”। कथन किसका है – डॉ रामविलास शर्मा
357- “छायावादी कविता में नवीन सौन्दर्य चेतना जगाकर समाज की अभिरुचि का परिष्कार किया”। कथन किसका है – डॉ नगेन्द्र
358- “निराला की अधिकांश कविताओं की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीयता का रंग विद्यमान मिलेगा”। कथन किसका है – भागीरथ मिश्र का
359- “कविता के स्वरूप में भावों के साँचे में ढालने से पूर्व भाषा को भी ह्रदय के ताप में गलाकर कोमल, करुण एवं प्रांजल कर लेना पड़ता है”। कथन किसका है – पन्त जी
360- “साहित्यिक दृष्टि से छायावाद काव्य की मुख्य लब्धि हिन्दी पाठकों में सौन्दर्य दृष्टि का उन्मेष और प्रसार है”। कथन किसका है – डॉ देवराज
361- “कविता करने की प्रेरणा मुझे प्रकृति निरीक्षण से मिली”। कथन किसका है – पन्त जी
362- “निराला के गीतों में युग-युग से प्रताड़ित और प्रवंचित मानवता पर होने वाली वज्र प्रहार की प्रतिक्रिया दिखाई पड़ती है”। कथन किसका है – डॉ द्वारिका प्रसाद सक्सेना
363- किस कवि की रचनाओं में छायावाद का पूर्वाभास मिलता है – मुकुटधर पाण्डेय
364- ‘केवल सूक्ष्मगत सौन्दर्य सत्ता का राग’ कहकर छायावाद का विरोध किसने किया था – महादेवी वर्मा
365- छायावाद को ‘छायावाद’ नाम किसने दिया – मुकुटधर पाण्डेय
366- ‘चित्रात्मक भाषा एवं लाक्षणिक पदावली’ किस युग की काव्य भाषा है – छायावाद
367- छायावाद को ‘छोकरावाद’ की संज्ञा किसने दी – भगवानदीन
368- ‘झरना’ को छायावाद की प्रयोगशाला का प्रथम आविष्कार किसने कहा है – नन्ददुलारे वाजपेयी
369- छायावाद को ‘शक्तिकाव्य’ के रूप में किसने परिभाषित किया है – रामस्वरूप चतुर्वेदी
370- हिन्दी की पहली छायावादी कविता मानी जाती है – प्रथम प्रभात(झरना)
371- छायावाद को ‘विच्छित मोती की-सी तरलता’ किसने कहा है – प्रसाद
372- ‘छायावाद’ शब्द का अर्थ आचार्य शुक्ल ने अंग्रेजी के किस शब्द से जोड़ा है – फैंटामेस्टा
373- छायावाद के समर्थन में पहला निबन्ध किसका है – मुकुटधर पाण्डेय
374- छायावाद की मूल चेतना किस शब्द-समूह से अधिक व्यक्त होती है – प्रकृति का मानवीकरण
375- छायावाद को सांस्कृतिक नवजागरण से सम्बन्ध किसने माना है – नन्ददुलारे वाजपेयी
376- छायावाद को विलायती अभिव्यंजनावाद से प्रभावित किसने माना है – आचार्य शुक्ल
377- ‘कामायनी को छायावाद का उपनिषद’ किसने कहा है – शान्तिप्रिय द्विवेदी
378- ‘शेर सिंह’ का शस्त्र समर्पण’ किस रचना में संकलित है – लहर
379- निराला की किस कविता को महाकाव्यात्मक रचना की संज्ञा दी गई है – राम की शक्तिपूजा
380- ‘राम की शक्तिपूजा’ में निराला की किन दो कविताओं का सार तत्व समाहित है – जागो फिर एक बार, तुलसीदास
381- किस छायावादी कवि को आचार्य शुक्ल ने सर्वाधिक महत्व दिया है – पन्त
382- “छायावाद का दर्शन सर्वात्मावाद का दर्शन है”। कथन किसका है – महादेवी वर्मा
383- “मानव अथवा प्रकृति के सूक्ष्म किन्तु व्यक्त सौन्दर्य में आध्यात्मिक छाया का भान मेरे विचार में छायावाद की एक सर्वमान्य वाख्या हो सकती है”। कथन किसका है – नन्ददुलारे वाजपेयी
384- ‘अकाल और उसके बाद’ कविता में नागार्जुन ने किस स्थति का वर्णन किया है – भूख
385- नागार्जुन ने किस कृति में बरवै छन्द का प्रयोग किया है – भस्मांकुर
386- उर्वशी और पुरूरवा का प्रेमाख्यान दिनकर की किस रचना में है – उर्वशी
387- रश्मिरथी खण्डकाव्य की कथा का आधार क्या है – महाभारत
388- प्रगतिवादी कविता के काल में प्रकृति चित्रण या सौन्दर्य का कवि कौन है – केदारनाथ अग्रवाल
389- प्रयोगवाद का मूल आधार क्या है – वैयक्तिकता
390- प्रयोगवादी कविता में प्रमुखता है – मध्यमवर्गीय समाज का चित्रण
391- प्रयोगवाद का सबसे बड़ा दोष था – लोक कल्याण की उपेक्षा
392- नई कविता का केन्द्र बिन्दु है – लोक जीवन की अभिव्यक्ति
393- समकालीन कविता के प्रवर्तक हैं – डॉ विश्वम्भर उपाध्याय
394- “प्रगतिवाद सामाजवाद की ही साहित्यिक अभिव्यक्ति है” कथन किसका है – डॉ नगेन्द्र
395- “नागार्जुन ऐसे साहित्यकार हैं, जो अभावों में ही जन्में हैं तथा पीड़ित वर्ग के कष्टों को उन्होंने स्वयं झेला है। नि:सन्देह ऐसा व्यक्ति भारत की निम्नवर्गीय जनता का सच्चा, सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व कर सकता है” कथन किसका है – पन्त जी
396- “कबीर में जैसे सामाजिक विद्रोह का तीखापन और प्रणयानुभूति की कोमलता एक साथ मिलती है, कुछ वैसा ही रचाव मुक्तिबोध में है”। कथन किसका है – डॉ रामस्वरूप चतुर्वेदी
397- “नई कविता वैविध्यमय जीवन के प्रति आत्मचेतस व्यक्ति की प्रतिक्रिया है। नई कविता का स्वर एक नहीं विविध है”। कथन किसका है – मुक्तिबोध
398- “नागार्जुन सर्वहारा कविता की धारा को तीव्र कर देते हैं उनमें मजदूर वर्ग को संघर्षशील चेतना समुन्नत रूप में प्रकट हुई है”। कथन किसका है – रामचरण महेन्द्र
399- “प्रयोग कोई वाद नहीं है, हम वादी नहीं रहे, न हैं, न प्रयोग अपने आप में इष्ट या साध्य है। ठीक उसी तरह कविता का कोई वाद नहीं, कविता भी अपने आप में इष्ट या साध्य नहीं, अत: हमें प्रयोगवादी कहना उतना ही सार्थक या निरर्थक है जितना कवितावादी कहना”। कथन किसका है – अज्ञेय
400- “नई कविता प्रथम बार समस्त जीवन को व्यक्ति या समाज इस प्रकार के तंग विभाजनों के आधार पर न मापकर मूल्यों की सापेक्ष स्थिति में व्यक्ति और समाज दोनों को मापने का प्रयास कर रही है”। कथन किसका है – डॉ धर्मवीर भारती
401- “वस्तुत: नई कविता प्रयोगवाद का ही विकसित रूप है”। कथन किसका है – गोविन्द शर्मा रजनीश
402- “कुँवर नारायण की कविता उस अधुनातन भारतीय व्यक्ति की प्रतिछवि है जो मूलत: भारतीय होते हुए भी अध्ययन, चिन्तन और सम्भवत: उससे अधिक स्थूल सम्पर्कों के प्रभाव से बहुत देशेतर गुणों, रुचियों और प्रवृत्तियों से समन्वित हो गया है”। कथन किसका है – बालकृष्ण राव
403- ‘अधैर्य का कवि’ किसे कहा जाता है – दिनकर
404- दिनकर की किस कृति को ‘आधुनिक युग की गीता’ कहा गया है – कुरुक्षेत्र
405- ‘हालावाद’ के प्रवर्तक कौन माने जाते हैं – हरिवंशराय बच्चन
406- माँसल प्रेम की अभिव्यक्ति किस कवि की रचनाओं में मिलती है – रामेश्वर शुक्ल अंचल
407- हिन्दी साहित्य में मार्क्सवादी चेतना की अभिव्यक्ति मिलती है – प्रगतिवाद में
408- प्रगतिशील लेखक संघ का प्रथम अधिवेशन कब हुआ – 1936
409- ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ की प्रथम अध्यक्षता किसने की – प्रेमचन्द
410- ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ की स्थापना लन्दन में किसने की – मुल्कराजद आनन्द और सज्जाद जहीर
411- प्रगतिवाद की विरोधी पत्रिकाएँ थीं – विशाल भारत, परिमल, विचार
412- “प्रगतिवाद, छायावाद की भस्म से पैदा नहीं हुआ, बल्कि उसका गला घोंटकर पैदा हुआ है” कथन किसका है – डॉ नगेन्द्र
413- नागार्जुन किस काव्य धारा के कवि हैं – प्रगतिवाद
414- ‘पन्त’ जी की ‘ग्राम्या’ कृति का संबंध है – प्रगतिवादी दृष्टि से
415- ‘भारत में प्रगतिशील साहित्य की आवश्यक्ता’ लेख किसका है – शिवदान सिंह चौहान
416- प्रयोगवादी काव्य धारा का प्रारम्भ किस सप्तक के प्रकाशन से माना जाता है – तारसप्तक(1943)
417- प्रयोगवाद को पुष्ट करने वाली पत्रिका थी – प्रतीक
418- हिन्दी में प्रयोगवाद के जनक माने जाते हैं – अज्ञेय
419- ‘प्रयोगवाद’ शब्द का सबसे पहले प्रयोग किसने किया – नन्ददुलारे वाजपेयी
420- प्रयोगवाद को ‘बैठे ठाले का धन्धा’ किसने कहा है – नन्ददुलारे वाजपेयी
421- नकेनवाद किस काव्य धारा के लिए प्रयुक्त हुआ है – प्रयोगवादी
422- ‘तारसप्तक’ के कवियों को अज्ञेय ने कहा है – राहों का अन्वेषी
423- ‘नई कविता’ का दौर शुरू होता है – सन 1954
424- ‘नई कविता’ पत्रिका के सम्पादक थे – रामस्वरूप चतुर्वेदी और जगदीश गुप्त
425- ‘नई कविता’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया – अज्ञेय
426- ‘नई कविता श्रोता के दृष्टिकोण से’ लेख किसका है – ब्रजेश्वर वर्मा
427- ‘बौद्धिकता का आग्रह’ किस काव्य धारा में है – नई कविता
428- “नई कविता प्रगतिवादी यतार्थ के आघात से उत्पन्न छायावाद के स्वप्न भंग के बाद की कविता है”। कथन किसका है – जगदीश गुप्त
429- ‘इन्द्रियबोध का कवि’ कौन है – गिरिजाकुमार माथुर
430- भयंकर बात का कवि कौन है – मुक्तिबोध
431- ‘मूड्स के कवि’ कहलाते हैं – शमशेर बहादुर
432- लघुमानव की महत्ता को प्रतिष्ठित करने वाले कवि हैं – विजयदेवनारायण
433- ‘नवगीत’ के प्रसिद्ध उन्नायक कौन हैं – वीरेन्द्र मिश्र
434- भाषा विज्ञान में ‘हिन्दी’ कितनी बोलियों का प्रतिनिधित्व करती है – आठ
435- खड़ी बोली गद्य में रचना प्रारम्भ होती है – 13 वीं शती
436- ब्रजभाषा गद्य का आरम्भिक रूप मिलता है – 14 वीं शती
437- हिन्दी गद्य का प्राचीनतम रूप किस भाषा रूप में मिलता है – राजस्थानी भाषा
438- आचार्य शुक्ल ने ‘खड़ी बोली गद्य’ की प्रथम रचना किसे माना है – चन्द छन्द बरनन की महिमा
439- आचार्य शुक्ल ने खड़ी बोली गद्य का प्रथम प्रौढ़ लेखक किसे माना है – रामप्रसाद निरंजनी
440- मिश्रबन्धुओं ने हिन्दी का प्रथम गद्य लेखक किसे माना है – गोरखनाथ
441- आचार्य शुक्ल के अनुसार ब्रजभाषा-गद्य का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया – गोरखपंथी योगियों ने
442- खड़ी बोली को अंग्रेजों द्वारा आविष्कृत किसने माना है – ग्रियर्सन
443- गिलक्राइस्ट किस लिपि के पक्षपाती थे – रोमन
444- ठेठ हिन्दी में उपन्यास लिखने वाले कौन हैं – हरिऔध
445- ‘सेवासदन’ से पहले की कृतियाँ एक प्रतिभाशाली लेखक के ‘बचकाने प्रयास’ लगती हैं” कथन किसका है – मदन गोपाल
446- ‘देवरानी-जेठानी की कहानी’ को हिन्दी का प्रथम उपन्यास मानने वाले उपन्यास कार हैं – डॉ गोपाल राय
447- आचार्य शुक्ल ने हिन्दी का प्रथम मौलिक उपन्यास माना है – परीक्षा गुरु
448- प्रेमचन्द से पूर्व लिखे गए हिन्दी उपन्यासों का मूल उद्देश्य था – मनोरंजन एवं सुधार
449- जासूसी उपान्यासों की हिन्दी में शुरुआत किसने की – गोपालराम गहमरी
450- अंग्रेजी के जासूसी उपन्यासकार ऑथर कानन डायल से प्रभावित थे – गोपालराम गहमरी
451- दहेज प्रथा, कुलीनता का प्रश्न, पत्नी का स्थान जैसी विवाह से जुड़ी समस्याओं को प्रेमचन्द ने किस उपन्यास में उठाया है – सेवासदन
452- बेमेल विवाह की घटना को प्रेमचन्द ने किस उपन्यास की विषयवस्तु बनाया है – निर्मला
453- प्रेमचन्द का ‘हरिजन समस्या’ से सम्बन्धित उपन्यास है – कर्मभूमि
454- प्रसाद जी का कौन सा उपन्यास उनकी अकाल मृत्यु के कारण पूरा नहीं हो पाया – इरावती
455- प्रसाद जी ने किस उपन्यास में व्यक्ति की स्वतन्त्रता पर बल दिया है – कंकाल
456- विश्वम्भरनाथ शर्मा के किस उपन्यास में ‘अन्तर्जातीय विवाह’ की समस्या को विषयवस्तु बनाया गया है – भिखारिणी
457- चतुरसेन शास्त्री का वह कौन सा उपन्यास है जिसमें वासुदेव, महावीर स्वामी और भगवान बुद्ध सभी एक साथ उपस्थित हैं – वैशाली की नगरवधू
458- ‘वेश्या वर्ग’ को अपने उपन्यासों की कथावस्तु बनाने वाले हिन्दी के उपन्यासकार हैं – पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’
459- ‘विराट की पद्मिनी’ वृन्दावनलाल वर्मा का कैसा उपन्यास है – ऐतिहासिक
460- किस उपन्यासकार के उपन्यासों को ‘नायिका-प्रधान’ उपन्यास भी कहा जाता है – जैनेन्द्र कुमार
461- ‘फ्लैशबैक’ शैली में लिखा गया उपन्यास है – शेखर एक जीवनी
462- ‘यशपाल’ जी ने अपने किस उपन्यास में गाँधीवाद, आतंकवाद और साम्यवाद की आलोचना प्रस्तुत की है – दादा कामरेड
463- ‘माधोजी सिन्धिया’ किस प्रकार का उपन्यास है – ऐतिहासिक
464- “इतिहास इस बात का गवाह है कि इस महिमामयी शक्ति की उपेक्षा करने वाले साम्राज्य नष्ट हो गये। कथन किस उपन्यास से है – बाणभट्ट की आत्मकथा
465- ‘राग-दरबारी’ उपन्यास में किस गाँव का उल्लेख किया गया है – शिवपाल गंज
466- “प्रेमचन्द शताब्दीयों से पददलित, अपमानित और उपेक्षित कृषकों की अवाज़ थे”। कथन किसका है – हजारी प्रसाद जी
467- “प्रेमचन्द पूँजीवादी यथार्थवाद के रचनाकार हैं”। कथन किसका है – शिवदान सिंह चौहान
468- “गोदान में गाँधी और मार्क्स को प्रेमचन्द ने घुला मिला दिया है”।कथन किसका है – बच्चन सिंह
469- “प्रेमचन्द चाहते थे कि भारत की शिक्षित स्त्रियाँ पारिवारिक बन्धन में न पड़कर पुरुषों को देश-सेवा के लिए प्रेरणा दें और स्वयं भी मैदान में आकर समाज की सेवा करें”। कथन किसका है – डॉ गोपालराम गहमरी
470- “गाँधी और प्रेमचन्द दोनों ने ही उन औपनिवेशिक शासकों और शोषकों पर ही अपना ध्यान केन्द्रित किया, जिन्होंने देशी अभिजात्य को भ्रष्ट किया और जिन्होंने देशी शासकों को पुरुषत्वहीन बनाकर श्रेष्ठवर्गीय भूपतियों और किसान जनता के बीच गहरी खाई और तनाव पैदा किया है”। कथन किसका है – पूरनचन्द जोशी
471- “जिस उपन्यास को समाप्त करने के बाद पाठक अपने अन्दर उत्कर्ष का अनुभव करे, उसके सद्भाव जाग उठे, वही सफल उपन्यास है”। कथन किसका है – देवकीनन्दन खत्री
472- “कल्पना उपन्यासकार की रचनात्मक प्रतिभा को आगे बढ़कर कार्य करने की भूमि प्रस्तुत करती है”। कथन किसका है – डॉ त्रिभुवन सिंह
473- “ऐसे चरित्रों से हमें परिचित कराना जिनके हृदय पवित्र होते हैं, जो स्वार्थ, वासना से रहित होते हैं और साधु प्रकृति के होते हैं”। कथन किसका है – प्रेमचन्द
474- “लाला श्रीनिवासदास व्यवहार में दक्ष और संसार का ऊँचा-नीचा समझने वाले पुरुष थे। अत: उनकी भाषा संयत और साफ-सुथरी तथा रचना बहुत कुछ सोद्देश्य होती थी”। कथन किसका है – पुरुषोत्तमदास
475- “हिन्दी साहित्य के इतिहास में बाबू देवकीनन्दन का स्मरण इस बात के लिए सदा बना रहेगा………………………चन्द्रकान्ता पढ़ चुकने पर पाठक चन्द्रकान्ता की किस्म की कोई किताब ढ़ूँढने में परेशान रहते थे”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
476- “प्रेमचन्द्र के साहित्य पर सर्वत्र शिव का शासन है, सत्य और सुन्दर शिव के अनुचर होकर आते हैं। उनकी कला स्वीकृति रूप में जीवन के लिए थी और जीवन का अर्थ उनके लिए वर्तमान सामाजिक जीवन ही था”। कथन किसका है – डॉ नगेन्द्र
477- ‘हिन्दी का शरतचन्द्र’ किस उपन्यास कार को कहा जाता है – जैनेन्द्र
478- “अपने अतीत का मनन और मन्थन हम भविष्य के लिए संकेत पाने के प्रयोजन से करते हैं”। कथन किसका है – हजारी प्रसाद द्विवेदी
479- “इसमें फूल भी हैं, शूल भी, धूल भी है, गुलाब भी, कीचड़ भी है, चन्दन भी, सुन्दरता भी है कुरुपता भी-मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया”। कथन किसका है – रेणु जी
480- अमेरिका में निवास करने वाले प्रवासी भारतीयों का चित्रण किस उपन्यास में है – अन्तर्वशी
481- “जिस प्रकार पंचतन्त्र, हितोपदेश बालकों की शिक्षा के लिए लिखे गए, उसी प्रकार यह लोगों के मनोविद के लिए लिखा गया है। चन्द्रकान्ता में जो बातें लिखी गयीं हैं, वे इसलिए नहीं कि सच्चाई, झुठाई की परीक्षा करें, प्रत्युत इस लिए कि पाठ कौतुहलवर्द्ध हो”। कथन किस का है – देवकीनन्दन खत्री
482- “मुंशी जी का मनुष्यत्व पर घोर विश्वास है। नीच से नीच मनुष्य में वे मानवता की झलक पा जाते हैं। उनके पात्र गिरते हैं पर सुधरजाते हैं। गोबर काफी गिर गया था पर झुनिया की सेवा का उस पर काफी प्रभाव पड़ा”। यह कथन किसका है – बाबूगुलाब राय
483- “यह एक क्लासिकल रोमांटिक उपन्यास है। अपने बन्ध, चित्रण, वर्णन शिल्प और शैली में यह क्लासिकल है और प्राणगत ऊष्मा में रोमाण्टिक”। ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ उपन्यास के सम्बन्ध में यह कथन किसका है – डॉ गोपाल राय
484- उपन्यास को मानव चरित्र का आख्यान किसने कहा – प्रेमचन्द्र
485- बालकृष्ण भट्ट के उपन्यास का मूलस्वर क्या है – सुधारवाद एवं उपदेश मूलक
486- प्रेम के आदर्श स्वरूप की व्याख्या प्रसाद के किस उपन्यास में है – तितली
487- रतिनाथ की चाची उपन्यास की विद्या है – आंचलिक
488- प्रेमचन्द के किस उपन्यास को गोदान की पूर्व पीठिका माना गया है – प्रेमाश्रम
489- करो नटों के जीवन पर आधारित रांगेय राघव के उपन्यास का नाम बताइए – कब तक पुकारूँ
490- ममता कालिया के किस उपन्यास में बम्बई के जीवन की एक तस्वीर खींची गयी है – बेघर
491- हिन्दी का सर्वप्रथम जीवन चरित्रात्मक उपन्यास है – झाँसी की रानी
492- राजेन्द्र यादव और मन्नू भण्डारी की सहयोगी रचना है – एक इंच मुस्कान
493- “कहानी सदैव से जीवन का एक अंग रही है” – प्रेमचन्द
494- ‘इन्दुमती’ कब व किस पत्रिका में प्रकाशित हुई थी – 1900(सरस्वती पत्रिका)
495- हिन्दी की प्रथम कहानी मानी जाती है – इन्दुमती
496- डॉ बच्चन सिंह ने हिन्दी की प्रथम कहानी माना है – प्रणयिनि-परिणय
497- हिन्दी कहानी के उद्भव और विकास में किस साहित्य का विशेष योगदान है – बांग्ला साहित्य
498- हिन्दी कहानी का विकास किस पत्रिका से माना जाता है – सरस्वती पत्रिका
499- गुलेरी जी की कौन सी कहानी प्रेम शौर्य और बलिदान की प्रेमकथा है – उसने कहा था
500- हिन्दी की पहली वैज्ञानिक कहानी कौन सी मानी जाती है – चन्द्रलोक की यात्रा
501- नई कहानी की शुरुआत किस कहानी से मानी जाती है – परिन्दे
502- सक्रिय कहानी के प्रर्वतक माने जाते हैं – राकेश वत्स
503- सहज कहानी के प्रर्वतक माने जाते हैं – अमृतराय
504- हिन्दी की प्रथम मौलिक कहानी मानी जाती है – रानी केतकी की कहानी
505- हिन्दी कहानी में फ्लैश बैक शैली का सर्वप्रथम प्रयोग करने वाले कहानी कार हैं – गुलेरी जी
506- “कहानी सौन्दर्य की झलक का रस प्रदान करने वाली हैं” यह कथन किसका है – जयशंकर प्रसाद
507- नयी कहानी का प्रारम्भ कब से माना जाता है – 1950 ई0
508- “नयी कहानी का सबसे बड़ा वैशिष्ट्य है-कथा तत्व का ह्रास”। कथन किस का है – डॉ गणपतिचन्द गुप्त
509- इलाचन्द्र जोशी किस वर्ग के कहानीकार हैं – मनोविश्लेषणवादी
510- किस कहानी में विषय की नवीनता के साथ-साथ शिल्पगत नवीनता भी विद्यमान है – नई कहानी
511- प्रेमचन्द युग का कौन सा कहानीकार सामाजिक यतार्थ को नग्न रूप में प्रस्तुत करने में सिद्धहस्त माना जाता है – पाण्डेय बेचन शर्मा उग्र
512- “संचेतना एक दृष्टि है, वह दृष्टि जिसमें जीवन भी जिया जाता है और जाना भी जाता है”। कथन किसके संबंध में है – नई कहानी
513- अकहानी का प्रवर्तक डॉ नामवर सिंह के अनुसार किसे माना जाता है – निर्मल सिंह
514- नारी विमर्श पर लिखने वाली पहली महिला लेखिका हैं – बंग महिला (राजेन्द्रबाला घोष)
515- मन्नू भण्डारी की किस कहानी पर ‘रजनीगंधा’ फिल्म बनी है – यही सच है
516- ‘तीसरी कसम’ फिल्म किस लेखक की कहानी पर बनी है – फणीश्वरनाथ रेणु
517- ‘दुलाई वाली’ कहानी का प्रधान विषय है – मनोरंजन
518- ‘दुलाई वाली’ कहानी में किस पर व्यंग्य किया गया है – अंग्रेजी पहनावे पर
519- ‘रायकृष्ण दास’ की कहानियों का मूल विषय किस पर आधारित है – भावुकता और आदर्शवाद पर
520- ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ कहानी अधारित है – अमीरी और गरीबी के वैमनस्य पर
521- गुलेरी जी की किस कहानी की कथावस्तु प्रथम विश्व युद्ध पर आधारित है – उसने कहा था
522- प्रेमचन्द का कौन-सा कहानी संग्रह अंग्रेज़ी सरकार द्वारा जब्त कर लिया गया – सोजे वतन
523- ऊँची और नीची जाति का भेदभाव प्रेमचन्द की किस कहानी की विषयवस्तु है – ठाकुर का कुआँ
524- प्रेमचन्द ने किस कहानी में कथनी और करनी की विसंगति पर जबरदस्त व्यंग्य किया है – नशा
525- प्रसाद की ‘गुण्डा’ कहानी में भारत के इतिहास के किस युग का चित्रण है – ईस्ट इण्डिया का
526- सुदर्शन ने अपनी कहानियों का विषय बनाया है – जीवन की ज्वलन्त समस्याओं को
527- चतुरसेन शास्त्री की कहानी ‘दुखवा, में कासों कहूँ मोरी सजनी’ किसका हिन्दी रुपान्तरण है – सेलिसमा बेगम
528- ‘ईदगाह’ कहानी की विषयवस्तु किस पर आधारित है – बालमनोविज्ञान
529- ‘दुनिया का सबसे अनमोल रतन’ कहानी का उद्देश्य है – देशप्रेम का वर्णन
530- ‘यशपाल’ द्वारा सन 1934 से 1938 के मध्य जेल में लिखी गई कहानियाँ किस संग्रह में संकलित हैं – पिंजरे की उड़ान
531- जैनेन्द्र की पहली कहानी ‘खेल’ किस में प्रकाशित हुई – विशाल भारत
532- इलाचन्द्र जोशी किस वर्ग के कहानीकार हैं – मनोविश्लेषणवादी
533- जैनेन्द्र ने मानव जीवन दर्शन का सबसे बड़ा कहानीकार माना है – डॉ लक्ष्मीनारायण लाल
534- ‘अपना-अपना भाग्य’ कहानी के केन्द्र में है – बालक
535- ‘अपना-अपना भाग्य’ कहानी का उद्देश्य है – समाज के गरीब और लाचार बालकों का शोषण दिखाना
536- नई कहानी की शुरुआत किस लेखक से मानी जाती है – निर्मल वर्मा
537- ‘नई कहानी’ की विशेष उपलब्धि किस क्षेत्र में रही – बदलते सामाजिक-परिवारिक रिश्तों के चित्रण में
538- ‘नई कहानी’ को प्रतिष्ठा दिलाने में किसकी सम्पादकीय भूमिका अधिक उल्लेखनीय है – भैरव प्रसाद गुप्त
539- ‘सचेतन कहानी’ का प्रवर्तक माना जाता है – डॉ महीप सिंह
540- ‘समान्तर कहानी’ नामक आन्दोलन के प्रवर्तक हैं – कमलेश्वर
541- समान्तर कहानी का प्रचार-प्रसार मुख्यत: किस पत्रिका के माध्यम से हुआ – सारिका
542- ऐतिहासिक कहानीयों की परम्परा का शुभारम्भ करने वाले कहानी कार हैं – वृन्दावनलाल वर्मा
543- ‘चारा काटने की मशीन’ तथा ‘टेबललैण्ड’ किस विषयवस्तु पर आधारित कहानियाँ हैं – भारत-पाक विभाजन
544- ‘इमारत ढहाने वाले’ कहानी में कहानीकार ने क्या दिखाने का प्रयास किया है – आधुनिक जीवन में हमारे परम्परागत मूल्य कितनी आसानी से टूट जाते हैं
545- हरिशंकर परसाई कृत ‘रानी नागमती की कहानी’ किस कहानी का अनुकरण है – रानी केतकी की कहानी
546- “जैनेन्द्र में विचारक कलाकार अपने कलात्मक और विचारात्मक अस्तित्व को किसी भी प्रकार कहीं भी, जरा भी एक दूसरे से अलग न देख पाता है और न ही रख पाता है” कथन किसका है – प्रभाकर माचवे
547- “कहानी अँधेरे की चीख या अकेली कराह नहीं है, अपितु अच्छी कहानी कहानीकार और पाठक के अनुभव की साझेदारी है, सहयोगी यात्रा है। कहानीकार का कोई भी अनुभव ऐसा इकहरा, इकलौता, अलग-थलग या अनोखा नहीं होता, जिससे सिर्फ वही गुजरा हो, हाँ अनुभव से अर्थ तक पहुँचने की तड़प या तलाश अपनी हो सकती है” कथन किसका है – राजेन्द्र यादव
548- “कहानी नारा या पोस्टर नहीं, वह जीवन संघर्ष से उपजी सश्लिष्ट विद्या है” कथन किसका है – नर्मदेश्वर
549- “नई कहानी से हमारा मतलब उन कहानियों से है, जो सच्चे अर्थों में कलात्मक निर्माण है, जो जीवन के लिए उपयोगी है और महत्वपूर्ण होने के साथ ही उसके किसी-न-किसी नए पहलू पर आधारित हैं” कथन किसका है – मार्कण्डेय
550- “वस्तु के स्तर पर अकहानी से प्राय: सामाजिक संघर्षों से संबंधित विषय वस्तु को ग्रहण न कर स्त्री-पुरुष के संबंधों या यौन-प्रसंगों को ही ग्रहण किया है और मूल्य के स्तर पर उसने न केवल पहले के सारे मूल्यों का निषेध किया अपितु ‘साहित्य के मूल्य का अस्तित्व है’ इस सत्य का निषेध कर दिया”। कथन किसका है – रामदरश मिश्र
551- “सहज कहानी से हमारा अभिप्राय उस मूल कथा रस से है, जो कहानी की अपनी खास चीज है और बहुत-सी नई कहानी कही जाने वाली कहानियों में एक सिरे से नहीं मिलता”। कथन किसका है – अमृतराय
552- “सन साठ के बाद अनेक अश्लील कहानियों की भीड़ में एक सामूहिक स्वर में रचनात्मकता के स्तर पर उनका प्रतिवाद करने का प्रयास सचेतन कहानी को ऐतिहासिक महत्तव प्रदान करता है”। कथन किसका है – रामदरश मिश्र
553- “कथा शिल्प और कथ्य की दृष्टि से यशपाल जी प्रेमचन्द के बहुत नजदीक हैं, पर वे अपनी कहानी को प्रेमचन्द की तरह समस्या का समाधान देने वाले उस आदर्श बिन्दु पर नहीं पहुँचाते, अपितु यथार्थ की कठोरता के तीखे व्यंग्य का बोध भर करा देता है” कथन किसका है – डॉ भगवतस्वरुप मिश्र
554- “अभी तक जो कहानी सिर्फ कथा कहती या कोई चरित्र पेश करती थी अथवा एक विचार को झटका देती थी, वही……जीवन के प्रति एक नया भाव बोध जगाती है” कथन किसका है – डॉ नामवर सिंह
555- पुरानी और नई कहानी के बदलाब बिन्दु है-“नई वैचारिक दृष्टि”। नई कहानी के संबंध में यह कथन किसका है – कमलेश्वर
556- “सबसे उत्तम कहानी वह होती है, जिसका आधार किसी मनौवैज्ञानिक सत्य पर हो”। कथन किसका है – प्रेमचन्द
557- “कहानी एक सूक्ष्मदर्शी यन्त्र है, जिसके नीचे मानवीय अस्तित्व के दृश्य खुलते हैं”। कथन किसका है – अज्ञेय
558- “आदर्शवादी एवं सुधारवादी दृष्टि का कारण यह भी है कि प्रेमचन्द के मन में मनुष्य की सदवृत्तियों के प्रति गहरी आस्था है। उन्हें लगता है कि मनुष्य बुनियादी तौर पर बुरा नहीं होता एवं उसके सुधार की सम्भावनाएँ सदा बनी रहती हैं’’। कथन किसका है – भारद्वाज
559- “जैनेन्द्र की चुनी हुई चीजें किसी भी विदेशी साहित्यकार से टक्कर ले सकती हैं”। कथन किसका है – प्रेमचन्द
560- मोहन राकेश की कहानी मलबे का मालिक की विषयवस्तु आधारित है – भारत-पाक विभाजन से
561- आधुनिक हिन्दी नाटक का जनक तथा हिन्दी नवजागरण का अग्रदूत किसे कहा जाता है – भारतेन्दु
562- हिन्दी में साहित्यिक रंगमंच के निर्माण का श्रीगणेश आगाहसन ‘अमानत’ लखनवी के किस गीत रूपक से माना जाता है – इन्दर सभा
563- जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नाटक स्कन्दगुप्त के कथानक में किसकी तीव्रता प्रकट होती है – राष्ट्र्प्रेम की संवेदना
564- हिन्दी का पहला दुखान्त नाटक किसे माना जाता है – रणधीर-प्रेम-मोहिनी
565- जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित अंतिम नाटक है – ध्रुवस्वामिनी
566- जयशंकर प्रसाद के किस नाटक में ‘उपनिषदकाल’ का ऐतिहासिक चित्रण है – जनमेजय का नागयज्ञ
567- प्रसाद के किस नाटक में दो विरोधी जातियों आर्यों और नागों का संघर्ष वर्णन है – जनमेजय का नागज्ञग
568- प्रसाद के किस नाटक में विदेशियों से भारत के संघर्ष और उस संघर्ष में अन्ततः भारत की विजय को दिखाया गया है - चन्द्रगुप्त
569- ‘विशाख’ में किस काल का वर्णन किया गया है – बौध्दों के पतनकाल का
570- ‘राजमुकुट’ नाटक में गोविन्द वल्लभ पन्त ने किसके बलिदान का चित्रण किया है – पन्नाधाय के
571- प्रेमचन्द का संग्राम नाटक किस प्रकार का नाटक है – सामाजिक
572- ‘पूर्व की ओर’ किस प्रकार का नाटक है – पौराणिक
573- उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ के किस नाटक में अहंवादिता तथा प्राचीन संस्कारों के दुष्प्रभाव का वर्णन किया गया है – अंजो दीदी
574- विष्णुप्रभाकर के किस नाटक में पारिवारिक विघटन को यथार्थ अभिव्यक्ति मिली है – टूटते परिवेश
575- सुरेन्द्र वर्मा ने अपने किस नाटक में आधुनिक मनुष्य के बहु मुखौटेपन को व्यक्त किया है – द्रौपदी
576- हबीब तनवीर का कौन सा नाटक सुदूर अंचल के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और आर्थिक क्रिया-कलापों पर आधारित है – आगरा बाज़ार
577- मंगलप्रसाद विश्वकर्मा कृत ‘शेरसिंह’ एकांकी किस युग की रचना है – द्विवेदी
578- “यदि पूर्वाग्रह को छोड़कर विचार किया जाए तो कहना होगा कि प्रसाद के नाटकों में जो गम्भीर्य आया है उसके मूल में रंगमंच की अहवेलना का बहुत कुछ योग है” कथन किसका है – डॉ बच्चन सिंह
579- “प्राचीन साहित्य में एकांकी शब्द भी नहीं मिलता………एकांकी शब्द बाद में ‘वन एक्ट प्ले’ के पर्याय के रूप में प्रचलित हुआ” कथन किसका है – वासुदेव सिंह
580- “एकांकी में एक सुनिश्चित योजना एक ही घटना परिस्थिति या समस्या वेग सम्पन्न वेग, सम्पन्न प्रवाह और उसके निर्देश में चातुर्य आवश्यक है”। कथन किस का है – सदगुरुशरण अवस्थी
581- “वही एकांकी श्रेष्ठ है, जिसमें महान विचार, तीव्र संघर्ष, स्वाभाविक कथोपकथन और सुगठित मनोरंजक कथ्य हों”। कथन किसका है – सेठ गोविन्द दास
582- आचार्य शुक्ल के हिन्दी का प्रथम नाटक किसे माना जाता है – आनन्दरघुनन्दन
583- खड़ी बोली में लिखा गया हिन्दी का पहला नाटक कौन सा है – शकुन्तला नाटक
584- “भारतेन्दु ने अपने नाटकों द्वारा पारसी रंगमंच का विरोध किया और प्राचीन नाटकों का उद्गार किया”। कथन किसका है – रामविलास शर्मा
585- प्रसाद के किस नाटक में पुरुष के आतंक से नारीमुक्ति की समस्या को उठाया गया है – ध्रुवस्वामिनी
586- किस नाटककार को ‘अतीत के स्वर्णयुग में विचरण करने वाला’ कहा जाता है – प्रसाद
587- प्रसाद ने किस नाटक को दोबारा 1237 में लिखा – राज्यश्री
588- नाटक को रोमांस के कटघरे से निकालकर आधुनिक भावबोध के साथ सम्बन्द्ध करने वाले नाटककार हैं – उपेन्द्रनाथ अश्क
589- रामस्वरूप चतुर्वेदी ने हिन्दी की प्रथम एकांकी किसे माना है – बादल की मृत्यु
590- “हिन्दी एकांकी का इतिहास गत दस वर्षों में सिमटा हुआ है”। कथन किसका है – डॉ नगेन्द्र
591- वृन्दावन लाल वर्मा के किस नाटक को अंग्रेज सरकार ने जब्त कर लिया था – सेनापति ऊदल
592- सुरेन्द्र वर्मा ने अपने किस नाटक में आधुनिक मनुष्य के बहु मुखौटेपन को व्यक्त किया है – द्रौपदी
593- सर्वप्रथम किस रंग मंच द्वारा हिन्दी नाटकों में स्त्री पात्र के लिए स्त्रियों द्वारा ही अभिनय की परम्परा ही डाली – विक्रम परिषद
594- “एकांकी में एक सुनिश्चित योजना एक ही घटना परिस्थिति या समस्या वेग सम्पन्न वेग, सम्पन्न प्रवाह और उसके निर्देशन में चातुर्य आवश्यक है”। कथन किसका है – सद्गुरुशरण अवस्थी
595- “वही एकांकी श्रेष्ठ है, जिसमें महान विचार, तीव्र संघर्ष, स्वाभाविक कथोपकथन और सुगठित मनोरंजन कथ्य हों”। कथन किसका है – सेठ गोविन्ददास
596- “निबन्ध गद्य की कसौटी है” विचार किसका है – आचार्य शुक्ल
597- भारतेन्दु जी को हिन्दी का प्रथम निबन्धकार किसने माना है – डॉ शिवदान सिंह चौहान
598- बालकृष्ण भट्ट को हिन्दी का प्रथम निबन्धकार किसने माना है – डॉ श्रीकृष्णलाल
599- वह निबन्धकार जिसने सर्वाधिक लगभग 1000 निबन्ध लिखे हैं – बाकृष्ण भट्ट
600- महारानी विक्टोरिया के घोषणा पत्र को सच मानकर राजराजेश्वरी का गुणगान किस निबन्धकार ने किया है – भारतेन्दु जी
601- “सच्चा शैव वही हो सकता है, जो वैष्णव मात्र को अपना देवता समझे………सब हमारे खुदा के बन्दे हैं, इसी नाते सभी हमारे आत्मीय बन्धु हैं” यह पक्तियाँ किस निबन्ध से हैं – शिवमूर्ति
602- महावीर प्रसाद द्विवेदी ने किसके निबन्धों का हिन्दी में अनुवाद किया है – बेकन
603- आचार्य शुक्ल का 1930 में प्रकाशित ‘विचारवीथी’ बाद में किस नाम से प्रकाशित हुए – चिन्तामणि भाग-1 व -2
604- ‘भाषा के जादूगर’ के रूप में किस निबन्धकार को जाना जाता है – शिवपूजन सहाय
605- “कविता वह साधन है, जिसके द्वारा शेष सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक सम्बन्ध की रक्षा और निर्वाह होता है” कथन किस निबन्ध से है – कविता क्या है?
606- दुःखी वह है जिसका मन परवश है,……………………………’कुटुज’ इन सबसे मुक्त है, वह वैरागी है”। कथन किस निबन्ध से लिया गया है – कुटुज
607- “निबन्ध की पृष्ठभूमि में रहने वाला निजीपन, हृदयोल्लास और चलतेपन के लिए भारतेन्दुयुग चिरस्मरणीय रहेगा” कथन किसका है – गुलाबराय
608- वस्तुतः शुक्ल जी के निबन्धों में वे सभी गुण मिलते हैं,……………………।द्विवेदी युग की सी विचारात्मकता उसमें किन्तु वैसी शुष्कता का उनमें अभाव है”। कथन किसका है – डॉ गणपतिचन्द्र गुप्त
609- “निस्सन्देह उस युग में भट्ट जी जैसी वाणी का धनी, भाषा का पारखी, समसामयिक विचारों का चितेरा तथा अभिव्यक्ति का कुशल पण्डित और कोई दूसरा निबन्धकार नहीं हैं” कथन किसका है – डॉ द्वारिका प्रसाद सक्सेना
610- “व्यक्तित्व की गम्भीरता छाप, व्यंग्य-विनोद की तीक्ष्णता, भावात्मकता से आवृत्त बौद्धिकता तथा व्यावहारिक सशक्त भाषा आदि सभी कुछ भट्ट जी के निबन्धों में उपलब्ध है”। कथन किसका है – गुलाबराय
611- “किसी भी मत, विचार या सिद्धान्त………………॥इसके प्रत्याख्यान में तनिक भी मोह नहीं दिखाया” कथन किसका है – डॉ देवीशंकर अवस्थी
612- “अपने निबन्ध चिन्तन एवं मनन से परिपूर्ण भारतीय्………………॥उनमें प्राचीनता एवं नवीनता का विलक्षण सामंजस्य दृष्टिगोचर होता है”। द्विवेदी जी के निबन्धों के संबंध में यह कथन किसका है – डॉ द्वारिका प्रसाद सक्सेना
613- “जीवन का समग्र विकास ही सौन्दर्य है”…………………॥“मानव मुक्ति का प्रयास है”। द्विवेदी जी के सौन्दर्य चिन्तन पर यह विचार किसका है – नामवर सिंह
614- “उनके लेखन में शास्त्र-सम्पदा और लोकसंस्कृति एवं लोकाचार आदि का सहज स्वाभाविक सम्मिलन हो गया है। दोनों का परम्परापेक्षी बिम्ब-प्रतिबिम्बात्मक अंकन पदे-पदे होता चलता है”। कथन किसका है – डॉ जयचन्द राय
615- साहित्य के सिद्धान्तों पर विचार किया जाता है – सैद्धान्तिक आलोचना में
616- इतिहासकार ‘तैन’ किस आलोचना पद्धति के आरम्भकर्ता हैं – ऐतिहासिक आलोचना
617- तुलनात्मक आलोचना का जनक किसे माना जाता है – पद्म सिंह शर्मा
618- हिन्दी के प्रथ्म लोकवादी आचार्य में किसकी गणना होती है – महावीर प्रसाद द्विवेदी
619- ‘छायावादी काव्य’ को लेकर आचार्य शुक्ल से मतभेद करने वाले आलोचक हैं – नन्ददुलारे वाजपेयी
620- छायावाद को राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की साहित्यिक अभिव्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करने का श्रेय किसे है – नन्ददुलारे वाजपेयी
621- डॉ रामविलास शर्मा के वैज्ञानिक रूप को उजागर करने वाली रचना मानी जाती है – भाषा और समाज
622- “आलोचना का मूल उद्देश्य कवि की कृति का सभी दृष्टिकोणों से आस्वाद कर पाठकों को उस प्रकार के आस्वाद में सहायता देना तथा उनकी रुचि को परिमार्जित करना एवं साहित्य की गतिविधि निर्धारित करने में योग देना है”। कथन किसका है – गुलाबराय
623- “आधुनिक आलोचना संस्कृत के काव्य-सिद्धान्त निरूपण से स्वतन्त्र चीज है”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
624- “यदि हम साहित्य को जीवन की व्याख्या मानें तो आलोचना को उस व्याख्या की व्याख्या मानना पड़ेगा”। कथन किसका है – डॉ श्यामसुन्दर दास
625- “रचना के विषय के इतिहास, सौन्दर्य-सिद्धान्त, रचनाकार की जीवनी आदि की दृष्टि से रचना के गुण-दोष और रचनाकार की अन्तर्वृत्तियों तथा प्रवृत्तियों का सूक्ष्म विवेचन माना जा सकता है”। कथन किसका है – डॉ उदयभानु सिंह
626- “जो लोग यह समझते हैं कि समालोचना सीखने की चीज है, वे गलती करते हैं। यह उसी प्रकार जन्मजात है जैसे कवित्व”। कथन किसका है – रामधारी सिंह दिनकर
627- “साहित्य के क्षेत्र में ग्रन्थ को पढ़कर उसके गुणों और दोषों का विवेचन करना और उस सम्बन्ध में अपना मत प्रकट करना आलोचना है”। कथन किसका है – बाबू श्यामसुन्दर दास
628- “सत्यं, शिव, सुन्दरम का समुचित अन्वेष्ण, पृथक्करण, अभिव्यंजना ही आलोचना है”। कथन किसका है – आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी
629- “आलोचना का कार्य कवि और उसकी कृति का यथार्थ मूल्य प्रकट करना है”। कथन किसका है – डॉ भागीरथ मिश्र
630- रेखाचित्र का वर्ण्य-विषय होता है – वास्तविक
631- हिन्दी संस्मरण लेखन का कार्य किसके समय से शुरु हुआ माना जाता है – महावीर प्रसाद द्विवेदी
632- ‘रेखाचित्र’ विधा का जनक माना जाता है – पद्मसिंह शर्मा
633- हिन्दी का प्रथम रेखाचित्र संग्रह है – पद्मपराग
634- प्रतापनारायण मिश्र के सम्बन्ध में किस लेखक ने संस्मरण लिखा है – बालमुकुन्द गुप्त
635- ‘स्मारिका’ में संकलित रेखाचित्र किससे संबंधित हैं – राजनीतिक क्षेत्र के महापुरुषों से
636- महादेवी वर्मा ने अपने समकालीन साहित्यकारों के रेखाचित्र प्रस्तुत किए हैं – पथ के साथी
637- ‘जंगल का जीव’ रचना किसकी है – श्रीराम शर्मा
638- “लोग माटी की मूरतें बनाकर सोने के भाव बेचते हैं पर बेनीपुरी सोने की मूरतें बनाकर माटी के मोल बेच रहे हैं”। कथन किसका है – मैथलीशरण गुप्त
639- हिन्दी में यात्रा-वृत्तान्त लिखने की परम्परा का सूत्रपात किस युग से है – भारतेन्दु
640- अण्डमान-निकोबार की सेल्युलर जेल की कथा किसने अपने यात्रावृत्त में लिखी – हिमांशु जोशी
641- हिन्दी की प्रथम आत्मकथा है – अर्धकथानक
642- हिन्दी की प्रथम महिला आत्मकथा लेखिका हैं – जानकी देवी बजाज
643- ‘सत्य की खोज’ किसकी आत्मकथा है – डॉ राजेन्द्र प्रसाद
644- अपनी आत्मकथा में राजनीतिक विचारों को प्रमुखता दी है – यशपाल
645- अपनी आत्मकथा को ‘स्मृति यात्रा यज्ञ’ किसने कहा है – हरिवंशराय बच्चन
646- ‘तसलीमा नसरीन’ की आत्मकथा कितने खण्डों में प्रकाशित हुई – सात
647- मन्नू भण्डारी द्वारा रचित आत्मपरक शैली में लिखी हुई आत्मकथा है – एक कहानी यह भी
648- “अगर में दुनिया के किसी पुरस्कार का तलबगार होता तो……………………।सहज निष्प्रयास प्रस्तुत, क्योंकि मुझे अपना ही चित्रण करना है”। ये पक्तियाँ बच्चन जी की किस रचना से ली गई हैं? – क्या भूलूँ क्या याद करूँ
649- “मैं जब सब परिधियाँ बाँध सकती थी…………। अपनी देह की भी खुद मालिक हूँ, मैं संचालक हूँ, संचालित नहीं”। कथन कि आत्मकथा से उद्धत है – आपहुदरी
650- हिन्दी के प्रथम जीवनी लेखक कौन हैं – बाबू कार्तिक प्रसाद खत्री
651- हिन्दी में जीवन साहित्य का आरम्भ किस युग से माना जाता है – भारतेन्दु
652- ‘दिनकर : एक सहज पुरुष’ में दिनकर के मानवीय पक्ष को किसने उभारने का प्रयास किया है – शिवसागर मिश्र
653- हिन्दी रिपोर्ताज विधा के जनक हैं – शिवदान सिंह चौहान
654- हिन्दी के प्रथम रिपोर्ताज ‘लक्ष्मीपुरा’ का प्रकाशन वर्ष है – 1938
655- “रेखाचित्र वस्तु, व्यक्ति अथवा घटना का शब्दों द्वारा………। अपना निजीपन उड़ेल कर प्राण प्रतिष्ठा कर देती है”। कथन किसका है – डॉ गोविन्द त्रिगुणायत
656- “संस्मरण लेखक की स्मृति से संबंध रखता है और स्मृति में वही अंकित रह जाता है जिसने उसके भाव या बोध को कभी गहराई में उद्वेलित किया हो”। कथन किसका है – महादेवी वर्मा
657- “अपने संस्मरण और रेखाचित्रों में महादेवी जी ने सर्वत्र भाषा प्रांजल्………………………।उनकी शैली में भावुकता और गम्भीर्य का जो पुट है, वह जीवन के मंगलमय रूप का दिग्दर्शक है”। कथन किसका है – पद्मसिंह शर्मा ‘कमलेश’
658- “बेनीपुरी जी ने चतुर पारखी जौहरी की भाँति जहाँ कहीं भी पात्र मिले…………॥विषय की जितनी विविधता और शैली का जितना अद्भुत चमत्कार बेनीपुरी जी में मिलता है, उतना अन्यत्र नहीं”। कथन किसका है – डॉ हरवंशलाल शर्मा
659- “छोटे-छोटे वाक्य, सरल शब्द, सहानुभूतिपूर्ण चित्रण्……………………………। श्रेष्ठ रेखाचित्र की सभी विशेषताएँ इनके रेखाचित्रों में मिलती हैं”। कथन किसका है – डॉ नगेन्द्र
660- “प्रायः प्रत्येक संस्मरण लेखक रेखाचित्र लेखक भी है और प्रत्येक रेखाचित्र लेखक संस्मरण लेखक भी है”। कथन किसका है – पद्मसिंह शर्मा
661- “डायरी वह चीज है जो रोज लिखी जाती है और उसमें घोर रूप् से वैयक्तिक बातें भी लिखी जा सकती हैं”। कथन किसका है – रामधारी सिंह दिनकर
662- “प्रवासी साहित्य नए हिन्दी को नई जमीन दी है और हमारे साहित्य का दायरा दलित विमर्श और स्त्री विमर्श की तरह विस्तृत किया है”। कथन किसका है – डॉ रामदरश मिश्र
663- “हिन्दी के प्रवासी साहित्य का रूप-रंग उसकी चेतना और संवेदना भारत के हिन्दी पाठकों लिए नई वस्तु है……………………हिन्दू जीवन मूल्यों तथा सांस्कृतिक उपलब्धियों तथा उनके प्रति श्रेष्ठता का भाव की अभिव्यक्ति होती है”। कथन किसका है – डॉ कमल किशोर गोयनका
664- संस्कृत काव्यशास्त्र का प्रथम आचार्य किसे माना जाता है – भरत मुनि
665- ‘पंचमवेद’ किसे माना जाता है – आचार्य भरतमुनि के नाट्यशास्त्र को
666- नाट्यशास्त्र के किस अध्याय में रस तथा भाव का वर्णन किया है – सप्तम
667- भामह का समय किस शती में माना जाता है – षष्ठ शती
668- ‘शब्दार्थों सहितौ काव्यम’ किस आचार्य का काव्य लक्षण – भामह
669- आचार्य दण्डी का समय माना जाता है – सप्तमी शती
670- आचार्य दण्डी द्वारा रचित ग्रन्थ है – काव्यादर्श
671- रीति सम्प्रदाय के प्रवर्तक आचार्य हैं – वामन
672- आचार्य वामन द्वारा रचित ग्रन्थ है – काव्यालंकार सूत्र
673- आचार्य उद्भट द्वारा रचित ग्रन्थ है – काव्यालंकार सार-संग्रह
674- रुद्रट का समय माना गया है – नौवीं शती
675- रुद्रट द्वारा रचित रचना है – काव्यालंकार
676- आनन्दवर्धन ने काव्यशास्त्र में किस सम्प्रदाय का प्रवर्तन किया – ध्वनि सम्प्रदाय
677- अभिनवगुप्त का समय माना जाता है – दसवीं शती
678- अभिनवगुप्त ने किस दार्शनिक कृति की रचना की – तन्त्रालोक
679- वक्रोक्ति सम्प्रदाय का प्रवर्तक माना जाता है – कुन्तक
680- ध्वनि विरोधी आचार्य कौन थे – धनंजय
681- धनंजय द्वारा रचित ग्रन्थ है – दशरूपक
682- महिम भट्ट का समय माना जाता है – ग्यारहवीं शती
683- मम्मट का समय स्वीकार किया जाता है – ग्यारहवीं शती उत्तरार्द्ध
684- मम्मट ने किस ध्वनि-विरोधी ग्रन्थ की रचना की – काव्य प्रकाश
685- औचित्य सम्प्रदाय का प्रवर्तक माना जाता है – क्षेमेन्द्र
686- रुय्यक द्वारा रचित ग्रन्थ है – अलंकार रत्नाकर
687- “अन्तःकरण की वृत्तियों का नाम कविता है” कथन किसका है – महावीर प्रसाद द्विवेदी
688- “जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञानदशा कहलाती है……………॥इस साधन को हम भावयोग कहते हैं और कर्मयोग और ज्ञानयोग के समकक्ष मानते हैं”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
689- “कविता ही मनुष्य के हृदय को स्वार्थ-सम्बन्धों के संकुचित मण्डल्………………शुद्ध अनुभुतियों का संचार होता है”। कथन किसका है – आचार्य शुक्ल
690- “काव्य तो प्रकृत मानव अनुभूतियों का……॥इसी सौन्दर्य-संवेदन को भारतीय पारिभाषिक शब्दावली में ‘रस’ कहते है”। कथन किसका है – नन्द दुलारे वाजपेयी
691- “काव्य आत्मा की संकल्पात्मक अनुभूति है जिसका संबंध विश्लेषण ……………॥काव्य में संकल्पनात्मक अनुभूति कही जा सकती है”। कथन किसका है – जयशंकर प्रसाद
692- कविता कवि-विशेष की भावनाओं का चित्रण है ……………………।वैसी ही भावनाएँ किसी दूसरे के हृदय में आविर्भूत होती है” कथन किसका है – महादेवी वर्मा
693- “कविता हमारे परिपूर्ण क्षणों की वाणी है”। कथन किसका है – पन्त
694- “रसात्मक शब्दार्थ ही काव्य है और उसकी छन्दोमयी विशिष्ट विधा आधुनिक अर्थ में कविता है”। कथन किसका है – डॉ नगेन्द्र
- ‘हिन्दी साहित्य के अतीत’ के लेखक हैं – विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
- ‘सम्पत्तिशास्त्र की भूमिका’ लेख किस पत्रिका में छपा था – सरस्वती
- ‘सात गीत वर्ष’ काव्य संग्रह है – धर्मवीर भारती
- बकरी-विलाप किसकी काव्य कृति है – भारतेन्दु
- ‘जरासन्धवध’ महाकाव्य की रचना किसने की है – गिरधरदास
- ‘मेघदूत’ काव्य का खड़ी बोली में अनुवाद किया है – राजा लक्ष्मण सिंह
- ‘जगतसचाईसार’ कविता के लेखक कौन हैं – श्रीधर पाठक
- ‘हम विषपायी जनम के’ कृति के लेखक कौन है – बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
- ‘सुमन’ किसकी काव्य रचना है – महावीर प्रसाद द्विवेदी
- ‘गर्भरण्डारहस्य’ रचना किस कवि की है – नाथूराम शर्मा शंकर
- ‘अनुरागरत्न’ किसकी रचना है – नाथूराम शर्मा शंकर
- ‘गुणवन्त हेमन्त’ किसकी रचना है – श्रीधर पाठक
- ‘उद्धवशतक’ के लेखक कौन हैं – जगन्नाथदास रत्नाकर
- ‘अनामिका’ किसका प्रथम काव्य संग्रह है – निराला
- ‘पंचवटी-प्रसंग’ काव्य के रचयिता हैं – निराला
- ‘गीतिका’ के रचनाकार हैं – निराला
- ‘अपराजिता’ के रचनाकार हैं – रामेश्वर शुक्ल अंचल
- ‘रवीन्द्र कविता कानन’ के रचनाकार हैं – निराला
- ‘अस्ताचल रवि’ किसकी रचना है – निराला
- ‘सप्तपर्णा’ किसकी काव्य कृति है – महादेवी
- ‘आकाशगंगा’ काव्य संग्रह है – रामकुमार वर्मा
- ‘हल्दीघाटी’ प्रबन्ध काव्य किसका है – श्यामनारायण पाण्डेय
- ‘ह्र्दय का मधुमास’ काव्य कृति है – आचार्य शुक्ल
- ‘एकलव्य’ काव्य कृति किसकी है – रामकुमार वर्मा
- ‘उर्मिला’ किसका प्रबन्ध काव्य है – बालकृष्ण शर्मा नवीन
- ‘मौर्य विजय’ किसकी रचना है – सियारामशरण गुप्त
- ‘एक फूल की चाह’ कविता किसकी है – सियारामशरण गुप्त
- ‘हारे के हरिनाम’ काव्यग्रन्थ किसका है – दिनकर
- ‘प्रवासी के गीत’ काव्य संग्रह किसका है – नरेन्द्र शर्मा
- ‘सूत की माला’ नामक राष्ट्रीय कविता के रचनाकार हैं – बच्चन
- ‘पत्रोत्कण्ठित जीवन का विष बुझा हुआ’ किसकी अन्तिम कविता है – निराला
- ‘मेधावी’ काव्य किसका है – रांगेय राघव
- ‘अग्निलीक’ प्रबन्ध रचना किसकी है – भारतभूषण अग्रवाल
- ‘बलदेव खटीक’ किसकी रचना है – लीलाधर जगूड़ी
- ‘अनुभव के आकाश में चाँद’ किसकी काव्य कृति है – लीलाधर जगूड़ी
- ‘मगध’ काव्य संकलन के कवि हैं – श्रीकान्त वर्मा
- ‘सन्दर्भ’ के लेखक हैं – डॉ विनय
- ‘बैरंग बेनाम चिट्ठियाँ’, ‘पक गयी है धूप’ किसकी कृति है – रामदरश मिश्र
- ‘सूर्य का स्वागत’ किसकी काव्य कृति है – दुष्यन्त
- ‘नयी कविता के प्रतिमान’ के लेखक कौन हैं – लक्ष्मीकान्त वर्मा
- नवगीत दशक-1,2,3 का सम्पादक कौन था – शम्भुनाथ सिंह
- ‘घर के बाहर घर’ कविता संग्रह किसका है – विष्णु नागर
- ‘रात में हारमोनियम’, ‘सुनो कारीगर’ किसकी रचनाएँ हैं – उदय प्रकाश
- ‘कलिकौतुक रुपक’ के लेखक हैं – प्रतापनारायण मिश्र
- ‘टालस्टाय और साइकिल’ किसकी काव्य कृति है – केदारनाथ सिंह
- ‘लकड़बग्गा हँस रहा है’ के कवि हैं – चन्द्रकान्त देवताले
- ‘कविआओं में औरत’, ‘कहती हैं औरतें’, ‘बीजाक्षर’ किसके काव्य संग्रह हैं – अनामिका
- ‘एक और आदमी भी है’, ‘अपनी शताब्दी के नाम’ काव्यग्रन्थ किसके हैं – दूधनाथ सिंह
- ‘शिवासाधना’, ‘विषपान’, ‘आहुति’ नाटक के रचनाकार हैं – हरिकृष्ण प्रेम
- ‘विश्वामित्र’ नाटक के लेखक हैं – उदयशंकर भट्ट
- ‘कोणार्क’, ‘शारदीया’, ‘पहलाराजा’ नाटकों के रचनाकार हैं – जगदीश चन्द्र माथुर
- ‘मादाकैक्टस’ नाटक किसका है – लक्ष्मीनारायण लाल
- ‘cचरणदास चोर’ किसकी नाट्यकृति है – हबीब तनवीर
- उत्तर प्रियदर्शी’ नाटयकृति किसकी है – अज्ञेय
- ‘हानूश’ नाटक किसका है – भीष्म साहनी
- ‘बादल की मृत्यु’ किसकी प्रथम एकांकी है – राम कुमार वर्मा
- ‘जोंक’, ‘लक्ष्मी का स्वागत’ एकांकियों के रचनाकार कौन हैं – उपेन्द्रनाथ अश्क
- ‘बीमार का इलाज’ एकांकी के रचनाकार हैं – उदयशंकर भट्ट
- पद्यात्मक भाव भूमि पर ‘श्यामास्वप्न’ उपन्यास की रचना किसने की – ठाकुर जगमोहन सिंह
- ‘रजिया बेगम’ किसकी रचना है – किशोरीलाल गोस्वामी
- ‘वैशाली की नगर वधू’ उपन्यास के लेखक हैं – चतुरसेन शास्त्री
- ‘प्रतिज्ञा’ उपन्यास के लेखक हैं – प्रेमचन्द
- ‘परख’ किस रचनाकार का प्रथम उपन्यास है – जैनेन्द्र
- ‘त्यागपत्र’ उपन्यास के रचनाकार हैं – जैनेन्द्र
- ‘चतुरी चमार’ उपन्यास के लेखक हैं – निराला
- ‘देहाती-दुनिया’ उपन्यास के लेखक हैं – शिवपूजन सहाय
- ‘झूठा-सच’ उपन्यास के लेखक हैं – यशपाल
- ‘संन्यासी’ किसकी कृति है – इलाचन्द्र जोशी
- ‘चित्रलेखा’ उपन्यास के लेखक हैं – भगवती चरण वर्मा
- ‘बीज’ उपन्यास के लेखक हैं – अमृतराय
- ‘मानस का हंस’ उपन्यास के लेखक कौन हैं – अमृतलाल नागर
- ‘बया का घोंसला’, ‘रूपजीवा’ उपन्यास के लेखक हैं – लक्ष्मीनारायण लाल
- ‘नीलाचाँद’ उपन्यास के लेखक हैं – शिवप्रसाद सिंह
- ‘रागदरबारी’ उपन्यास के लेखक हैं – श्रीलाल शुक्ल
- ‘नौकर की कमीज’, ‘दीवार में एक खिड़की रहतीन थी’ उपन्यास हैं – विनोद कुमार शुक्ल
- ‘चाक’, ‘झूलानट’ उपन्यास की लेखिका हैं – मैत्रेयी पुष्पा
- ‘मुझे चाँद चाहिए’ उपन्यास के लेखक हैं – सुरेन्द्र वर्मा
- ‘राखीबन्द भाई’ कहानी के लेखक हैं – वृन्दावन लाल वर्मा
- ‘हत्या’ कहानी के लेखक हैं – जैनेन्द्र
- ‘धूपरेखा’ कहानी के लेखक हैं – अज्ञेय
- ‘वोल्गा से गंगा तक’ किसकी रचना है – राहुल सांकृत्यायन
- ‘सतह से उठता आदमी’ कहानी के लेखक हैं – मुक्तिबोध
- ‘सफेद कौआ’ कहानी के लेखक हैं – मंजुल भगत
- ‘दरयाई घोड़ा’, ‘वारेन हेस्टिंग्स का सांड’ कहानी के लेखक हैं – उदय प्रकाश
- ‘कसाईबाड़ा’ कहानी के लेखक हैं – शिवमूर्ति
- ‘हिन्दी कोविन्दरत्नमाला’ के लेखक हैं – श्यामसुन्दर दास
- ‘साहित्यालोचन’ कृति के रचनाकार हैं – श्यामसुन्दर दास
- ‘हिन्दी साहित्य विमर्श’ के लेखक हैं – पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
- ‘सिद्धान्त और अध्ययन’ के लेखक हैं – गुलाबराय
- ‘महाकवि सूरदास’ किसकी आलोच्य कृति है – नन्ददुलारे वाजपेयी
- ‘सुमित्रानन्दन पन्त’, ‘कामायनी के अध्ययन की समस्याएँ’, ‘भारतीय सौन्दर्य शास्त्र की भूमिका’, ‘रससिद्धान्त’ नामक आलोच्यों ग्रन्थ के लेखक हैं - डॉ नगेन्द्र
- ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण’ के लेखक हैं – राम विलास शर्मा
- ‘वाद विवाद और संवाद’, ‘छायावाद’ के लेखक हैं – नामवर सिंह
- ‘कविता के नए प्रतिमान’ के लेखक हैं – नामवर सिंह
- ‘कबीर बाज भी, कपोत भी, पपीहा भी’ के लेखक हैं – डॉ धर्मवीर
- ‘प्रेमचन्द : सामन्त का मुंशी’ के लेखक हैं – डॉ धर्मवीर
- ‘महात्मा गांधी’ जीवनी लेखक हैं – रामचन्द्र वर्मा
- अमृत लाल नागर के जीवन से सम्बन्धित ‘वट वृक्ष की छाया में’ के लेखक हैं – कुमुद नागर
- ‘मेरी जीवन यात्रा’ किसकी आत्मकथा है – राहुल सांकृत्यायन
- ‘मेरी आत्मकहानी’ के लेखक हैं – श्यामसुन्दरदास
- ‘अर्द्धकथा’ किसकी आत्मकथा है – डॉ नगेन्द्र
- ‘मेरे सात जन्म’ चार भागों में किसकी आत्मकथा है – हंसराज रहबर
- ‘कस्तूरी कुण्डल बसै’ किसकी आत्मकथा है – मैत्रेयी पुष्पा
- ‘आज के अतीत’ के लेखक हैं – भीष्म साहनी
- ‘गालिब छूटी शराब’ आत्मकथा है – रवीन्द्र कालिया
- ‘संतप्त’ किस दलित साहित्यकार की आत्मकथा है – सूरजपाल चौहान
- ‘अन्या से अनन्या’ किसकी आत्मकथा है – प्रभाखेतान
- ‘सहचर है समय’ चार भागों में किसकी आत्मकथा है – रामदरश मिश्र
- ‘कली यह भी’ आत्मकथा है – मन्नू भण्डरी
- ‘पावभर जीरे में ब्रह्मभोज’ आत्मकथा है – अशोक वाजपेयी
- ‘पिंजरे की मैना’ आत्मकथा है – चन्द्रकिरण सोनरिक्सा
- ‘जूठन’ किसकी आत्मकथा है – ओमप्रकाश वाल्मीकि
- हिन्दी की पहली रेखाचित्र पद्मपराग किसकी रचना है – पदमसिंह
- ‘रेखाएं और चित्र’ के लेखक हैं – उपेन्द्रनाथ अश्क
- ‘आदमी से आदमी तक’ रेखाचित्र किसका है – भीमसेन त्यागी
- ‘लालतारा’ के रचनाकार कौन हैं – रामवृक्ष बेनीपुरी
- ‘जंगल के जीव’ कृति के लेखक हैं – श्रीराम शर्मा
- हिन्दी की प्रथम यात्रा साहित्य की पुस्तक ‘सरयू पार की यात्रा’ के लेखक हैं – भारतेन्दु
- ‘चीड़ों पर चाँदनी’ के लेखक हैं – निर्मल वर्मा
- ‘अप्रवासी की यात्राएँ’ किसका यात्रा वृत्तांत है – डॉ नगेन्द्र
- ‘हिमालय की यात्रा’ किस लेखक की पुस्तक हैं – काका कालेकर
- ‘तंत्रालोक से यंत्रालोक तक’ के रचनाकार हैं – डॉ नगेन्द्र
- ‘लोहे की दीवारों के दोनों ओर’ किसकी कृति है – यशपाल
- ‘कितने शहरों में कितनी बार’ की लेखिका हैं – ममता कालिया
- हिन्दी के प्रथम रिपोतार्ज ‘लक्ष्मीपुरा’ के लेखक हैं – शिवदान सिंह चौहान
- ‘छप्पर’ किसकी रचना – जय प्रकाश कर्दम
- ‘मिट्टी की सौगन्ध’ रचना है – प्रेम पकौडिया
- ‘हैरी कब आएगा’ रचना है – सूरजपाल चौहान
- ‘अंधेर बस्ती’ किसकी रचना है – ओमप्रकाश वाल्मीकि
- ‘अक्करमाशी’ किसकी आत्मकथा है – शरणकुमार लिम्बाले
- ‘जूठन’ किसकी रचना है – ओमप्रकाश वाल्मीकि
- ‘मुर्दहिया’ के लेखक हैं – तुलसीराम
- ‘तिरस्कृत’ आत्मकथा है – सूरजपाल चौहान
- ‘दलित विमर्श की भूमिका’ किसकी आलोचनात्मक कृति है – जय प्रकाश कर्दम
- ‘उठाईगीर’ आत्मकथा है – लक्ष्मण गायकवाड़
- ‘अपने-अपने पिंजरे’ किसकी आत्मकथा है – मोहनदास नैमिशराय
रचनाएँ एवं प्रकाशन वर्ष
छटी शताब्दी – परमात्माप्रकाश, योगसार,
आठवीं शताब्दी – पउमचरिउ, रिट्ठणेमिचरिउ, नागकुमार चरिउ,
नौवीं शताब्दी – खुमाण रासो
दसवीं शताब्दी – महापुराण, भविष्यतकहा, राउलवेल
ग्यारहवीं शताब्दी – विजयपाल रासो, पाहुड़ दोहा, ढोलामारू रा दूहा
बारहवीं शताब्दी – बीसलदेव रासो, पृथ्वीराज रासो, हम्मीर रासो, जयचन्द प्रकाश, जयमयंक जसचन्द्रिका, उपदेश रसायन रास, सन्देश रासक
तेरहवीं शताब्दी – परमाल रासो
चौदहवीं शताब्दी – विद्यापति पदावली, खुसरों की पहेलियाँ, वर्णरत्नाकर,
936 हिजरी – आखिरी कलाम
1370 ई- हंसावली
1379 ई- चन्दायन
1501 ई – सत्यवती कथा
1503 ई - मृगावती
1540 ई – पद्मावत
1442 ई – रामायणकथा
1444 ई – भरतमिलाप ,अंगदपैज
1545 ई -मधुमालती
1568 ई – रूपमंजरी
1571 ई - कृष्णगीतावली
1574 ई - रामचरितमानस
1582 ई – पार्वतीमंगल,जानकीमंगल
1583 ई - दोहावली
1584 – माधवनल-कामकंदला
1585 ई – भक्तमाल, अष्टयाम,
1590 ई – छिताईवार्ता
1601 ई – रामचन्द्रिका
1610 ई – रामायण महानाटक(काव्य)
1612 ई - वैराग्यसंदीपनी ,रामाज्ञाप्रश्नावली ,कवितावली
1613 ई – चित्रावली
1618 ई - रामरासो
1619 ई – ज्ञानदीप
1623 ई - हनुमन्नाटक
1624 ई – आध्यात्म रामायण
1641- अर्धकाथानक
1643- अवध विलास
1736 ई – हंस-जवाहिर
1744 ई – इन्द्रावती
1646 ई – रामायण (कपूरचन्द)
1764 ई – अनुराग बाँसुरी
1790 ई – युसुफ-जुलेखा
1847 ई – प्रेमदर्पण
1857- नुहुष
1862- शकुन्तला(राजा लक्ष्मण सिंह)
1870- देवरानी जेठानी की कहानी
1872- रानी केतकी की कहानी
1875- प्रेम-जोगिनी
1877- भाग्यवती, रणधीर प्रेम मोहिनी, भारत-जननी
1878- मुद्राराक्षस,
1880- धूर्त रसिकलाल, भारत-दुर्दशा
1881- अंधेर नगरी
1882- परीक्षा गुरू
1886- नूतन ब्रह्मचारी, संयोगिता स्वयंवर
1888- चन्द्रकान्ता, श्यामास्वप्न,
1889- भारत सौभाग्य
1890- निःसहाय हिन्दू, धूर्त रसिक लाल(लज्जाराम शर्मा), सौभाग्यश्री, लवंगलता
1892- सौ अजान एक सुजान
1893- प्रद्मुम्न विजय,
1894- रुक्मिणी परिणय
1896- अद्भुत लाश, चन्द्रकान्ता संतति 24 भाग,
1898- महाराणा प्रताप,
1899- ठेठ हिन्दी का ठाठ, कबीर कुण्डल, स्वतन्त्र और परतन्त्र लक्ष्मी, सरकटी लाश,
1900- श्रीकृष्ण शतक, प्रेम प्रपंच, प्रेमांबु प्रवाह, वारिध, बेकसूर की फाँसी, इन्दुमती
1901- जासूस की भूल, एक टोकरी भर मिट्टी
1902- चन्द्रिका,
1903- प्लेग की चुड़ैल, पण्डित और पण्डितानी,
1904- मृत्युंजय, प्रेम पुष्पोपहार, कश्मीर सुषमा
1906- रामरावण विरोध
1907- अधखिला फूल, दुलाईवाली
1908- पुतलीमहल
1909- रंगभंग, काव्योपवन, उर्वशी(जयशंकर प्रसाद), वन मिलन, प्रेम राज्य
1910- सज्जन, जयद्रथवध, अयोध्या का उद्धार, शोकोच्छवास, स्वदेशी कुण्डल
1911- वभ्रुवाहन, भोजपुर की ठगी, ग्राम,
1912- भारत-भारती, वसन्त-वियोग
1913- कानन कुसुम, नमक का दरोगा, गुप्तभेद, रक्षाबन्धन,
1914- प्रिय प्रवास, मौर्य विजय, प्रायश्चित, महाराणा का महत्व, प्रेम पथिक, आदर्श हिन्दू
1915- तिलोत्तमा, देहरादून, उसने कहा था, सौत, मेरी कैलाश यात्रा,
1916- जूही की कली, चन्द्रहास, वैतालिक, पत्रावली, पंचपरमेश्वर,
1917- किसान, मिलन,
1918- झरना, चित्रधारा, सेवासदन, हृदय की परख, बलिदान,
1919- गल्पमंजरी,
1920- उच्छवास, ग्रन्थि, पथिक, आत्माराम
1922- प्रेमाश्रम, हार की जीत, गृहदाह, हार की जीत(सुदर्शन), माई का शोकगीत,
1923- शकुन्तला, अनामिका, आपबीती, परीक्षा, चिनगारियाँ,
1924- दूर्वादल, व्यभिचार, सवा सेर गेहूँ, शैतान मण्डली,
1925- पद्म प्रसून, पंचवटी, विषाद, रंगभूमि, आँसू, पंचवटी, अनघ, पल्लव, रंगभूमि, शतरंज के खिलाड़ी,
1926- देहाती दुनिया, प्रतिध्वनि, ककाजी, रामराज्य न्याय, अछूतोद्धार, मेरी जर्मन यात्रा,
1927- मानसी, वीणा, आर्द्रा, निर्मला, कामना, हिन्दू, निर्मला, चन्द हसीनों के खतूत, दिल्ली का दलाल, मास्टर साहब, पतन, सुजान भगत, इन्द्रधनुष, बलात्कार,
1928- शक्ति, उपहार, भारत गीत, बुधुवा की बेटी, चॉकलेट, खेल, स्कन्दगुप्त, अनघ
1929- माँ, गुरुकुल, विकटभट, स्वप्न, प्रतिज्ञा, कंकाल, भिखारिणी, परख, आकाशदीप, दोज़ख की आग, फाँसी, संन्यासी, पद्म पराग,
1930- नीहार, दुराचार के अड़डे, सत्याग्रह, परिमल, शराबी, चाँदनी रात, पूस की रात, बादल की मृत्यु,
1931- अप्सरा, अलका, गबन, चन्द्रगुप्त, राक्षस का मन्दिर, मुकुल, रहस्यमयी, गबन, गदर, आँधी
1932- साकेत, चुभते चौपदे, चोखे चौपदे, यशोधरा, गुंजन, रश्मि, मुक्ति का रहस्य, मधुकण, कर्मभूमि, ठाकुर का कुआँ, बेटों वाली विधवा, राक्षस का मन्दिर,
1933- लहर, यशोधरा, पाथेय, भग्नदूत, अलका, ईदगाह, ध्रुवस्वामिनी
1934- राजयोग, सिन्दूर की होली, भीम-प्रतिज्ञा, ज्योत्सना, शूल-फूल, तितली, चित्रलेखा, नशा, बड़े भाई साहब, रक्षाबन्धन
1935- रेणुका, युगान्त, नीरजा, गोदान, सुनीता, लक्ष्मी का स्वागत, कर्तव्य, विद्रोहिणी अम्बा, कामायनी, सरोज स्मृति, मधुशाला, गोदान , मंगलसूत्र, मन्दिर दीप, कारवाँ, स्पर्धा,
1936- मृण्मयी, गीतिका, सांध्यगीत, द्वापर, निरूपमा, मेघनाद, राम की शक्तिपूजा, युगांत, मधुबाला, प्रभावती, कफन, द्वापर, सिद्धराज, वेश्या पुत्र, तीन वर्ष, विराट की पद्मिनी, इन्द्रजाल, पनघट, सबसे बड़ा आदमी, मेरी बाँसुरी
1937- बापू, मधुकलश, त्याग पत्र, सरकार तुम्हारी आँखों में, विपथगा, अंगूर की बेटी, मत्स्यगन्धा, बोलती प्रतिमा, मेरी तिब्बत यात्रा,
1938- तुलसीदास, प्रभात फेरी, मधुलिका, कल्पलता, ग्रामगीत, प्रणभंग, हुँकार
1939- कुमकु, युगवाणी, एकान्त संगीत, अपराजिता, प्रवासी के गीत, कल्याणी, पिंजरे की उड़ान, ज्ञानदान, चिन्तामणी1, मेरी लद्दाख यात्रा,
1940- यामा, ग्राम्या, वैदेही वनवास, नहुष, परिजात, रसवंती, दो कलाकार, सागर प्रवास, आवारे की यूरोप यात्रा, यूरोप झरोखे में, युद्ध यात्रा,
1941- हल्दीघाटी, मन्जीर, शेखर एक जीवनी-1, दादा कामरेड़, संन्यासी, पर्दे की रानी, अतीत के चलचित्र,
1942- कुकुरमुत्ता, कुणालगीत, काबा और कर्बला, करील, चिन्ता, जीजाजी, पाजेब, शृंखला की कड़ियाँ,
1943- हिम किरीटिनी, आकुल अन्तर, पलाशवन, कामिनी, देशद्रोही,
1944- लाल चूनर, शेखर एक जीवनी-2,
1945- जौहर, घण्टा, चिन्तामणी2, त्रिशंकु
1946- कुरुक्षेत्र, इत्यलम, बेला और नए पत्ते, अणिमा, बंगाल का काल, हंसमाला, नाश और निर्माण, झाँसी की रानी, टेढ़े-मेढ़े रास्ते, प्रेत की छाया, मुर्दों का गाँव, मिट्टी की ओर, माटी की मूरतें,
1947- युग की गंगा, नींद के बादल, हरिऔध सतसई, स्वर्ण धूलि, स्वर्ण किरण, महाकाल, गिरती दीवारें, स्मृति की रेखाएँ, रूस में पच्चीस मास,
1948- वाणभट्ट की आत्मकथा, अशोक के फूल, युगपथ, मुर्दों का टीला, रतिनाथ की चाची, मशाल, खण्डहर की आत्माएँ, दो दुनिया, शरणार्थी, चौपाल में, अशोक के फूल, किन्नर देश में
1949- हिम तरंगिनी, उत्तरा, रक्तचन्दन, हरी घास पर क्षण भर, काठ की घण्टियाँ(1949-57), गुनाहों का देवता, जयसन्धि, फूलों का कुर्ता, स्वर्ग और पृथ्वी, बुझता दीपक, जंगल के जीव, घुमक्कड़शास्त्र, राहुल यात्रावासी,
1950- पृथ्वी पुत्र, अर्चना, अग्निशास्त्र, मृगनयनी, इन्सान के खण्डहर, गेहूँ और गुलाब,
1951- माता, रजत शिखर, कोणार्क
1952- रश्मिरथी, जयभारत, शिल्पी, सूरज का सातवाँ घोड़ा, नदी के द्वीप, गर्म राख, बलचनमा, गंगा मैया, अर्धनारीश्वर, यात्रा के पन्ने,
1953- सरोज स्मृति, अराधना, गीत फरोश, भाग्यरेखा, वितस्ता की लहरें, भूदान यज्ञ, चितवन की छाँह, अरे यायावर रहेगा याद, आखिरी चट्टान तक
1954- मैला आँचल, बाबा बटेसरनाथ, यशोधरा जीत गई, सोमनाथ, आलमगीर, विस्मृत यात्री, नील कुसुम, गीतगुंज, वर्षान्त के बादल, बावरा अहेरी, बनपाँखी सुनो, बड़ी-बड़ी आँखें, अंजो दीदी, रेती के फूल,
1955- अतिमा, नाव के पाँव, जहाज का पंछी, बहता पानी, उत्तमी की माँ, अन्धायुग, अँधाकुंआ, रेखाएँ और चित्र, बचपन की स्मृतियाँ, मेरी पाँचवी जर्मन यात्रा, मेरी अफ्रीका यात्रा,
1956- युग चरण, धूप के धान, बूँद और समुद्र, सागर लहरे और मनुष्य, किसानों का देश, हमारी सांस्कृतिक एकता, उजली आग, पथ के साथी, मण्टो मेरा दुश्मन, मेरे असहयोग के साथी, जिनका मैं कृतज्ञ, एशिया के दुर्गम खण्डों में, राहबीती,
1957- विष्णुप्रिया, सौवर्ण, पत्थर अल पत्थर, कब तक पुकारूँ, जहाँ लक्ष्मी कैद है, राजा निरबंसिया, कोशी का घटवार, मैं हार गई, तुम चन्दन हम पानी, देशस-विदेश,
1958- वाणी, बुद्ध और नाचघर, झूठा सच-1, जानवर और जानवर, कस्बे का आदमी, कर्मनाश की हार, अषाढ़ का एक दिन, अंगद का पाँव, ठेले पर हिमालय, त्रिधारा(विवेकी राय), राष्ट्र भाषा और राष्ट्रीय एकता, मील के पत्थर,
1959- कला और बूढ़ा चाँद, शतरंज की मोहरें, डाक बंगला, भूले-बिसरे चित्र, सती मैया का चौरा, सहयात्री, मादा कैक्टस, धर्म नैतिकता और विज्ञान, ज्यादा अपनी कम पराई, स्मृति कण, चीन में कम्यून,
1960- झूठा सच-2, सोना और खून, माहायात्रा गाथा, सप्तपर्णा, सीढ़ियों पर धूप, द्रौपदी, सुहाग के नुपूर, परिन्दे, तीन आँखों वाली मछली, चीन में क्या देखा, एक बूँद सहसा उछली, अरबों के देश में,
1961- उर्वशी, आँगन के पार द्वार, अपने-अपने अजनबी, शिलापंख चमकीले, कुछ और कविताएँ, परिवेशः हम तुम, पानी की प्राचीर, पचपन खम्भे लाल दीवारें, एक और जिन्दगी, जाने-अनजाने,
1962- प्यासी पथराई आँखें, चार खेमे चौंसठ खूंटे, बोलने दो चीड़ को, छोटे-छोटे ताजमहल, फिर बेतलवा डाल पर, समय के पाँव, नए पुराने झरोखे,
1963- लहरों के राजहंस, चारुचन्द्र लेख, खोई हुई दिशाएँ, दस तस्वीरें,
1964- लोकायतन, प्यासा निर्झर, चाँद का मुँह टेढ़ा है, नीम के फूल, कुटुज, चीड़ों पर चाँदनी
1965- फूल नहीं रंग बोलते हैं, महाप्रस्थान, कुछ शब्द कुछ रेखाएँ,
1966- आधागाँव, अमृत और विष, फौलाद का आकाश, मांस का दरिया, मैंने सिल पहुँचाई, पगडण्डियों का जमाना,
1967- कितनी नावों में कितनी बार, आत्महत्या के विरुद्ध, खूँटियों पर टँगे लोग(1967-81), एक पति के नोट्स, रुकोगी नहीं राधिका, अलग-अलग वैतरणी, काठ का सपना, पेपरवेट, सदाचार का ताबीज, चेतना के बिम्ब,
1968- प्रिया नीलकण्ठी, तीन निगाहों की एक तश्वीर, रागदरबारी, लोग बिस्तरों पर,
1969- टोपी शुक्ला, जल टूटता हुआ, बन्दगली का आखिरी मकान, नौ साल छोटी पत्नी, कलंकी, मृत्युंजय, पहला राजा, आधे-अधूरे, गोरी नजरों में हम,
1970- रस आखेटक, सबहिं नचावत राम गोसाईं, शिकायत मुझे भी है, कहनी-अनकहनी, मेरी यात्राएँ
1971- बुनी हुई रस्सी, आपका बन्टी, बेघर, सतह से उठता आदमी, जीप सवार इल्लियाँ, किसी बहाने, स्मारिका, जिन्होंने जीना जाना,
1972- मिट्टी की बारात, संसद से सड़क तक, मानस हंस, सूरज मुखी अँधेरे में, नैमिषारण्ये, सूखता हुआ तालाब, कितना बड़ा झूठ, कर्फ्यू, इतिहासचक्र, आलोक पर्व, राह किनारे बैठ, मेरा परिवार, अप्रवासी की यात्राएँ,
1973- तमस, जाल समेटा, पुनर्नवा, बयान, अब्दुल्ला दीवाना, तिलस्म, जगाने का अपराध, जिनके साथ जिया,
1974- गली आगे मुड़ती है, बकरी, टूटते परिवार,
1975- चुका भी हूँ नहीं मैं, उसके हिस्से की धूप, नरक दर नरक, सुबह का डर, कितनी कैदें, नरसिंह कथा, सूर्य की अन्तिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक, तीसरा हाथी, कुहासा और किरण, दूसरी सतह
1976- कल सुनना मुझे, अनामदास का पोथा, गरीबी हटाओ, शहर दर शहर, आठवाँ सर्ग
1977- महावृक्ष के नीचे, सीन 75, पागल कुत्तों का मसीहा, एक धनी व्यक्ति का बयान, टुकड़ा-टुकड़ा आदमी, हानूश, एक और द्रोणाचार्य, शैलानी की डायरी,
1978- नाच्यौ बहुत गोपाल, कटरा बी आर्जू, छाया मत छूना, डिलोफिल जल रहे हैं, घरौंदा, आधुनिक लड़की की पीड़ा
1979- जिन्दगीनामा, महाभोज, चित्तकोबरा, जंगल में आग, एक अदद औरत, ययाति,
1980- ताप के ताए हुए दिन, प्रेम कहानी, बादलों के घेरे में, जहर ठहरा हुआ,
1981- हे मेरी तुम, मार प्यार की थापें, उस जनपद का कवि हूँ , कबिरा खड़ा बजार में, असाध्य वीणा, खंजन नयन, तीसरी हथेली, सृजन का सुख-दुःख
1982- दिल्ली ऊँचा सुनती है, चिड़िया की आँख, अग्निकाण्ड, स्वप्न भंग, संस्कार को नमस्कार, रक्त बीज, लोग भूल गये हैं, बिखरे तिनके, घर, लाक्षागृह, त्रासदियाँ, कहाँ है द्वारिका
1983- बाढ़ का पानी, आधी रात के बाद, रावणलीला, चेहरे, कहें केदार खरी-खरी, पुरानी जूतियों का कोरस, तत्सम, किस्सा लोकतन्त्र, कव्वे और काला पानी, प्रतिदिन, युगपुरुष,
1984- अपूर्वा, जमुन जल तुम, सुदामा पाण्डेय का जन्तन्त्र, सात नदियाँ एक समन्दर, वनतुलसी की गन्ध, दीवानखाना,
1985- अरण्या, कोई मेरे साथ चले, गाना बड़े गुलाम अली साहब का, उसका यौवन, हत्यारे, अफसर की बात,
1986- शहर में कर्फ्यू, सदी का सबसे बड़ा आदमी, स्मृतिलेखा,
1987- शाल्मली, देहान्तर, दुम की वापसी, पत्रों की तरह चुप,
1988- काल तुझसे होड़ है मेरी, समर शेष है1, कलन्दर, पागलघर, सींगधारी, हजारी प्रसाद द्विवेदी : कुछ संस्मरण(कमल किशोर गोयनका),
1989- ठीकरे की मँगनी, मेरा पहाड़, नाटक बाल भगवान, अदालतनामा, भारत भूषण अग्रवाल : कुछ यादें कुछ चर्चाएँ(बिन्दु अग्रवाल)
1990- आओ पेंपें घर चलें, शकुन्तला की अंगूठी, क्या मुझे खरीदोगे?, खम्भों का खेल,
1991- तालाबन्दी, कोर्ट मार्शल,
1992- गुलाम बादशाह, याद हो कि न याद हो, जिनकी याद हमेशा रहेगी
1993- दिलोदानिश, छिन्नमस्ता, अपने-अपने अजनबी, जिन्दा मुहावरे,
1994- दो पैसे की जन्नत, नौ मैंस लैण्ड
1995- पाँच आँगनों वाला घर
1996- पीली आँधी, कठगुलाब, यही सच है, अगली शताब्दी का शहर,
1997- एक पत्नी के नोट्स, गंगा से गटर तक, शब्दिता,
1998- विश्रामपुर का संत, दलित, तोता झूठ नहीं बोलता, वसीयत, सबसे उदास कविता, जलता हुआ रथ,
1999- आवाँ, काल कोठरी
2000- रास्तों पर भटकते हुए,
2001- तबादला, शेष कादम्बरी
2003- अक्षयवट, कुइयांजान, जापान में कुछ दिन, कितना अकेला आकाश, जहाँ फव्वारे लहू रोते हैं,
2004- रंगभूमि(सुरेन्द्र वर्मा)
2006- ग्लोबल गाँव के देवता
2009- दुक्खम-सुक्खम, सही नाप के जूते, प्रेम की भूतकथा,
2010- रेहन पर रग्घू
2012- अन्त हाजिर हो
2013- स्वामी(मन्नू भण्डारी)
2014- मैं कहती हूँ आँखिन देखी
2016- क्रिस्टेनिया मेरी जान
2017- तुम्हें बदलना ही होगा
रचनाकाए एवं उनकी रचनाएँ
कबीर- बीजक
धरमदास- अमरसुख निधान
रैदास- ईश्वर महिमा, ज्ञान और भक्ति परक काव्य
गुरुनानक- जपुजी, असादीवार, रहिरास सोहिला, नसीहत नामा
गरीबदास- साखी, सवैया, रेख्ता, झूलना, अरिल, रमैनी
मलूकदास- ज्ञानबोध, अवतार लीला
सहजोबाई- गुरुमहिमा, प्रेम, वैराग्य, भक्तिपरक उपदेशात्मक काव्य
असाइत- हंसावली
मुल्ला दाऊद- चन्दायन
कुतुबन- मृगावती
मंझन- मधुमालती
उसमान- चित्रावली
नूरमोहम्मद- अनुराग बाँसुरी, इन्द्रावती
नसीर- प्रेम दर्पण
नन्ददास- रूपमंजरी
ईश्वरदास- सत्यवती कथा, भरत मिलाप, अंगद पैज
रामानन्द- रामरक्षा स्त्रोत
अग्रदास- ध्यानमंजरी, अष्टयाम, रामभजन मंजरी, उपासना बावनी, पदावली
नाभादास- भक्तमाल, अष्टयाम
केशवदास- रामचन्द्रिका, रसिक प्रिया, कविप्रिया, जहाँगीर जसचन्द्रिका, विज्ञान गीता
चिन्तामणि- शृंगार मंजरी, काव्य प्रकाश, रस विलास, कबिकुल कल्पतरु, काव्य विवेक
भूषण- शिवराज भूषण, छत्रसाल दशक, शिवाबावनी, अलंकार प्रकाश
कुलपति मिश्र- रस नख-सिख, दुर्गा भक्ति, तरंगिणी, मुक्ततरंगिणी, संग्रामसार
मण्डन- रस रत्नावली, रस विलास, नख-सिख, जनक पचीसी, नैन पचासा, काव्य रत्न
देव- भाव विलास, कुशल विलास, रस विलास, जाति विलास, प्रेम तरंग, काव्य रसायन, देव शतक, प्रेमचन्द्रिका, प्रेम दीपिका, राधिका विलास
मतिराम- मतिराम सतसई, ललित ललाम, रसराज, अलंकार पंचाशिका, वृत्त कौमुदी,
सुरति मिश्र- नख-सिख, अलंकार माला, रसरत्नमाला, काव्यसिद्धान्त, रस रत्नाकर, शृंगार सागर, भक्ति विनोद
घनानन्द- पदावली, सुजान हित प्रबन्धम, प्रीति प्रवास, कृपाकन्द निबंध, यमुना यश, प्रकीर्णन छन्द
भिखारीदास- काव्य निर्णय, शृंगार निर्णय, रस सारांश, छन्द प्रकाश, छन्दार्णव
पद्माकर- जगदविनोद, पद्माभरण, गंगालहरी, प्रबोध पचासा, प्रताप सिंह विरुदावली
बेनी प्रवीन- नवरस तरंग, शृंगार भूषण
चन्द्रशेखर- रसिक विनोद, नख-सिख, माधवीवसन्त, वृन्दावनशतक, गुरुपंचाशिका
द्विजदेव- शृंगार लतिका, शृंगार बत्तीसी, कवि कल्पद्रुम, शृंगार चालीसा
रसनिधि- रतन हजारा, विष्णुपद कीर्तन, कवित्त, हिण्डोला, सतसई,
भारतेन्दु(1850-1885)- (काव्य- प्रेममालिका, प्रेम सरोवर, प्रेम माधुरी, वर्षा विनोद, प्रेम फुलवारी, मधु-मुकुल, विनय प्रेम पचासा), (नाटक- भारत-दुर्दशा, वैदिक हिंसा-हिंसा न भवति, सत्य हरिश्चन्द्र, श्रीचन्द्रावली, विषस्य-विषमौषधम, नील देवी, अंधेर नगरी, सती प्रताप, प्रेम-जोगिनी आदि), (निबन्ध- सुलोचना, परिहासवंचक, दिल्ली दरबार दर्पण, लीलावती)
प्रेमघन(1855-1923)- (काव्य- ब्रजचन्द पंचक, जीर्ण जनपद, आनन्द अरुणोदय, लालित्य लहरी, अलौकिक लीला, वर्षा बिन्दु), (नाटक- भारत सौभाग्य)
बालकृष्ण भट्ट- (नाटक- दमयन्ती स्वयंवर, नल-दमयन्ती, जैसा काम वैसा परिणाम, आचार विडम्बन), (निबन्ध- साहित्य सुमन, भट्ट निबन्धमाला), (उपन्यास- रहस्य कथा, नूतन ब्रह्मचारी, सौ अजान एक सुजान)
प्रतापनरायण मिश्र(1856-1894)- (काव्य- प्रेम पुष्पावली, मन की लहर, शृंगार विलास, लोकोक्तिशतक, तृप्यन्ताम), (नाटक- संगीत शाकुन्तल)
जगमोहन सिंह(1857-1899)- (काव्य- प्रेम सम्पत्तिलता, श्यामा सरोजनी, देवयानी, ॠतुसंहार, मेघदूत),
अम्बिकादत्त व्यास(1858-1900)- (काव्य- सुरवि सतसई, हो हो होरी, बिहारी विहार, पावन पचासा)
नवनीत चतुर्वेदी(1868-1919)- (काव्य- कुब्जा पच्चीसी)
राधाकृष्ण दास(1865-1907)- (काव्य- भारत बारहमासा, देश दशा, रहीम के दोहों पर कुण्डलियों की रचना)
महावीर प्रसाद(1864-1938)- (काव्य- काव्य मंजूषा, कविता कलम, सुमन), (निबन्ध- रसज्ञ रंजन, साहित्य सीकर, कालिदास एवं उनकी कविता, कौटिल्य कुठार, वनिता विलास)
हजारी प्रसाद द्विवेदी- (उपन्यास- बाण भट्ट की आत्मकथा, चारूचन्द्र लेख, पुनर्नवा, अनामदास का पोथा), (निबन्ध- अशोक के फूल, विचार और वितर्क, विचार प्रवाह, आलोक पर्व, कल्पलता, कुटुज)
हरिऔध(1865-1947)- (काव्य- प्रिय प्रवास, पद्म प्रसून, चुभते चौपदे, चोखे चौपदे, रस कलश वैदेही वनवास, श्रीकृष्ण शतक, वैदेही वनवास, ग्रामगीत, हरिऔध सतसई), (नाटक- प्रद्युम्न विजय, रुक्मिणी परिणय)
मैथलीशरण गुप्त(1886-1964)- (काव्य- रंग में भंग, जयद्रथ वध, भारत-भारती, तिल्लोतमा, किसान, वैतालिक, शकुन्तला, पंचवटी, हिन्दू, मेघनाद वध, शक्ति, झंकार, साकेत, यशोधरा, द्वापर, नहुष, जय-भारत, विष्णुप्रिया, काबा और कर्बला), (नाटक- अनघ, गीतिनाट्य)
रायदेवी प्रसाद(1868-1915)- काव्य(स्वदेशी कुण्डल, मृत्युंजय, राम रावण विरोध, वसन्त वियोग)
गया प्रसाद शुक्ल(1883-1972)- काव्य(कृषक क्रन्दन, प्रेम पचीसी, त्रिशूल तरंग, करूणा कासम्बिनी)
नाथूराम शर्मा शंकर(1859-1932)- (काव्य- अनुरागरत्न, शंकर सरोज, गर्भरंडा रहस्य, शंकर सर्वस्व)
माखनलाल चतुर्वेदी(1889-1968)- (काव्य- हिम किरीटनी, हिम तरंगिनी, युग चरण, समर्पण, माता), (नाटक- कृष्णार्जुन युद्ध)
रामनरेश त्रिपाठी(1889-1962)- (काव्य- मिलन, पथिक, मानसी, स्वप्न), (नाटक- सुभ्रदा, जयन्त)
सियारामशरण गुप्त(1895-1963)- (काव्य-मौर्य विजय, अनाथ, दूर्वादल, विषाद, आर्दा, पाथेय, मृण्मयी, बापू), (उपन्यास-गोद, अन्तिम अकांक्षा, नारी)
बालकृष्ण शर्मा(1897-1948)- (काव्य-कुमकुम, उर्मिला, अपलक, रश्मि रेखा, क्वासि, हम विषपायी जन्म के, बिनोवा स्तवन)
सुभद्राकुमारी(1905-1948)- (काव्य- त्रिधारा, मुकुल)
दिनकर(1908-1974)- (काव्य- रेणुका, प्रणभंग, हुंकार, रसवन्ती, कुरुक्षेत्र, परशुराम की प्रतिक्षा, रश्मिरथी, उर्वशी, नील कुसुम, हारे को हरिनाम), (निबन्ध- मिट्टी की ओर, अर्द्धनारीश्वर, रेती के फूल, हमारी सांस्कृतिक एकता, उजली आग, वेणुवन, राष्ट्रभाषा और राष्ट्रीय एकता, धर्म नैतिकता और विज्ञान, वटपीपल, साहित्यमुखी, आधुनिकता बोध)
सोहनलाल द्विवेदी(1906-1988) (काव्य- भैरवी, वासवदत्ता, कुणाल, चित्रा, प्रभाती, युगधारा, पूजागीत)
श्यामनारायण पाण्डेय(1907-1991) (काव्य- हल्दीघाटी, जौहर)
जयशंकर प्रसाद(1889-1937)- (काव्य- झरना, आँसू, लहर, कामायनी, उर्वशी, वन मिलन, अयोध्या का उद्धार, शोकोच्छवास, वभ्रुवाहन, कानन कुसुम, प्रेम पथिक, करुणालय, महाराणा का महत्व), (उपन्यास- कंकाल, तितली, इरावती), (कहानी- ग्राम, प्रतिध्वनि, आकाशदीप, आँधी, इन्द्रजाल, खण्डहर की लिपि, पत्थर की पुकार, उस पार का योगी, प्रतिमा, कला, देवदासी, मंधुवा, स्वर्ग के खण्डहर, छोटा जादूगर, दासी आदि), (नाटक- सज्जन, कल्याणी परिणय, प्रायश्चित, करूणालय, राज्यश्री, विशाख, अजातशस्त्रु, कामना, जनमेजय का नागयज्ञ, स्कन्दगुप्त, एक घूँट, चन्द्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी)
निराला(1899-1969)- (काव्य- अनामिका, परिमल, गीतिका, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, बेला और नए पत्ते, अर्चना, सरोजस्मृति, अराधना, गीतगुंज, अणिमा), (उपन्यास- अप्सरा, अलका, प्रभावती, निरुपमा),
पन्त(1900-1977)- (काव्य- छायावादी-उच्छवास, ग्रन्थि, वीणा, पल्लव, गुंजन/ प्रगतिवादी-ग्राम्या, युगान्त, युगवाणी, युगपथ/अरविन्द दर्शन-स्वर्ण किरण, स्वर्ण धूलि, उत्तरा, कला और बूढ़ा चाँद, वाणी/नवमानवतावादी-लोकायतन, चिदम्बरा, किरण वीणा/काव्य नाटक-रजत शिखर, शिल्पी, सौवर्ण, अतिमा, मानसी, ज्योत्स्ना), (उपन्यास- हार), (नाटक- रजत शिखर, शिल्पी, सौवर्ण)
महादेवी(1907-1987)- (काव्य- नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, यामा), (निबन्ध- शृंखला की कड़ियाँ, साहित्यकार की आस्था अथा अन्य निबन्ध)
श्रीधर पाठक(1859-1928)- (काव्य- कश्मीर सुषमा, देहरादून, भारत गीत)
हरिवंशराय बच्चन(1907-2003)- (काव्य- मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, एकान्त संगीत, आकुल अन्तर, मिलन यामिनी, बंगाल का काल, आरती और अंगारे, बुद्ध और नाचघर, चार खेमे चौंसठ खूंटे, जाल समेटा)
रामेश्वर शुक्ल ‘अचंल’(1915-1995)- (काव्य- मधूलिका, अपराजिता, करील, किरणबेला, वर्षान्त के बादल), (उपन्यास- चढ़ती धूप, नई इमारत, उल्का, मरुप्रदीप)
नरेन्द्रशर्मा(1913-1989)- (काव्य- शूल-फूल, प्रभात फेरी, प्रवासी के गीत, पलाशवन, कामिनी, हंसमाला, रक्तचंदन, द्रौपदी)
केदारनाथ अग्रवाल(1911-2000)- (काव्य- फूल नहीं रंग बोलते हैं, नींद के बादल, युग की गंगा, आग का आइना, हे मेरी तुम, अपूर्वा, आत्मगंध)
नागार्जुन(1911-1998)- (काव्य- युगधारा, सतरंगे पंखों वाली, पुरानी जूतियों का कोरस, हजार-हजार बाहों वाली, तुमने कहा था, खिचड़ी विप्लव देखा हमने, रत्नगर्भ, भूमिजा, प्यासी पथराई आँखें, भस्मांकुर), (उपन्यास- बलचनमा, रतिनाथ की चाची, नई पौध, बाबा बटेसरनाथ, दुःखमोचन, वरुण के बेटे, कुम्भीपाक, उग्रतारा)
रांगेय राघव(1923-1962)- (काव्य- अजेय खण्डहर, मेधावी, पांचाली, राह के दीपक, पिघलते पत्थर), (उपन्यास- मुर्दों का टीला, कब तक पुकारूँ, मेरी भवबाधा हरो, विषादमठ, लखिमा की आँखें, देवकी का बेटा, यशोधरा जीत गई, अँधेरे के जुगनू),
शिव मंगल सिंह सुमन(1915-2002)- (काव्य- मिट्टी की बारात, हिल्लोल पर आँखें नहीं भरीं, एशिय जाग उठा, जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी, प्रलय, सृजन)
त्रिलोचन शास्त्री(1917-2007)- (काव्य- धरती, दिगंत, शब्द, ताप के ताए हुए दिन, उस जनपद का कवि हूँ, अरधान, फूल नाम है एक, चैती, सबका अपना आकाश)
अज्ञेय(1911-1987)- (काव्य- भग्नदूत, चिंता, इत्यलम, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इन्द्रधनुष रौंदे हुए ये, आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ, महावृक्ष के नीचे, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, नदी की बाँक छाया, असाध्य वीणा), (उपन्यास- शेखर एक जीवनी, नदी के द्वीप, अपने-अपने अजनबी), (कहानी- विपथगा, पारम्परा, कोठरी की बात, शरणार्थी, जयदोल, अमरबल्लरी, तेरे प्रतिरूप) (निबन्ध- त्रिशंकु, सबरंग कुछ राग, आत्मनेपद, आलबाल, लिखी कागद कोरे, कहाँ है द्वारिका, छाया का जंगल, धार और किनारे, अरे यायावर रहेगा याद)
मुक्तिबोध(1917-1964)- (काव्य- चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी-भूरी खाक धूल, ब्रह्म राक्षस), (उपन्यास- विपात्र, काठ का सपना), (कहानी- काठ का सपना, सतह से उठता आदमी, नई जिन्दगी, जलना, पक्षी और दीमक, विपात्र),
अमरकान्त- (कहानी- जिन्दगी और जोंक, देश के लोग, मौत का नगर, मित्र मिलन, कुहासा, एक धनी व्यक्ति का बयान, सुख और दु:ख का साथ, दोपहर का भोजन)
गिरिजाकुमार माथुर(1919-1994)- काव्य(मन्ज़ीर, नाश और निर्माण, आत्महत्या के विरुद्ध, हंसो-हंसो जल्दी हंसो, लोग भूल गये हैं, कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ), (कहानी- चार मोती बेआब, नीम के फूल, किसकी, पेपरवेट, शहर-दर-शहर, हम प्यार कर लें, वल्दरोज़ी, गाना बड़े गुलाम अली खाँ का, यह देह, आन्द्रे की प्रेमिका)
दूधनाथ सिंह- ( कहानी- खमाट चेहरे वाला आदमी, सुखान्त, पहला कदम, माई का शोकगीत, नमो अन्धकार, निष्कासन, रीक्ष)
उदय प्रकाश- (कहानी- दरियाई घोड़ा, तिरिछ, और अन्त में प्रार्थना, पाल गोमरा का स्कूटर, पीली छतरी वाली लड़की, दत्तात्रेय का दुःख)
अब्दुल बिस्मिल्लाह- (कहानी- टूटा हुआ पंख़, कितने-कितने सवाल, रैन बसेरा, अतिथि देवो भव, रफ-रफ मेल)
भवानी प्रसाद मिश्र(1914-1985)- काव्य(गीतफरोश, चकित है दुःख, बुनी हुई रस्सी, खुशबू के शिलालेख, तूस की आग, ये मेरे कोहरे हैं)
धर्मवीर भारती(1926-1997)- (काव्य- अन्धायुग, कनुप्रिया, सात गीत वर्ष, ठण्डा लोहा, देशान्तर), (कहानी- मुर्दों का गाँव, स्वर्ग और पृथ्वी, चाँद और टूटे हुए लोग, बन्द गली का आखिरी मकान, गुल्कीबन्नो), (निबन्ध- ठेले पर हिमालय, पश्यन्ती, कहनी-अनकहनी, कुछ चेहरे कुछ चिन्तन, शब्दिता)
निर्मल वर्मा- (कहानी- परिन्दे, जलती झाड़ी, पिछली गर्मियों में, बीच बहस में, कव्वे और कालापानी, सूखा)
नरेश मेहता(1922-2000)- काव्य(बनपाँखी सुनो, बोलने दो चीड़ को, अरण्या, महाप्रस्थान)
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना(1927-2017)- (काव्य- काठ की घण्टियाँ, बाँस का पुल, एक सूनी नाव, गर्म हवाएँ, कुआनो नदी, जंगल का दर्द, खूँटियों पर टँगे लोग, कोई मेरे साथ चले), (उपन्यास- सोया हुआ जल, पागल कुत्तों का मसीहा, अँधेरे पर अँधेरा, उड़ते हुए रंग), (नाटक- बकरी, लड़ाई, कल भात आएगा, अब गरीबी हटाओ),
कुँवर नारायण(1927-2017)- काव्य(चक्रव्यूह, परिवेश हम तुम, आत्मजयी, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों, न सीमाएँ न दूरियाँ)
शमशेर बहादुर(1911-1993)- काव्य(चुका भी नहीं हूँ मैं, इतने पास अपने, उदिता, बात बोलेगी, इतने पास अपने, काल तुझसे होड़ है मेरी, कहीं बहुत दूर से सुन रहा हूँ)
धूमिल(1936-1975)- (काव्य- संसद से सड़क तक, कल सुनना मुझे, सुदामा पाण्डेय का जनतन्त्र)
लज्जाराम शर्मा- (उपन्यास- धूर्त रसिकला, स्वतन्त्र और परतन्त्र लक्ष्मी, आदर्श हिन्दु)
गोपालगहमरी- (उपन्यास- अद्भुत लाश, सरकटी लाश, गुप्तचर, बेकसूर की फाँसी, खूनी कौन, मायाविनी, जासूस की भूल, किले में खून, भोजपुर की ठगी, गुप्तभेद)
देवकीनन्दन खत्री- (उपन्यास- चन्द्रकान्ता, चन्द्रकान्ता संतति, नरेन्द्र मोहिनी, वीरेन्द्र वीर, कुसुम कुमारी, भूतनाथ), (नाटक- सीताहरण, रामलीला)
प्रेमचन्द- (उपन्यास- सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, प्रतिज्ञा, गबन, कर्मभूमि, गोदान, मंगलसूत्र), (कहानी- सौत, नमक का दरोगा, पंचपरमेश्वर, बलिदान, आत्माराम, बूढ़ी काकी, गृहदाह, हार की जीत, परीक्षा, आपबीती, सवा सेर गेहूँ, शतरंज के खिलाड़ी, सुजान भगत, इस्तीफा, अलग्योझा, पूस की रात, तावान, होली का उपहार, बेटों वाली विधवा, नशा, बड़े भाई साहब, कफन, दिल की रानी, सदावृक्ष, मोटेराम शास्त्री), (नाटक- कर्बला, संग्राम)
चतुरसेन शास्त्री- (उपन्यास- ह्रदय की परख, व्यभिचार, ह्रदय की प्यास, अमर अभिलाषा, आत्मदाह, पूर्णाहुति, रक्त की प्यास, अपराजिता, वैशाली की नगर वधू, सोमनाथ, आलमगीर), (कहानी- दुखवा मैं कासो कहूँ मेरी सजनी, प्रबुद्ध, आम्रपाली, भिक्षुराज, बावर्चिन, हल्दी घाटी में ककड़ी की कीमत)
शिवपूजन सहाय- (उपन्यास- देहाती दुनिया)
बेचेन शर्मा ‘उग्र’- (उपन्यास- चन्द हसीनों के खतूत, दिल्ली का दलाल, बधुआ की बेटी, शराबी, सरकार तुम्हारी आँखों में, जीजाजी, घण्टा), (कहानी- चिनगारियाँ, शैतान मण्डली, इन्द्रधनुष, बलात्कार, चॉकलेट, दोजख की आग, निर्लज्जा), (नाटक- चुम्बन, डिक्टेटर)
सुदर्शन- (कहानी- हार की जीत, तीर्थयात्रा, पुष्पलता, गल्पमंजरी, सुप्रभात, परिवर्तन, पनघट, कवि की स्त्री)
ॠषभचरण जैन- (उपन्यास- मास्टर साहब, चाँदनी रात, वेश्यापुत्र, मन्दिरदीप, चम्पाकली)
भगवती चरण वर्मा- (उपन्यास- पतन, चित्रलेखा, तीन वर्ष, टेढ़े मेढ़े रास्ते, आखिरी दाँव, भूले-बिसरे चित्र, रेखा, सबहिं नचावत राम गुसाईं), (नाटक- तारा)
उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’- (उपन्यास- गिरती दीवारें, गर्म राख, बड़ी-बड़ी आँखें, पत्थर अल पत्थर), (कहानी- अंकुर, नासूर, डावी, पिंजरा, गोखरू, आकाशचारी, पलंग), (नाटक- लक्ष्मी का स्वागत, स्वर्ग की झलक, छठा बेटा, अंजो दीदी, अन्धी गली, पैंतरे, सूखी डाली, तौलिए, कस्बे के क्रिकेट क्लब का उद्घाटन, कैद, उड़ान, लौटता हुआ दिन, जय-पराजय, स्वप्न)
इलाचन्द्र जोशी- (उपन्यास- घृणामयी, संन्यासी, पर्दे की रानी, प्रेत और छाया, निर्वासित, मुक्तिपथ, जिप्सी, जहाज का पंछी, ॠतुचक्र, भूत का भविष्य), (कहानी- धूपरेखा, दीवाली और होली, रोमांटिक छाया, आहुति, खण्डहर की आत्माएँ, डायरी के नीरस पत्र, कंटीले फूलों के जहरीले काँटे)
यशपाल- (उपन्यास- दादा कामरेड, देश्द्रोही, पार्टी कामरेड, मनुष्य के रूप, झूठा-सच, दिव्या), (कहानी- पिंजरे की उड़ान, ज्ञानदान, अभिशप्त, तर्क का तूफान, भस्मावृत्त चिंगारी, दो दुनिया, फूलों का कुर्ता, धर्मयुद्ध, उत्तराधिकारी, चित्र का शीर्षक, उत्तमी की माँ, तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ, सच बोलने की भूल, खच्चर और आदमी, भूख के तीन दिन)
अमृतलाल नागर- (उपन्यास- नवाबी मसनद, सेठ बाँकेमल, महाकाल, एकदा नैमिषरण्ये, अमृत और विष, बूँद और समुद्र, शतरंज की मोहरें, सुहाग के नूपुर, मानस का हंस, नाच्यो बहुत गोपाल, खंजन नयन, बिखरे तिनके)
वृन्दावनलाल वर्मा- (उपन्यास- विराट की पद्मिनी, कचनार, मृगनयनी, अहिल्याबाई, माधोजी सिन्धिया, भुवनविक्रम)
राही मासूम रजा- (उपन्यास- आधा गाँव, टोपी शुक्ला, दिल एक सादा कागज, नीम का पेड़, सीम75, असन्तोष के दिन, ओस की बूँद, कटरा बी आरजू)
हबीब तनवीर- (नाटक- आगरा बाजार, राजा चम्बा और चार भाई, गाँव के नाव, ससुरार मोर नाव दामाद, ख्याल, ठाकुर, पृथ्वीपाल सिंह, चरनदास चोर)
साकृत्यायन- (उपन्यास- सिंह सेनापति, जय यौधेय, वोल्गा से गंगा तक, शैतान की आँखें)
फणीश्वरनाथ ‘रेणु’- (उपन्यास- मैला आँचल, परती परिकथा, दीर्घतपा, जुलूस, कितने चौराहे, कलंक-मुक्ति, पतिव्रता, पल्टू बाबू रोड), (कहानी- ठुमरी, आदिम रात्री की महक, अग्निखोर, एक श्रावणी दोपहर की धूप, अच्छे आदमी, तीसरी कसम)
रामचन्द्र शुक्ल- (कहानी- ग्यारह वर्ष का समय), (निबन्ध- चिन्तामणि, रस मीमांसा)
डॉ नगेन्द्र- (निबन्ध- आस्था के चरण, विचार और अनुभूति, विचार और विवेचना, विचार और विश्लेषण, अनुसन्धान और आलोचना, चेतना के बिम्ब)
विद्यानिवास मिश्र- (निबन्ध- तुम चन्दन हम पानी, मैंने सिल पहुँचाई, चितवन की छाँह, कदम की फूली डाल, मेरे राम का मुकुट भीग रहा है, हल्दी दूब, कौन तू फुलवा बीनन हारी, कंटीले तारों के आर-पार)
कुबेरनाथ राय- (निबन्ध- रस आखेटक, प्रिया नीलकण्ठी, पर्ण मुकुट, गन्ध मादन, विषाद योग, महाकवि की तर्ज़नी, कामधेनु, त्रेता का वृहद साम)
डॉ नामवर सिंह- (निबन्ध- बकलमखुद, वाद-विवाद संवाद, संस्कृति और सौन्दर्य)
विवेकी राय- (निबन्ध- किसानों का देश, गाँव की दुनिया, त्रिधारा, फिर बैतलवा डाल पर, जुलूस रुका है, नया गाँव नाम, आस्था और चिन्तन, वन तुलसी की गन्ध, उठ जाग मुसाफिर)
विश्वम्भर शर्मा ‘कौशिक’- (कहानी- रक्षाबन्धन, ताई, चित्रशाला, गल्पमन्दिर, मंगली, प्रेम प्रतिमा, मणिमाला, कल्लोल), (उपन्यास- भिखारिणी), (नाटक- अत्याचार का परिणाम, हिन्दू विधवा नाटक)
मोहन राकेश- (उपन्यास- न आने वाला कल, नीली बाँहों की रोशनी में, काँपता हुआ दरिया, कई एक अकेले), (कहानी- इन्सान के खण्डहर, नए बादल, जानवर और जानवर, एक और जिन्दगी, फौलाद का आकाश), (नाटक- अषाढ़ का एक दिन, लहरों के राज हंस, आधे-अधूरे)
रामदरश मिश्र- (उपन्यास- पानी की प्राचीर, जल टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब)
राजेन्द्र यादव- (उपन्यास- उखड़े हुए लोग, प्रेत बोलाते हैं, शह और मात, अनदेखे अनजाने पुल), (कहानी- देवताओं की मूर्तियाँ, खेल-खिलौने, जहाँ लक्ष्मी कैद है, छोटे-छोटे ताजमहल, किनारे-से-किनारे तक, टूटना, अपने पार, ढोल, हासिल)
नरेश मेहता- (उपन्यास- डूबते मस्तूल, प्रथम फाल्गुन, धूमकेतु, नदी यशस्वी है, यह पथ बन्धु था, उत्तरकथा)
श्रीलाल शुक्ल- (उपन्यास- रागदरबारी, विश्रामपुर का संत, सीमाएँ टूटती हैं, आदमी का जहर, अज्ञातवास)
गिरिराज किशोर- (उपन्यास- जुगलबन्दी, ढाई घर, यथा प्रस्तावित, चिड़ियाघर, साहब, मात्राएँ, पहला गिरमिटिया), (नाटक- गुर्म अयद, नरमेध, केवल मेरा नाम लो)
विष्णुप्रभाकर- (उपन्यास- निशिकान्त, तट के बन्धन, अर्द्धनारीश्वर, स्वप्नमयी), (नाटक- डॉक्टर, समाधि, कुहासा और किरण, अब और नहीं, युगे-युगे क्रान्ति, टूटते परिवेश, श्वेत कमल), (एकांकी- लिपस्टिक की मुस्कान, दृष्टि की खोज, बीमार)
कमलेश्वर- (उपन्यास- डाक बंगला, काली आँधी, समुद्र में सोता हुआ आदमी, सुबह दोपहर शाम, एक सड़क सत्तावन गलियाँ), (कहानी- राजा निरबंसिया, कस्बे का आदमी, खोई हुई दिशाएँ, मांस का दरिया, बयान, आजादी मुबारक, जॉज पंचम की नाक, अपना एकान्त, मानसरोवर के हंस, इतने अच्छे दिन, कितने पाकिस्तान), (नाटक- अधूरी आवाज)
शरतचन्द्र- (उपन्यास- श्रीकान्त, देवदास, चरित्रहीन, गृहदाह, परिणीता)
भीष्म साहनी- (उपन्यास- तमस, झरोखे, कडियाँ, बसन्ती), (नाटक- हानूश, कबीरा खड़ा बाजार में, मुआवजे, आलमगीर, रंग दे बसन्ती चोला)
सुरेन्द्र वर्मा- (नाटक- द्रौपदी, सूर्य की अन्तिम किरण से पहली किरण तक, सेतुबन्ध, आठवाँ सर्ग, छोटे सैयद बड़े सैयद, शकुन्तला की अंगूठी, कैद-ए-हयात)
डॉ लक्ष्मीनारायण लाल- (नाटक- अन्धा कुआँ, मादा कैक्टस, तीन आँखों वाली मछली, सुन्दर रस, सूखा-सरोवर, रक्तकमल, रातरानी, दर्पण, सूर्यमुख, कलंकी, मिस्टर अभिमन्यु, कर्फ्यू, अब्दुल्ला दीवाना, राम की लड़ाई, सगुन पक्षी, पंच पुरुष, गंगा माटी), (एकांकी- मड़वे का भोर, ताजमहल के आँसू, पर्वत के पीछे, नाटक बहुरंगी और दूसरा दरवाजा)
जी पी श्रीवास्तव- (नाटक- उलट-फेर, दुमदार आदमी, मरदानी औरत, विवाह विज्ञापन, मिस अमेरिकन, गड़बड़झाला, नाक में दम उर्फ जवानी बनाम बुढ़ापा उर्फ मियां की जूती मियां के सिर, भूलचूक, चोर के घर छिछोर, चाल बेढ़ब, साहित्य का सपूत, स्वामी चौखटानन्द)
डॉ राम कुमार वर्मा- (एकांकी- समुद्रगुप्त पराक्रमांक, औरंगजेब की आखिरी रात, प्रेम की आँखें, प्रतिशोध, उत्सर्ग)
शैलेश मटियानी- (उपन्यास- आकाश कितना अनन्त है, मुठभेड़, सर्पगन्धा, डेरे वाले, बावन नदियों का संगम, चन्द औरतों का शहर, किस्सा नर्मदा बेन गंगूबाई, बोरीबली से बोरीबन्दर तक, उगते सूरज की कृपा)
शेखर जोशी- (कहानी- दाज्यू, कोसी का घटवार, अप्रतीक्षित, सहयात्री, प्रश्नवाचक आकृतियाँ, समर्पण, मृत्यु, दौड़, रास्ते, बदबू, साथ के लोग, हलवाह, मेरा पहाड़, नौरंगी बीमार है)
विभूतिनारायण राय- (उपन्यास- घर, शहर में कर्फ्यू, किस्सा लोकतन्त्र, तबादला, प्रेम की भूतकथा)
मन्नू भण्डारी- (उपन्यास- एक इंच मुस्कान, आपका बंटी, महाभोज, स्वामी), (कहानी- मैं हार गई, यही सच है, एक प्लैट सैलाब, तीन निगाहों की एक तस्वीर, त्रिशंकु)
कृष्णा सोबती- (उपन्यास- सूरजमुखी अँधेरे के, डार से बिछुड़ी, मित्रोमरजानी, यारों के यार, दिलोदानिश, हम हशमत, जिन्दगीनामा), (कहानी- बादलों के घेरे में, सिक्का बदल गया, यारों के यार)
उषा प्रियंवदा- (उपन्यास- पचपन खम्भे लाल दीवारें, रुकोगी नहीं राधिका), (कहानी- वापसी, जिन्दगी और गुलाब के फूल, फिर बसन्त आया, एक कोई दूसरा, कितना बड़ा झूठ)
मृदुला गर्ग- (उपन्यास- चित्तकोबरा, उसके हिस्से की धूप, वंशज, कठगुलाब, मैं और मैं), (कहानी- कितनी कैदें, टुकड़ा-टुकड़ा आदमी, डिफोडिल जल रहे हैं, ग्लेशियर से, उर्फ सैम, समागम, मेरे देश की मिट्टी अहा, वसु का कुटुम)
ममता कालिया- (उपन्यास- दुक्खम-सुक्खम, बेघर, नरक दर नरक, प्रेम कहानी), (कहानी- छुटकारा, सीट नं, प्रतिदिन, उसका यौवन, बोलने वाली औरत, मुखौटा, थोड़ा सा प्रगतिशील)
प्रभाखेतान- (उपन्यास- आओ पेंपें घर चले, तालाबन्दी, छिन्नमस्ता, अपने-अपने चेहरे, पीली आँधी)
नासिरा शर्मा- (उपन्यास- सात नदियाँ एक समुन्दर, शाल्मली, ठीकरे की मँगनी, जिन्दा-मुहावरे, अक्षयवट, कुइयाजान), (कहानी- शामी कागज, पत्थर गली, सगसार, इब्नेमरियम, सबीना के चालीस चोर, खुदा की वापसी, इन्सानी नस्ल, दूसरा ताजमहल, अदब की बाई पसली)
अलका सरावगी- (उपन्यास- कलिकथा वाया बाईपास, शेष कादम्बरी)
चित्रा मुद्गल- (कहानी- जहर ठहरा हुआ, लाक्षागृह, अपनी वापसी, जगदम्बा बाबू गाँव जा रहे हैं, जिनावर, भूख, लपटें, पेंटिंग अकेली है)
मैत्रेयी पुष्पा- (कहानी- चिन्हार, ललमनियाँ, गोमा हँसती है, पियरी का सपना)
मेहरुन्निसा परवेज- (कहानी- आदम और हव्वा, टहनियों पर धूप, फाल्गुनी, गलत पुरुष, अन्तिम चढ़ाई, अम्मा, समर, लाल गुलाब)
क्रमानुसार- रचनाएँ एवं लेखक
- ॠग्वेद, त्रिपिटक, प्राकृत प्रकाश, जैन ग्रन्थ आगम
- संस्कृत, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश
- अपभ्रंश, ब्रजभाषा, अवधी, खड़ीबोली
- पूर्व से पश्चिम की ओर-मैथली, अवधी, ब्रज, हरियाणवी
- पश्चिम से पूर्व की ओर-पंजाबी, कौरवी, अवधी, भोजपुरी
- उत्तर से दक्षिण की ओर- बाँगरू, बुन्देली, मालवी, मैथिली
- गार्सा-द-तासी, शिवसिंह सेंगर, जॉर्ज ग्रियर्सन, मिश्रबन्धु
- ब्रह्मसमाज, प्रार्थना समाज, आर्य समाज, थियोसोफिकल सोसायटी
- इन्दु, मर्यादा, प्रताप, चाँद
- उदन्त मार्तण्ड, प्रजामित्र, प्रजाहितैषी, हरिश्चन्द्र मैगजीन
- हिन्दी प्रदीप, भारत मित्र, कविवचन सुधा, सरस्वती
- चन्दबरदाई, अमीर खुसरो, विद्यापति, कबीर
- स्वयंभू, चन्दबरदाई, विद्यापति, कबीर
- बीसलदेवरासो, पृथ्वीराज रासो, हम्मीर रासो, खुमाण रासो
- नेमीश्वर बलि, प्रहलाद चरित, भागवत दशम स्कन्ध, हरि चरित
- सीता हरण, सुदामा चरित, रामचरितमानस, रुक्मिणी मंगल
- हंसावली, चन्दायन, ढोला मारू रा दूहा, सत्यवती कथा
- मृगावती, माधवानल कामकन्दला, पद्मावत, मधुमालती
- रूपमंजरी, छिताई वार्ता, चित्रावली, रसरतन
- ज्ञानदीप, हंस जवाहिर, अनुराग बांसुरी, इन्द्रावती
- बालकाण्ड, अरण्यकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, उत्तरकाण्ड
- रामानन्द, नरहरिदास, तुलसी, प्रियादास
- बिहारी, मतिराम, भूषण, देव
- केशव, बिहारी, भूषण, पद्माकर
- रसिकप्रिया, रामचन्द्रिका, कविप्रिया, रतनबावनी
- रसिकप्रिया, कविप्रिया, रतनबावनी, जहाँगीर जसचन्द्रिका
- केशव, घनानन्द, भिखारीदास, पद्माकर
- बिहारी, आलम, भूषण, भिखारीदास
- नयनपचीसी, पवनपचीसी, शृंगार शिक्षा, यमक सतसई
- भाषा योगवशिष्ठ, सुखसागर, प्रेमसागर
- अष्टयाम, वैशाख महात्म्य, बैताल पचीसी
- बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन, राधाकृष्ण दास, श्रीधर पाठक
- भारत दुर्दशा, अँधेरी नगरी, भारत जननी
- बंगदूत, प्रजामित्र, तत्त्वाबोधिनी, कविवचनसुधा
- उदन्त मार्तण्ड, सुधाकर, लोकमित्र
- कविवचनसुधा, हरिश्चन्द्र मैगजीन, प्रदीप, ब्राह्मण
- रत्नावली, पाखण्ड-विडम्बन, धनजविजय, कर्पूर मंजरी
- भारत जननी, सत्य हरिश्चन्द्र, मुद्राराक्षस, दुर्लभ बन्धु
- श्री चन्द्रावली, भारत दुर्दशा, नीलदेवी, सती-प्रताप
- विद्यासुन्दर, प्रेमजोगिनी, विषस्य विषमौषधम, अँधेर नगरी
- जयद्रथ वध, भारत-भारती, पंचवटी, झंकार
- साकेत, यशोधरा, द्वापर, जयभारत
- पंचवटी, यशोधरा, जयभारत, विष्णुप्रिया
- अयोध्या सिंह उपाध्याय, रायदेवी प्रसाद, रामचरित उपाध्याय
- श्रीधर पाठक, जगन्नाथदास रत्नाकर, सत्यनारायण कविरत्न
- झरना, जूही की कली, पल्लव, कामायनी
- झरना, आँसू, लहर, कामायनी
- उर्वशी, कानन कुसुम, प्रेमपथिक, करुणालय
- अनामिका, परिमल, गीतिका, तुलसीदास
- राम की शक्ति पूजा, सरोज स्मृति, कुकुरमुत्ता
- ग्रन्थि, वीणा, पल्लव, गुंजन
- नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत
- युगधारा, सतरंगे पंखों वाली, प्यासी पथराई आँखें, तुमने कहा था
- केदारनाथ अग्रवाल, शिवमंगल सिंह सुमन, त्रिलोचन, रांगेय राघव
- भारतेन्दु युग, द्विवेदी युग, नई कविता, समकालीन कविता
- युग की गंगा, फूल नहीं रंग बोलते हैं, आग का आइना, हे मेरी तुम
- प्रिय प्रवास, साकेत, कामायनी, लोकायतन
- रामचरितमानस, दोहावली, गीतावली, विनय पत्रिका
- हरिऔध, मैथलीशरण गुप्त, श्रीधर पाठक, रामनरेश त्रिपाठी
- उर्वशी, कनुप्रिया, यशोधरा, आत्मजयी
- प्लेटो, अरस्तु, लोंजाइनस, कॉलरिज
- कविवचन सुधा, सरस्वती, चाँद, हंस
- झूठा सच, आधा गाँव, सूखा बरगद, तमस
- चिन्तामणी, केशव, बिहारी, पद्माकर
- प्रियप्रवास, झरना, राम की शक्ति पूजा, लोकायतन
- कीर्तिपताका, रामचरित मानस, रामचन्द्रिका, कृष्णायन
- साकेत, कामायनी कुरुक्षेत्र, अन्धायुग
- मृगावती, ज्ञानदीप, इन्द्रावती, अनुराग बाँसुरी
- महावीर प्रसाद, आचार्य शुक्ल, हजारी प्रसाद, विद्यानिवास मिश्र
- शृंखला की कड़ियाँ, अशोक के फूल, अर्द्धनारीश्वर, आत्मनेपद
- परीक्षा गुरु, निस्सहाय हिन्दू, ठेठ हिन्दी का ठाठ, देहाती दुनियाँ
- पुनर्नवा, वाणभट्ट की आत्मकथा, चारुचन्द्र लेख, अनामदास का पोथा
- ग्यारह वर्ष का समय, दुलाई वाली, पंचपरमेश्वर, दोपहर का भोजन
- चन्द्रावली, स्कंदगुप्त, झाँसी की रानी, कबिरा खड़ा बाजार में
- राज्यश्री, अजातशस्त्रु, चन्द्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी
- मेरी जीवनयात्रा, अर्द्धकथा, क्या भूलँ क्या याद करुँ, टुकड़े-टुकड़े दास्तान
- परिमल, तुलसीदास, नए पत्ते, आराधना
- रागदरबारी, धरती धन न अपना, महाभोज, झीनी-झीनी बीनी चदरिया
- प्रसाद, निराला, पंत, महादेवी
- युगवाणी, कुकुरमुत्ता, हरीघास पर क्षणभर, गीत फरोश
- अप्सरा, अलका, निरुपमा, प्रभावती
- प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता, अकविता
- भरतमुनि, आन्नदवर्द्धन, विश्वनाथ, जगन्नाथ
- रुकोगी नहीं राधिका, आपका बन्टी, चाक, आँवा
- चन्दायन, मृगावती, पद्मावत, मधुमालती
- छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, प्रपद्यवाद
- मिट्टी की ओर, संस्कृति के चार अध्याय, वटपीपल, दिनकर की डायरी
- चित्रलेखा, विराट की पद्मिनी, बूँद और समुद्र, सुहाग के नूपुर
- सूरदास, केशवदास, जगन्नाथ, सोहनलाल
- कुवलयमालाकथा, राउलवेल, उक्तिव्यक्तिप्रकरण, वर्णरत्नाकर
- सेवासदन, रंगभूमि, गबन, गोदान
- बड़े भाई साहब, वापसी, डे्फोडिल जल रहे हैं, पालगोमरा का स्कूटर
- द्रौपदी, आठवाँ सर्ग, छोटे सैयद बड़े सैयद, शकुन्तला की अँगूठी
- पल्लव, कामायनी, दीपशिखा, कुकुरमुत्ता
- भग्नदूत, हरी घास पर क्षणभर, बावरा अहेरी, आँगन के पार द्वार
- श्रीधर पाठक, मैथिलीशरण, दिनकर, अज्ञेय
- सरोज-स्मृति, असाध्यवीणा, अँधेरे में, पटकथा
- युग की गंगा, सतरंगे पंखों वाली, फूल नहीं रंग बोलते हैं, मिट्टी की बारात
- ब्राह्मी लिपि, गुप्त लिपि, कुटिल लिपि, देवनागरी लिपि
- इन्दु, मर्यादा, प्रताप, चांद
- उदन्त मार्तण्ड, प्रजामित्र, प्रजाहितैषी, हरिश्चन्द्र मैगजीन
- हिन्दी प्रदीप, भारत मित्र, कविवचन सुधा, सरस्वती
- चन्दबरदाई, अमीर खुसरो, विद्यापति
- बीसलदेव रासो, पृथ्वीराज रासो, हम्मीर रासो, खुमाण रासो
- हितवाणी, नृसिंह, कर्मयोगी, प्रताप
- मर्यादा, हिन्दी नवजीवन, चाँद, कल्याण
- नेमीश्वरबलि, प्रहलाद चरित, भागवत दशम स्कन्ध, हरिचरित
- सीता हरण, सुदामा चरित, रामचरितमानस, रुकमणी मंगल
- हंसावली, चन्दायन, ढोला मारु रा दूहा, सत्यवती कथा
- मृगावती, माधवानलकामकेदमा, पद्मावत, मधुमालती
- रूपमंजरी, छीताईवार्ता, चित्रावली, रसरतन
- ज्ञानदीप, हंसजवाहिर, अनुराग बाँसुरी, इन्द्रावती
- सूर, कबीर, तुलसी, गुरुनानक
- बीजक, मृगावती, पद्मावत, विनयपत्रिका
- रामानन्द, नरहर्यादास, तुलसी, प्रियादास
- बिहारी, मतिराम, भूषण, देव
- केशव, बिहरी, देव, घनानन्द
- केशव, बिहारी, भूषण, पद्माकर
- रशिकप्रिया, रामचन्द्रिका, कविप्रिया, रतनबावनी
- केशव, घनानन्द, भिखारीदास, पद्माकर
- बिहारी, आलम, भूषण, भिखारीदास
- नयनपचीसी, पवनपचीसी, शृंगारशिक्षा, यमक सतसई
- सेवासदन, रंगभूमि, निर्मला, गोदान
- अप्सरा, निरुपमा, प्रभावती
- सेवासदन, गबन, कर्मभूमि, गोदान
- कंकाल, तितली, इरावती
- परख, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी
- संन्यासी, परदे की रानी, प्रेत की छाया, निर्वासित
- चित्रलेखा, संन्यासी, निर्मला, न आने वाला कल
- खामोशी, रीड़िग रूम, हमसफर, अँधेरे में उपदेश
- गाँव के लोग, तिरियाजनम, हरिहरकाका, एक में अनेक
- अलग-अलग, परिचय, तश्बीह, तमाशा
- सड़क का भूगोल, आगे-पीछे, थोकदार किसी की नही सुनता
- नफीसा, ऐ लड़की, नाम पट्टिका
- मैं हार गई, यही सच है, नायक-खलनायक विदूषक
- इसी शहर में, धरातल, नागफाँस, जुगलबन्दी
- अजातशत्रु, कामना, एक घूँट, चन्द्रगुप्त
- भारत दुर्दशा, अँधेर नगरी, सती प्रताप, भारत-जननी
- अशोकवन, प्रलय के पंख पर, एक दिन, कावेरी में कमल
- सज्जन, स्कन्दगुप्त, चन्द्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी
- राज्यश्री, विशाखा, आजातशत्रु, जनमेजय का नाग-यज्ञ
- मुक्ति का रहस्य, राजयोग, आधीरात, गरुड़ध्वज
- राखी की लाज, बीरबल, सगुन, ललित विक्रम
- जय पराजय, वत्सराज, नीलकण्ठ, निस्तार
- प्रबन्ध प्रतिमा, अतीत के चलचित्र, ठेले पर हिमालय, प्रियानीलकण्ठी
- आचार्य शुक्ल, गुलाबराय, परसाई, कुबेरनाथ
- अशोक के फूल, कल्पलता, कुटज, युग और साहित्य
- अस्मिता के लिए, गाँव का मन, पीपल के बहाने
- ठेले पर हिमालय, प्रियानीलकण्ठी, धूप का अवसाद, तिलिस्म
- चिन्तामणी, अशोक के फूल, चितवन की छाँह, रस आखेटक
- अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, स्मारिका
- नाट्यशास्त्र, काव्य प्रकाश, साहित्यदर्पण, रस सिद्धान्त
- माटी की मूरतें, पुरानी स्मृतियाँ, गेंहूँ और गुलाब, मेरा परिवार
- भीष्मपितामह, गुरुगोविन्दसिंह, प्रेमचन्द घर में, कलम का मजदूर
- गोरी नज़रों में हम, सैलानी की डायरी, दुनिया रंग-बिरंगी
- काव्यालंकार, काव्यादर्श, काव्यप्रकाश, ध्वन्यालोकलोचन
- भामह, दण्डी, मम्मट, अभिनवगुप्त
- जयदेव, रामानन्द, बल्लभाचार्य, नामदेव
- दादू, शेखफरीद, मलूकदास, सुन्दरदास
- रामानन्द, कबीर, रैदास, गुरुनानक
- रंग में भंग, पंचवटी, साकेत, विष्णुप्रिया
- वीणा, पल्लव, गुंजन, लोकायत
- रश्मि, सांध्यगीत, दीपशिखा, सप्तपर्णा
- मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशानिमन्त्रण
- झरना, आँसू, लहर, कामायनी
- रेणुका, हुंकार, उर्वशी, कुरुक्षेत्र
- नीहार, रश्मि, नीरजा, यामा
- हिमकिरीटनी, हिमतरंगिनी, क्वासि, उर्मिला
- पथिक, मानसी, स्वप्न, अपलक
- मौर्यविजय, अनाथ, दूर्वादल, स्वप्न
- विषाद, आद्रा, मृण्मयी, बापू
- भारत-भारती, यशोधरा, द्वापर, जयभारत
- हरिऔध, मैथलीशरणगुप्त, प्रसाद, निराला
- माखनलाल, सुभद्रा, बालकृष्ण शर्मा
- मैथलीशरण, रामनरेश, दिनकर, सियारामशरण
- प्रसाद, पंत, महादेवी, दिनकर
- रामनरेश, बालकृष्ण शर्मा, पंत, महादेवी
- प्रिय प्रवास, पद्यप्रसून, चोखे चौपदे, वैदेही वनवास
- अद्भुत लाश, सिरकटी लाश, जाजूस की भूल, जासूस पर जासूसी, गुप्त भेद
- कंकाल, तितली, सुनीता, त्यागपत्र
- दिल्ली का दलाल, बधुआ की बेटी, शराबी, तितली
- दरियाई घोड़ा, तिरिछ, और अन्त में प्रार्थना, पॉल गोमरा का स्कूटर
प्रमुख रचनाओं की विषय वस्तु
- फूल मंजरी – 60 दोहों में किसी एक-एक फूल का वर्णन
- ललित ललाम (1664)- अलंकार निरुपण
- भाषा भूषण- 212 दोहों में अलंकारों का निरुपण
- रस रहस्य(1670)- मम्मट के रस रहस्य का छायानुवाद
- अंग दर्पण(1737)- अंगों का उपमा, उत्प्रेक्षा से चमत्कारपूर्ण वर्णन
- नाम कोश(1738)- कोश ग्रन्थ
- जगद विनोद- छह प्रकाश एवं 713 छंदों में नव रसों का विवेचन
- राम रसायन- वाल्मीकि रामायण का छायानुवाद
- अलीजाह प्रकाश- महाराज ग्वालियर के नाम लिखा गया है
- बारहमासा(1668)- बारहों महीनों का वर्णन
- भाव पंचाशिका(1686)- शृंगार के विभिन्न भावों का वर्णन
- नयन पचीसी(1686)- नेत्रों द्वारा प्रकट विभिन्न भावों का वर्णन
- यमक सतसई(1706)- 715 छंदों में यमक अलंकार का वर्णन
- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति(1873)- समाजिक धार्मिक विसंगति पर व्यंग्य
- विषस्य विषमौषधम(1876)- सयाजी राव को गद्दी पर बिठाये जाने की घटना से सम्बन्धित
- प्रेम जोगनी(1875)- काशी के धर्माडम्बर का छायाचित्र
- चन्द्रावली(1876)- वैष्णव भक्ति और प्रेमतत्व का चित्रण
- भारत-दुर्दशा(1880)- भारतवर्ष के तत्कालीन परिस्थिति का चित्रण व अंग्रेजी राज्य की अप्रत्यक्ष निन्दा
- नीलदेवी(1881)- राजपूतानी आनबान एवं नारी व्यक्तित्व की प्रतिष्ठा
- सतीप्रताप(1883)- सावित्री-सत्यवान के पौराणिक आख्यान पर आधारित
- विद्यासुन्दर- इसमें प्रेमविवाह को अधिक श्रेयस्कर माना गया है
- मुद्राराक्षस- इसमें चाणक्य की कूटनीति का महत्व प्रतिपादित किया गया है
- भारत जननी- इसमें पारस्परिक कलह, ईष्या, द्वेष आदि के परिणामस्वरूप भारतीयों की दुर्दशा पर आँसू बहाये गये हैं
- सज्जन(1910)- इसका कथानक महाभारत से लिया गया है
- विशाख(1921)- कल्हण की राजतरंगिणी के आरम्भिक अंश के आधार पर निर्मित हुआ है
- अजातशत्रु(1922)- मगध, कौशल और कौशाम्बी को केन्द्र मानकर शासकों की महत्वाकांक्षा और सत्तालिप्सा को दिखाया गया है
- जनमेजय का नागयज्ञ(1926)- परीक्षित का प्रतापी पुत्र जनमेजय पिता का बदला लेने के लिए नागों का विध्वंस करना चाहता है
- स्कन्दगुप्त(1928)- इसमें कुमारगुप्त के विलासी साम्राज्य की स्थिति का चित्रण हुआ है
- चन्द्रगुप्त(1931)- नंदवंश का नाश, सिल्यूकस का प्रभाव व चन्द्रगुप्त की प्रतिष्ठा पर आधारित है
- ध्रुवस्वामिनी(1933)- ध्रवस्वामिनी नाटक विशाख के ‘देवी चन्द्रगुप्त’ के आधार पर लिखा गया है
- कबिरा खड़ा बाजार में(1981)- कबीर का युग प्रवर्तक व्यक्तित्व
- कोणार्क(1951)- सर्जनात्मकता एवं विध्वंस, नयी व पुरानी पीढ़ी का संघर्ष
- लहरों के राजहंस(1963)- अश्वघोष के महाकाव्य ‘सौरानन्द’ के आधार पर
- अब्दुल्ला दीवाना(1973)- सामाजिक समस्या, स्त्री-पुरुष संबंध, जीवन मूल्य
- द्रौपदी(1972)- महाभारत्कालीन द्रौपदी का मिथकीय रूप में चित्रण
- नायक खलनायक विदुषक(1972)- दुष्यन्त और शकुन्तला के आचरण पर आधारित
- सूर्य की अन्तिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक(1975)- इसमें नारीत्व की सार्थकता की तलाश की गई है
- छोटे सैयद बड़े सैयद(1982)- मुगल सम्राट मुहम्मदशाह के समय का यथार्थ चित्रण
- शकुन्तला की अँगूठी(1990)- ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम’ नाटक की पुनर्निमिति
- दरिन्दे(1975)- इसमें सभ्य मनुष्य के भीतर के पशु का चित्रण किया गया है
- एक और द्रोणाचार्य(1977)- महाभारतकालीन द्रोणाचार्य का पौराणिक मिथकीय चित्रण
- तिलचट्टा(1972)- स्त्री-पुरुष की यौन कुण्ठा का चित्रण
- बादशाह गुलाम बेगम(1979)- सत्ता की क्रूरता से आक्रोशित जनता का मूर्त चित्रण
- प्रजा ही रहने दो(1977)- महाभारत के कथानक पर आधारित
- तोता झूठ नहीं बोलता(1998)- सर्कस की दुनिया की नग्न सचाई
- कोर्ट मार्शल(1991)- फौजी जीवन की सच्चाई
- बिना दीवारों के घर(1965)- पति-पत्नी के बीच के तनाव का चित्रण
- एक और अजनबी(1978)- स्त्री-पुरुष संबंधों का चित्रण
- कितनी कैदें(1969)- स्त्री-पुरुष के बीच प्रेम व्यापार का चित्रण
- अंधायुग(1955)- महाभारत के अवसान के बाद की स्थिति का चित्रण
- एक कंठ विषपायी(1963)- शिव और सती की पौराणिक कथा पर आधारित
- अग्नि-लीक(1976)- राम के जीवन चरित्र पर आधारित
- देवस्थान रहस्य(1905)- मन्दिरों और तीर्थ स्थनों में फैले भ्रष्टाचार, पाखण्ड की आलोचना
- प्रेमा(1907)- हिन्दुओं में विधवा-विवाह की समस्या का चित्रण
- सेवा सदन(1918)- वेश्या जीवन से सम्बन्द्ध समस्या का चित्रण
- वरदान(1921)- प्रेम एवं विवाह की समस्या का चित्रण
- कायाकल्प(1926)- पुनर्जन्म की धारणा पर समाज-सेवा, राजा के अत्याचार विलास एवं सच्चे प्रेम का चित्रण
- निर्मला(1927)- दहेज एवं अनमेल विवाह की समस्या का चित्रण
- गबन(1931)- मध्यमवर्गीय जीवन की असंगति का यथार्थ मनोवैज्ञानिक चित्रण
- कर्मभूमि(1933)- हिन्दू-मुस्लिम एकता, अछूतोद्धार एवं दलित किसानों के उत्थान की कथा
- गोदान(1936)- किसान जीवन की महागाथा एवं ॠण की समस्या का अंकन
- भिखारिणी(1929)- अन्तर्जातीय विवाह की समस्या एवं प्रेम की त्रासदी का चित्रण
- संघर्ष(1945)- आर्थिक विषमता के कारण प्रेम की निष्फलता का चित्रण
- चंद हसीनों के खतूत(1927)- हिन्दू-मुस्लिम के प्रेम एवं विवाह का चित्रण
- दिल्ली का दलाल(1927)- युवतियों का क्रय-विक्रय करने वाली संस्थाओं का पर्दाफाश
- बधुआ की बेटी(1928)- अछूतोद्धार की समस्या
- शराबी(1930)- वेश्याओं और शराब घरों का नग्न चित्रण
- सरकार तुम्हारी आखों में(1937)- शासन तंत्र की अव्यवस्था एवं प्रजा की पीड़ा का चित्रण
- जी जी जी(1937)- हिन्दू समाज की स्त्री की पीड़ा का चित्रण
- कंकाल(1929)- तत्कालीन समाज का यथार्थ
- तितली(1934)- पूँजीपतियों द्वारा निम्नवर्ग का शोषण
- हृदय की परख(1918)- विवाह पूर्व प्रेम एवं अवैध सन्तान की समस्या का चित्रण
- अमर अभिलाषा(1933)- विधवाओं पर होने वाले अत्याचार का चित्रण
- व्यभिचार(1924)- प्रेम की अमर्यादित एवं अश्लील रूप का अंकन
- आत्मदाह(1937)- आजादी के लिए आन्दोलन एवं देश प्रेम का चित्रण
- गोद(1932)- संदेह एवं अविश्वास के कारण स्त्री की समस्या एवं दर्द का चित्रण
- अन्तिम आकांक्षा(1934)- सामाजिक एवं धार्मिक विसंगति का चित्रण
- नारी(1937)- समकालीन हिन्दू स्त्री की असहायता एवं विवशता का चित्रण
- विदा(1927)- भारतीय एवं पाश्चात्य सभ्यता का समन्वय
- विजय(1937)- बाल विधवा समस्या का चित्रण
- विकास(1938)- उच्च वर्ग की विलासिता का चित्रण
- परख(1929)- प्रेम का आदर्शीकरण’
- त्यागपत्र(1937)- स्त्री के विद्रोही व्यक्तित्व का चित्रण
- कल्याणी(1939)- विवाह के बाद की समस्या का चित्रण
- अनाम स्वामी(1974)- मानव के धार्मिक रूढ़ियों से मुक्त होने का चित्रण
- पर्दे की रानी(1942)- मानसिक विकृतियों के व्यक्तियों के चित्रण की मनोवैज्ञानिक व्याख्या
- प्रेम की छाया(1944)- पारसनाथ की मानसिक कुण्ठा का चित्रण
- जिप्सी(1952)- मनोविश्लेषणवाद एवं सामाजिक भावना का समन्वय
- जहाज का पंक्षी(1954)- ईमानदारी एवं आदर्शवादी व्यक्ति के कष्टों का चित्रण
- ॠतु चक्र(1969)- आधुनिकता के नाम पर पनपती विसंगति का चित्रण
- नदी के द्वीप(1951)- रेखा, भुवन एवं गौरी की प्रेम कथा
- अपने अपने अजनबी(1961)- मृत्यु से साक्षात्कार
- पथ की खोज(1951)- प्रेम एवं विवाह के नैतिकता का प्रश्न
- आज की डायरी(1960)- असफल वैवाहिक जीवन एवं प्रेम के त्रासद अन्त का चित्रण
- दोहरी आग की लपट(1973)- प्रेम और दाम्पत्य की समस्या का चित्रण
- ढलती रात(1951)- सन 1920-36 तक की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति का चित्रण
- तट के बंधन(1955)- प्रेम व विवाह एवं नारी मुक्ति का चित्रण
- कोई तो(1980)- नैतिक रूढ़ियों एवं बलात्कार की शिकार स्त्रियों की समस्या
- अर्धनारीश्वर(1992)- स्त्रियों के बलात्कार एवं यातना का चित्रण
- संकल्प(1993)- परित्यक्ता स्त्री के मनोभावों का अंकन
- नये मोड़(1954)- सुशिक्षित एवं आत्मनिर्भर नारी की विवशता का चित्रण
- सागर लहरें और मनुष्य(1956)- बम्बई के बरसोवा मछुआरों की जिन्दगी का चित्रण
- लोक-परलोक(1958)- ग्रामीण जीवन पर आधुनिक सभ्यता के प्रभाव का चित्रण
- शेष-अशेष(1960)- साधु-संन्यासियों के जीवन का यथार्थ चित्रण
- पतन(1927)- अपराध एवं बलात्कार प्रधान उपन्यास
- चित्रलेखा(1934)- पाप एवं पुण्य के नैतिक प्रश्न का चित्रण
- टेढ़े मेढ़े रास्ते(1946)- गाँधीवादी, साम्यवाद और आतंकवाद का टेढ़े मेढ़े रास्ते के रूप में चित्रण
- आखरी दाँव(1950)- एक जुआरी की असफल प्रेम कथा
- अपने खिलौने(1957)- दुल्ली की माडर्न सोसाइटी पर व्यंग्य
- भूले बिसरे चित्र(1959)- तीन पीढ़ियों के जीवन मूल्य में परिवर्तन की कथा
- रेखा(1964)- नारी के गहन अन्तर्द्वन्द्व का चित्रण
- सबहिं नचावत राम गोसाई(1970)- 1919-1965 तक के इतिहास का चित्रण
- प्रश्न और मरीचिका(1973)- व्यक्ति के मन में विघटित मानव मूल्य का प्रश्न एवं शासन की मरीचिका का चित्रण
- जीने के लिए(1940)- भारत की विक्षुप्त सामाजिक एवं राजनीति की स्थिति का चित्रण
- सिंह सेनापति(1942)- वैशाली तथा तक्षशिला के गणराज्यों की कथा
- विस्मृत यात्री(1954)- बौद्ध यात्री नरेन्द्र यश की जीवन यात्रा पर आधारित
- वैशाली की नगरवधू(1949)- बुद्धकालीन सांस्कृतिक एवं राजनैतिक टकराहट का चित्रण
- वयं रक्षामः(1955)- आर्य-अनार्य, देव-दानव आदि सांस्कृतियों के संघर्ष एवं समन्वय की कथा
- सोमनाथ(1955)- शिवोपासना के विकास एवं राजपूतों की मानसिकता का चित्रण
- गोली(1956)- देशी रियासतों के शासकों की घृणित विलासिता का चित्रण
- मुर्दों का टीला(1948)- मोहनजोदड़ो सभ्यता की पृष्ठभूमि पर आधारित
- चीवर(1951)- हर्षकाल के ह्रासमान भारतीय सामंतवाद का चित्रण
- अँधेरे में जुगनू(1953)- दासप्रथा को बचाये रखने के लिए कुलीन वर्ग के प्रयत्न का चित्रण
- राह न रूकी(1958)- महावीर स्वामी एवं बुद्ध युग के जागरण की कथा
- विषाद मठ(1946)- बंगाल के अकाल पर आधारित
- महाकाल(1947)- बंगाल के अकाल की त्रासदी का चित्रण
- बूँद और समुद्र(1956)- लखनऊ क चौक के रूप में भारत की विभिन्न छवि का चित्रण
- शतरंज के मोहरे(1959)- अवध के नवाबों के ह्रासोन्मुख जीवन का चित्रण
- सुहाग के नुपूर(1960)- मध्यकालीन कुलवधुओं एवं नाहर वधुओं का चित्रण
- अमृत और विष(1966)- भारतीय गणतंत्र के 15 वर्षों का राजनैतिक एवं सामाजिक चित्रण
- मानस का हंस(1972)- तुलसीदास की जीवनी एवं व्यक्तित्व पर आधारित
- नाच्यौं बहुत गोपाल(1978)- भंगी समाज का इतिहास एवं उसके वर्तमान जीवन की नारकीयता का गहरी संवेदनात्मकता के साथ चित्रण
- खंजन नयन(1981)- सूरदास की जीवनी एवं व्यक्तित्व पर आधारित
- वाणभट्ट की आत्मकथा(1946)- प्रेम का उदात्तीकरण एवं हर्ष कालीन सामाजिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक स्थिति का चित्रण
- चारुचन्द्र लेख(1963)- 12-13 वीं शती के सांस्कृतिक एवं राजनीतिक स्थिति का चित्रण
- पुनर्नवा(1973)- वर्ण व्यवस्था एवं नारी शोषण का चित्रण
- अनामदास का पोथा(1976)- औपनिषदिक युग परिवेश एवं जीवन पद्धति का चित्रण
- अलग अलग वैतरणी(1967)- आजादी के बाद पूर्वांचल के गाँवों की जिन्दगी एवं नरकीयता का चित्रण
- गली आगे मुड़ती है(1974)- युवा आक्रोश का काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर के सन्दर्भ में
- नीला चाँद(1988)- भारतीय इतिहास के मध्यकाल की काशी का चित्रण
- दिल्ली दूर है(1993)- हिन्दू-मुस्लिम के बीच टकराहट एवं समन्वय का चित्रण
- रमैनी(2000)- 1857 की क्रान्ति पर आधारित
- अभिज्ञान(1981)- कृष्ण-सुदामा की मित्रता का नया सन्दर्भ
- रतिनाथ की चाची(1948)- मिथिलांचल के सामाजिक जीवन के अन्तर्विरोध एवं नारी शोषण की समस्या का चित्रण
- नई पौध(1953)- असंगत विवाह एवं जर्जर सामाजिक मान्यताओं का विरोध
- बाबा बटेसर नाथ(1954)- बरगद के वृक्ष को बचाने के लिए किसानों का संघर्ष
- बरुणा के बेटे(1957)- मिथिला के मछुआरों के संघर्ष की कथा
- दुःखमोचन(1957)- ग्रामीणों पर आधुनिक सभ्यता का चित्रण
- इमरतिया(1968)- समाज के बगुला भक्तों का पर्दाफाश किया गया है
- पारो(1975)- बाल विवाह की कुरीति एवं एक युवती की दारुण कथा
- गरीबदास(1979)- स्वतंत्र भारत के ग्रामीण जीवन के सामाजिक आर्थिक अंतर्विरोध का चित्रण
- कठपुतली(1954)- नाटक और रंगमंच से जुड़े कलाकारों की साधना का चित्रण
- मैला आंचल(1954)- पूर्णिया जिले के मेरीगंज गाँव की कथा
- परती परिकथा(1957)- पूर्णिया जिले के परानपुर गाँव की कथा
- जुलूस(1965)- पूर्वी पाकिस्तान से आए पूर्णिया जिले में शरणार्थियों की समस्या का चित्रण
- कितने चौराहे(1966)- बालक और मनमोहन को केन्द्र में रखकर स्वाधीनता आन्दोलन का चित्रण
- पल्टू बाबू रोड(1979)- पूर्णिया जिले के एक बंगाली परिवार के चारित्रिक पतन की कहानी
- सूनी घाटी का सूरज(1957)- प्रतिभाशाली उच्चवर्गीय निर्धन छात्र की संघर्ष गाथा
- रागदरबारी(1968)- शिवपालगंज की जिन्दगी का यथार्थ
- विश्रामपुर का संत(1998)- राजनीतिक पुरुषों के पाखण्ड का चित्रण
- लहरों की छाती पर(1962)- अण्डमान-निकोबार द्वीप के जनजीवन कि स्थिति का सजीव चित्रण
- किस्सा नर्मदाबेन गंगूबाई(1960)- बम्बई की सेठानियों के अनैतिक यौनाचार का चित्रण
- सर्पगन्धा(1979)- पर्वतीय क्षेत्र के दलित समाज के अधिकारों की लड़ाई का चित्रण
- बावन नदियों का संगम(1981)- वेश्या जीवन एवं उनके दलालों की त्रासद जिन्दगी का चित्रण
- दो बूँद जल(1966)- देह-व्यापार का सौदा करने वाली दलित पहाड़ी स्त्रोयों का अंकन
- माया सरोवर(1987)- स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों का चित्रण
- सूरज किरन की छाँव(1959)- बस्तर के गोंड जनजाति के जीवन संघर्ष का अंकन
- जंगल के फूल(1960)- मध्य प्रदेश के गोंड जनजाति के सामाजिक सांस्कृतिक जीवन का अंकन
- उतरते ज्वार की सीपियाँ(1968)- बम्बई महानगर में देह व्यापार में लिप्त स्त्रियों का अंकन
- बहता हुआ पानी(1971)- एक कलाकार के जीवन में आने वाली लड़कियों की कहानी
- बीमार शहर(1973)- विवाह संस्था का विरोध और मुक्त यौन सम्बन्ध का अंकन
- पानी के प्राचीर(1961)- गोरखपुर जिले के पाण्डेपुरवा गाँव के किसानों की जिन्दगी का यथार्थ चित्रण
- जल टूटता हुआ(1969)- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के ग्रामीण जीवन का यथार्थ
- बीच का समय(1970)- अनमेल विवाह की त्रासदी एवं तनाव का चित्रण
- साँप और सीढ़ी(1983)- बस्तर जिले के आदिवासी की जीवन कथा का अंकन
- आधा गाँव(1966)- गाजीपुर जिले के गंगोली गाँव के सैयद मुसलमानों की कथा
- टोपी शुक्ला(1969)- हिन्दू-मुस्लिम सम्बन्धों की समस्या का चित्रण
- दिल एक सादा कागज(1973)- पाकिस्तान में स्थानान्तरित भारतीय मुसलमानों के मोहभंग की कथा
- सीन75(1977)- 1975 में लागू आपातकाल और जनजीवन पर पड़े उसके प्रभाव का चित्रण
- कटरा बी आर्जू(1978)- इलाहाबाद के एक मुहल्ले में रहने वाले हिन्दू-मुस्लिम की कहानी
- महासागर(1972)- अण्डमान-निकोबार द्वीप की आदिवासी लड़की की कथा
- अरण्य(1973)- पहाड़ी जीवन की व्यथा
- श्वेत पत्र(1979)- पूर्वांचल के जन-जीवन का सजीव चित्रण
- समर शेष है(1988)- पूर्वांचल के किसान-मजदूर के शोषण एवं उनके संघर्ष की कथा
- झूठा-सच1(1958)- राष्ट्र विभाजन एवं त्रासदी का चित्रण
- झूठा-सच2(1960)- स्वतंत्रता प्राप्ति एवं विकास तथा देश के भावी निर्माण में बुद्धिजीवियों की भूमिका का यथार्थ चित्रण
- तमस(1973)- भारत विभाजन की सम्प्रदायिक विभीषिका का महाकाव्यात्मक अंकन
- वसंती(1980)- दिल्ली महानगर की झुग्गी-झोपड़ी वाली गन्दी बस्तियों का अंकन
- आधा-पुल(1973)- युद्ध की विभीषिका का जीवन्त अंकन
- धरती धन न अपना(1972)- पंजाब के ग्रामीण दलित जीवन पर आधारित
- नरक कुण्ड में वास(1994)- धरती धन न अपना उपन्यास का विस्तार
- जमीन तो अपनी थी(2001)- दलित जीवन से सम्बन्धित
- पगली घंटी(1995)- जेल के परिवेश का चित्रण
- मुर्दाघर(1974)- बम्बई महानगर की भटियारिनों के जीवन का यथार्थ का चित्रण
- झीनी झीनी झीनी चदरिया(1986)- बनारस के बुनकरों के जीवन यथार्थ पर आधारित
- सावधान नीचे आग है(1986)- झरिया क्षेत्र की कोयला खान की एक दुर्घटना पर आधारित
- धार(1990)- कोयला के अवैध खनन और आदिवासियों के शोषण का चित्रण
- पाँव तले की दूब(1995)- झारखण्ड की जनजातियों और उनके आन्दोलनों का चित्रण
- गुनाहों का देवता(1949)- चन्दर और सुधा के किशोर भावुक प्रेम की करुण कहानी
- प्रेत बोलते हैं(1952)- असफल दाम्पत्य जीवन का चित्रण
- पागल कुत्तों का मसीहा(1977)- कुत्तों के प्रतीक में रूढ़ जीवन मूल्यों का चित्रण
- एक सड़क सत्तावन गलियाँ(1957)- लीला-नौटंकी करके जीविकापार्जन करने वाले समाज का चित्रण
- डाक बंगला(1959)- मातृहीन कथानायिका इरा की संघर्ष कथा का चित्रण
- काली आँधी(1974)- स्त्री के राजनीतिक और पारिवारिक दायित्व एवं द्वंद्व का चित्रण
- अँधेरे बन्द कमरे(1961) दिल्ली के अभिजात्यवर्गीय हरवंश और नीलिमा के दाम्पत्य जीवन का चित्रण
- मछली मरी हुई(1966)- समलैंगिकता स्त्रियों के व्यवहार और मानसिकता का चित्रण
- लालटिन की छत(1974)- एक वयः संधि की लड़की की मानसिकता का चित्रण
- आँगन में एक वृक्ष(1969)- एक स्त्री का अपने सौतेले पुत्र के प्रति निश्छल प्रेम का चित्रण
- पहला गिरमिटिया(1999)- महात्मा गाँधी के जीवन चरित्र पर आधारित
- एक पति के नोट्स(1967)- आधुनिक दाम्पत्य जीवन की समस्या
- किस्सा गुलाम(1986)- दलित कथा नायक कुंदन की कुंठा और विद्रोह भावना का चित्रण
- दर्पण झूठ न बोले(1983)- समकालीन समाज में फैले आर्थिक-राजनीतिक भ्रष्टाचार का चित्रण
- माटी कहे कुम्हार से(2006)- दलित वर्ग की त्रासदी और लोकतंत्र की असलियत का अंकन
- डूब(1991)- मध्य प्रदेश के पिछड़े पहाड़ी अंचल की पीड़ा का चित्रण
- पार(1994) डूब उपन्यास का विस्तार
- पंचनामा(1996)- आश्रमों के छद्म और उनमें पनपते भ्रष्टाचार का उद्घाटन
- सचिवालय(1984)- नौकरशाही और असामाजिक तत्वों के अंतरंग सम्बन्धों का चित्रण
- यह जो दिल्ली है(1993)- पत्रकारिता संसार की घिनौनी वास्तविकताओं का चित्रण
- कैसे आग लगाई(2004)- अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय के आधार पर मुस्लिम समाज का चित्रण
मिलते जुलते नामों की रचनाएँ
- रधुनाथ चरित - वामन भट्टणवाण
- महावीर चरित - भवभूति
- उत्तरराम चरित - भवभूति
- दशावतार चरित - क्षेमेन्द्र
- उल्लास राघव - सोमेश्वर
- प्रसन्न राघव - जयदेव
- अनंघ राघव - मुरारि
- उदार राघव - साकल्यमल
- उदात्त राघव - अनंगहर्ष
- राघव पाण्डवीय - धनंजय
- राघव पाण्डवीय - माधव भट्ट
- राघव नैषधीय - हरिदत्त सूरि
- बाल रामायण - राजशेखर
- अध्यात्म रामायण - माधवदास चारण
- रामायण - कपूर चन्द्र त्रिखा
- पौरुषेय रामायण - नरहरि बारहट
- कृतिवासी रामायण - कृतिवास बंगला
- कम्ब रामायण - कम्ब तमिल
- रंग रामायण - रंग तेलगू
- गीति रामायण - शंकरदेव असमी
- रामायण - वेणाबाई मराठी
- मंगल रामायण
- सुन्दर रामायण
- संकेत रामायण
- रामायण महानाटक - प्राणचन्द चौहान
- हनुमन्नाटक - हृदयराम
- रामायण मंजरी - क्षेमेन्द्र
- रामभजन मंजरी - अग्रदास
- ध्यान मंजरी - अग्रदास
- अपराजिता(काव्य) - रामेश्वर शुक्ल अंचल
- अपराजिता(उपन्यास) - चतुरसेन शास्त्री
- नीलीक्षील(कहानी) - कमलेश्वर
- नीलीक्षील(एकांकी) - धर्मवीर भारती
- अर्धनारीश्वर(उपन्यास) - विष्णु प्रभाकर
- अर्धनारीश्वर(निबंध) - दिनकर
- एक पति के नोट्स(उपन्यास) – महेन्द्र भल्ला
- एक पत्नी के नोट्स(उपन्यास) – ममता कालिया
- एक कस्बे के नोट्स(उपन्यास)- नीलेश रघुवंशी
- त्रिशंकु(कथा संग्रह) - मन्नू भण्डारी
- त्रिशंकु(नाटक) - ब्रजमोहन सिंह
- त्रिशंकु(निबंध) - अज्ञेय
- अनित्य(उपन्यास) - मृदुला गर्ग
- अनित्य(कहानी) - बदी उज्जमा
- पंच परमेश्वर(कहानी) - प्रेमचन्द
- पंच परमेश्वर(कहानी) - रांगेय राघव
- झूठा-सच(उपन्यास) - यशपाल
- झूठ-सच(कहानी) - सियाराम शरण गुप्त
- काली आँधी(उपन्यास) - कमलेश्वर
- पीली आँधी(उपन्यास) - प्रभाखेतान
- द्रौपदी(प्रबंध काव्य) - नरेन्द्र शर्मा
- द्रौपदी(उपन्यास) - प्रतिभा राय
- द्रौपदी(नाटक) - सुरेन्द्र वर्मा
- बाँधो न नाव इस ठाँव(उपन्यास)- उपेन्द्रनाथ अश्क
- बाँधो न नाव इस ठाँव(काव्य) – निराला
- संन्यासी(उपन्यास) - इलाचंद्र जोशी
- संन्यासी(नाटक) - लक्ष्मी नारायण मिश्र
- युवा संन्यासी(नाटक) - कैलाश वाजपेयी
- उर्वशी - प्रसाद
- उर्वशी(काव्य नाटक) - दिनकर
- रश्मि(काव्य) - महादेवी
- रश्मिरथी(काव्य) - दिनकर
- पिता(कहानी) - ज्ञानरंजन
- पिता(कहानी) - महीप सिंह
- पिता(कहानी) - धीरेन्द्र अस्थाना
- केवल पिता(कहानी) - सेवाराम यात्री
- पिता दर पिता(कहानी) - रमेश वक्षी
- दीपशिखा(काव्य) - महादेवी
- दीपशिखा(नाटक) - रेवती शरन शर्मा
- मुक्तिपथ(नाटक) - उदयशंकर भट्ट
- मुक्तिपथ(उपन्यास) - इलाचंद्र जोशी
- मुक्तिपथ(उपन्यास) - अभय मौर्य
- मुक्तिपर्व(उपन्यास) - मोहनदास नैमिशराय
- मुक्तिप्रसंग(काव्य) - राजकमल चौधरी
- मम अरण्य(उपन्यास) - सुधाकर अदीब
- अन्तिम अरण्य(उपन्यास) - निर्मल वर्मा
- रागविराग(निराला की कविताओं का संग्रह – रामविलास शर्मा
- रागविराग(कहानी) - हरिशंकर परसाई
- धरती(काव्य) - त्रिलोचन
- धरती(उपन्यास) - भैरव प्रसाद गुप्त
- वसीयत(नाटक) - भगवती चरण वर्मा
- वसीयत(नाटक) - नागबोडस
- पंचवटी(काव्य) - मैथलीशरण गुप्त
- पंचवटी प्रसंग(काव्य) - निराला
- उपसंहार(उपन्यास) - योगेशगुप्त
- उपसंहार(उपन्यास) - काशीनाथ सिंह
- गुलाम बादशाह(नाटक) - नंदकिशोर आचार्य
- गुलाम बादशाह(उपन्यास) - रुपसिंह चन्देल
- गुलाम बादशाह बेगम(नाटक) – गिरराज किशोर
- गुनाहों का देवता(उपन्यास) - धर्मवीर भारती
- देवता के गुनाह(उपन्यास) - देवेश ठाकुर
- गुनाहों की देवी(उपन्यास) - यादवेन्द्र शर्मा चन्द्र
- तीसरा हाथी(नाटक) - रमेश वक्षी
- अंधों का हाथी(नाटक) - शरद जोशी
- पागल हाथी(लघुकथा) - प्रेमचन्द
- शह और मात(उपन्यास) - राजेन्द्र यादव
- शह ये मात(नाटक) - ब्रजमोहन सिंह
- धूप के धान(काव्य) - गिरजा कुमार माथुर
- धूप की उंगलियों के निशान(कथा संग्रह) – महीप सिंह
- धूप कोठरी क्र आइने में खड़ी(काव्य) – शमशेर बहादुर सिंह
- सीढ़ियों पर धूप(काव्य) - रघुवीर सहाय
- धूप में जगरुप सुन्दर(काव्य) - त्रिलोचन
- धूप के हस्ताक्षर(गज़ल) - ज्ञानप्रकाश विदेह
- पक गई है धूप(काव्य) - रामदरश मिश्र
- उभरती हुई धूप(उपन्यास) - गोविन्द मिश्र
- टहनियों पर धूप(कहानी) - मेहरुन्निसा परवेज
- धूप की तलवार(कविता) - केदारनाथ अग्र्वाल
- पेपरवेट(कहानी) - गिरिराज किशोर
- पेपरवेट(नाटक) - रमेश उपाध्याय
- वापसी(कहानी) - उषा प्रियंवदा
- वापसी(एकांकी) - उदयशंकर भट्ट
- विरामचिन्ह(निबंध) - रामविलास शर्मा
- विरामचिन्ह(कविता) - रामेश्वर शुक्ल अंचल
- अंधाकुंआ - लक्ष्मीनारायण लाल
- अंधा युग - धर्मवीर भारती
- अंधी गली - उपेन्द्र नाथ अश्क
- बंद दरवाजा - सुमंगल प्रकाश
- लेकिन दरवाजा - पंकज विष्ट
- दूसरा दरवाजा - लक्ष्मी नारायण लाल
- शृंगार निर्णय - भिखारीदास
- शृंगार विलास - सोमनाथ
- शृंगार मंजरी - चिन्तामणी
- शृंगार मंजरी - प्रतापसाहि
- शृंगार शिरोमणि - प्रताप साहि
- शृंगार भूषण - बेनी प्रवीण
- शृंगार लतिका - द्विजदेव
- शृंगार चालीसा - द्विजदेव
- शृंगार बत्तीसी - द्विजदेव
- शृंगार शिक्षा - वृंद
- शृंगार मंजरी - यशवंत सिंह
- शृंगार लता - सुखदेव
- शृंगार सोरठ - रहीम
- शृंगार सागर - मोहनलाल मिश्र
- शृंगार रस माधुरी - कृष्णभट्ट देव ॠषि
- शिखर से सागर तक(जीवनी) - राजकमल राय
- शिखर से सागर तक(निंबंध) – शिवप्रसाद सिंह
- माधवनल कामकंदला 1527 - गणपति
- माधवनल कामकंदला 1556 - कुशललाभ
- माधवनल कामकंदला 1584 - आलम
- माधवनल कामकंदला 1752 - बोधा
- सतसई - बिहारी
- सतसई - रसनिधि
- सतसई - रामसहाय
- रसविलास - चिंतामणि
- रसविलास - मंडन
- रसविलास - बेनी
- नखशिख - कुलपति मिश्र
- नखशिख - सुरति मिश्र
- नखशिख - सेवादास
- नखशिख - चन्द्रशेखर
- हार की जीत(कहानी) - प्रेमचंद
- हार की जीत(कहानी) - सुदर्शन
- हार जीत - भगवती प्रसाद वाजपेयी
- गंगा लहरी - पद्माकर भट्ट
- गंगा मैया - भैरव प्रसाद गुप्त
- गंगावतरण - रत्नाकर
- गंगा वाक्यावली - विद्यापति
- गंगा छवि वर्णन - हरिऔध
- आकाश गंगा - रामकुमार वर्मा
- हर गंगा - प्रतापनरायण
- युग की गंगा - केदारनाथ
- वोल्गा से गंगा - निराला
- कविकल्पद्रुम - द्विजदेव
- कविकल्पद्रुम1844 - रामदास
- कविकल्पद्रुम - श्रीपति
- कविकुलकल्पतरु - चिंतामणि
- कविकुलकंठाभरण - दूलह
- काव्यलोक - रामदहिन मिश्र
- काव्य विवेक - चिन्तामणि
- काव्य प्रकाश - चिन्तामणि
- काव्य सरोज - श्रीपति
- काव्य निर्णय - भिखारीदास
- काव्य कलाधर - रघुनाथ
- काव्य विलास - प्रताप साहि
- काव्य विनोद - प्रताप साहि
- काव्य रसायन - देव
- काव्य सिद्धान्त - सुरति मिश्र
- अँधेरे का दीपक - हरिवंशराय बच्चन
- अँधेरे बंद कमरे - मोहन राकेश
- अँधेरे में(काव्य) - मुक्तिबोध
- अँधेरे में(कहानी) - मुक्तिबोध
- अँधेरे में रौशन होती चीजें - सुभाष रस्तोगी
- रेती के फूल - दिनकर
- अशोक के फूल - हजारी प्रसाद द्विवेदी
- कमल के फूल - भवानी प्रसाद मिश्र
- शिरीष के फूल - हजारी प्रसाद द्विवेदी
- कागज के फूल - भारत भूषण अग्रवाल
- जूही के फूल - राम कुमार वर्मा
- गुलाब के फूल - उषा प्रियवंदा
- नीम के फूल - गिरिराज किशोर
- जंगल के फूल - राजेन्द्र अवस्थी
- दुपहरिया के फूल - दुर्गेश नंदनी डालमिया
- चिता के फूल - रामवृक्ष बेनीपुरी
- सेमल के फूल - मारकंडे
- सुबह के फूल - महीप सिंह
- रक्त के फूल - योगेश कुमार
- खादी के फूल - हरिवंशराय बच्चन
- खादी के गीत - सोहनलाल
- उसकी कहानी - महेन्द्र वशिष्ट
- उसका विद्रोह - मृदुला गर्ग
- उस रात की गंध - धीरेन्द्र अस्थाना
- उसने कहा था - गुलेरी जी
- उसने नहीं कहा था - शैलेश मटियानी
- तुमने कहा था - नागार्जुन
- मैंने कब कहा - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
- तुमने क्यों कहा कि मैं सुन्दर हूँ – यशपाल
- नवभक्तमाल - राधाचरण गोस्वामी
- उत्तरार्द्धभक्तमाल - भारतेन्दु
- भक्तमाल - नाभादास
- भक्तनामावली - ध्रुवदास
- युगधारा - नागार्जुन
- युगधार - सोहनलाल द्विवेदी
- बिहारी और देव - भगवानदीन
- देव और बिहारी - कृष्ण बिहारी
- प्राकृत पैंगलम ग्रंथ - लक्ष्मीधर
- प्राकृत पैंगलम की टीका - वंशीधर
- भरतेश्वर बाहुबलीरास - शालभद्र शूरि
- भरतेश्वर बाहुबली घोर रास - ब्रिजसेन शूरि
- फूलों का गुच्छा - भारतेन्दु
- फूलों का कुर्ता - यशपाल
- पउम चरिउ - विमल सूरि
- पउम चरिउ - स्वयंभू
- पउम चरिउ - भुवनतुंग सूरि