Showing posts with label हिंदी साहित्य. Show all posts
Showing posts with label हिंदी साहित्य. Show all posts

May 11, 2024

Short story in Hindi

 लकड़हारा और सोने की कुल्हाड़ी की कहानी (a short story in hindi of the woodcutter and the golden axe)




बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक लकड़हारा रहता था वह अपनी आजीविका के लिए दिन भर जंगल से लकड़ी काटता था और रोज शाम को पास के एक बाजार में जाकर बेचता था।


एक दिन की बात है कि वो तालाब के पास में एक पेड़ काट रहा था, उसी समय उससे गलती हुई कि उसके कुल्हाड़ी उसके हाथ से उसी तालाब में गिर जाती है। उस नदी का बहाव और गहराई दोनों ज्यादा थी। उस लकड़हारे ने अपनी कुल्हाड़ी को बहुत खोजा पर वह कामयाब ना हुआ, अतः वह हार मानकर नदी किनारे बैठ गया और रोने लगा।


उसके रोने की आवाज सुनकर नदी की देवी उठी और उस लकड़हारे से पूछा कि क्या हुआ? क्या हुआ? तक लकड़हारे ने अपनी कहानी बताई, तब पानी की देवी को उस पर दया आ जाती है और पानी की देवी उस गरीब, मेहनती लकड़हारे की मदद व सहयोग करने की पेशकश करती है।


फिर क्या था वह नदी की देवी उसकी मदद के लिए एकदम से गायब हो गई और नदी के अंदर से एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर प्रकट होती है और उस गरीब लकड़हारे से पुछती है कि क्या यह सोने की कुल्हाड़ी उसकी है ?


लकड़हारा इस पर उत्तर देते हुए कहता है कि नहीं! मैं तो गरीब आदमी हूँ इसलिए यह मेरे नहीं है। तब फिर एक बार फिर नदी की देवी पानी के अंदर जाती है और इस बार चांदी की कुल्हाड़ी लेकर वापस लैटती है। लेकिन वह आदमी इस बार भी कहता है यह मेरी नहीं है।


इतने के बाद उस नदी की देवी एक बार फिर पानी में गायब हो जाती है और इस बाद एक लोहे की कुल्हाड़ी लेकर वापस आती है।


तभी वो गरीब लकड़हारा खुश होकर कहता है कि यह उसकी ही कुल्हाड़ी है, जिस पर नदी की देवी उस गरीब लकड़हारे पर खुश होकर वह सोने और चांदी दोनों कुल्हाड़ीयों को उसको उपहार स्वरूप दे देती है।


सीख (Moral of Short Story)- ईमानदारी सबसे उत्तम नीति है।







मूर्ख गधे की कहानी (story of silly donkey for kids)







एक गांव में एक नमक व्यापारी रहता था उसके पास एक गधा था रोजाना वह उस गधे में नमक की थैली लादकर बाजार ले जाया करता था।
बाजार जाते वक्त व्यापारी और उसके गधे को एक नदी पार करनी पड़ती थी एक दिन अचानक गधा नदी में गिर गया और नमक नदी के पानी में गिर गया जिससे गधे पर लगा नमक का वजन कम हो गया।
इस घटना से गधा बेहद खुश था गधा रोज नदी में आता और गिर जाता जिससे उसका वजन हल्का हो जाता। जिससे व्यापारी को बहुत नुकसान हो गया।
नमक व्यापारी को गधे की चाल समझ आ गई और उसने गधे को सबक सिखाने का फैसला ले लिया अगले दिन जब वह नमक बेचने शहर जा रहे थे तो व्यापारी ने उस दिन गधे की पीठ पर नमक के थैले के बदले में रुई का थैला बांध दिया।
अब गधे ने फिर से वही चाल चली और नदी में गिर गया नदी में गिरने से रूई ने पानी सोख लिया और भारी हो गया और गधे को नुकसान उठाना पड़ा। उससे गधे को एक सीख मिली और उसने चालाकी करना बंद कर दिया जिससे नमक व्यापारी भी खुशी-खुशी नमक बेचने लगा।

सीख (Moral of tale Story)-इस कहानी से हमें क्या प्रेरणा मिलती है कि भाग्य हमेशा साथ नहीं देता कभी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल भी करना चाहिए।

Small Moral Stories Hindi





small moral stories of lion and mouse चूहे और शेर की कहानी

Hindi moral story


आज का विचार : पढ़ना बंद न करें, क्योंकि ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती ।

 

हाथी और सियार | Baccho Ke Liye Moral Story in Hindi

Elephant jackal moral story in hindi

Apr 10, 2024

ईदगाह : मुंशी प्रेमचन्द

 

Hindi Kahani
हिंदी कहानी
Eidgah Munshi Premchand
ईदगाह मुंशी प्रेमचंद


1


रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभाव है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है, यानी संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गाँव में कितनी हलचल है। ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। किसी के कुरते में बटन नहीं है, पड़ोस के घर में सुई-धागा लेने दौड़ा जा रहा है। किसी के जूते कड़े हो गए हैं, उनमें तेल डालने के लिए तेली के घर पर भागा जाता है। जल्दी-जल्दी बैलों को सानी-पानी दे दें। ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जायगी। तीन कोस का पैदल रास्ता, फिर सैकड़ों आदमियों से मिलना-भेंटना, दोपहर के पहले लौटना असम्भव है। लड़के सबसे ज्यादा प्रसन्न हैं। किसी ने एक रोजा रखा है, वह भी दोपहर तक, किसी ने वह भी नहीं, लेकिन ईदगाह जाने की खुशी उनके हिस्से की चीज है। रोजे बड़े-बूढ़ों के लिए होंगे। इनके लिए तो ईद है। रोज ईद का नाम रटते थे, आज वह आ गयी। अब जल्दी पड़ी है कि लोग ईदगाह क्यों नहीं चलते।

Feb 22, 2024

दुष्यंत कुमार की 10 गजलें

Dushyant Kumar: Hindi Poet

दुष्यंत कुमार की गजलें 


 मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ 


मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ 

वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ 

एक जंगल है तेरी आँखों में 

मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ 

तू किसी रेल सी गुज़रती है 

मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ 

Feb 18, 2024

Thakur Ka Kuan (Hindi Story) : Munshi Premchand

 ठाकुर का कुआँ (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद

Thakur Ka Kuan (Hindi Story) : Munshi Premchand

1

जोखू ने लोटा मुँह से लगाया तो पानी में सख्त बदबू आयी । गंगी से बोला- यह कैसा पानी है ? मारे बास के पिया नहीं जाता । गला सूखा जा रहा है और तू सड़ा पानी पिलाये देती है !

गंगी प्रतिदिन शाम पानी

जो खानदानी रईस हैं वो : गज़ल

 जो खानदानी रईस हैं वो / गज़ल / शबीना अदीब

 ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें, दिलों में उल्फ़त नई-नई है,

अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में, अभी मोहब्बत नई-नई है।


अभी न आएँगी नींद तुमको,

Feb 14, 2024

Kafan kahani Premchand


Follow Us ➚


हिन्दी »साहित्य »कहानी


कफ़न: मुंशी प्रेमचंद की कहानी

by Kaksha Library Blog
लेखक: मुंशी प्रेमचंद 






 1

झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अन्दर बेटे की जवान बीबी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी. रह-रहकर उसके मुंह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे. जाड़ों की रात थी, प्रकृति सन्नाटे में डूबी हुई, सारा गांव अन्धकार में लय हो गया था.

घीसू ने कहा-मालूम होता है, बचेगी नहीं. सारा दिन दौड़ते हो गया, जा देख तो आ.

माधव चिढ़कर बोला-मरना ही तो है जल्दी मर क्यों नहीं जाती? देखकर क्या करूं?

‘तू बड़ा बेदर्द है बे! साल-भर जिसके साथ सुख-चैन से रहा, उसी के साथ इतनी बेवफाई!’

Feb 13, 2024

Panch Parmeshwar : Munshi Premchand

पंच परमेश्वर (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद
Panch Parmeshwar : Munshi Premchand






1

जुम्मन शेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गये थे, और अलगू जब कभी बाहर जाते, तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ देते थे। उनमें न खाना-पाना का व्यवहार था, न धर्म का नाता; केवल विचार मिलते थे। मित्रता का मूलमंत्र भी यही है।

एक टोकरी भर मिट्टी

 

माधव राव सप्रे कृत ‘एक टोकरी भर मिट्टी’


कहानी की समीक्षा व सम्पूर्ण अध्ययन


माधव राव सप्रे का जीवन परिचय- (19 जून 1871 – 23 अप्रैल 1926)


पंडित माधवराव सप्रे का जन्म 19 जून 1871 ई० में पथरिया, दमोह, मध्यप्रदेश में हुआ था। सप्रे जी एक कहानीकार