Apr 6, 2023

AUTONOMOUS BODY स्वायत्त निकाय क्या हैं?

 केवीएस एक स्वायत्त संस्था है AUTONOMOUS BODY 


स्वायत्त निकाय क्या हैं?


जब भी यह महसूस किया जाता है कि कुछ कार्यों को सरकारी तंत्र के दिन-प्रतिदिन के हस्तक्षेप के बिना स्वतंत्रता एवं कुछ लचीलेपन के साथ किये जाने की आवश्यकता है तब स्वायत्त निकायों की स्थापना की जाती है।

ये मंत्रालय/विभागों द्वारा संबंधित विषय के साथ स्थापित किये जाते हैं और या तो पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से अनुदान के माध्यम से वित्तपोषित होते हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि इस तरह के संस्थान अपने स्वयं के आधार पर कितने आंतरिक संसाधन जुटाते हैं।

ये अनुदान वित्त मंत्रालय द्वारा उनके निर्देशों के साथ-साथ पदों के निर्माण की शक्तियों से संबंधित इत्यादि के लिये निर्देशों द्वारा विनियमित होते हैं।

अधिकतर स्वायत्त निकाय सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत सोसाइटी के रूप में पंजीकृत किये जाते हैं और कुछ मामलों में वे विभिन्न अधिनियमों में निहित प्रावधानों के तहत वैधानिक संस्थानों के रूप में स्थापित किये गये हैं।

स्वायत्त निकायों की कार्यक्षमता


स्वायत्त निकाय सरकार के कामकाज में एक प्रमुख हितधारक होते हैं क्योंकि वे नीतियों के लिये रूपरेखा तैयार करने, अनुसंधान का संचालन करने और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने आदि से लेकर विभिन्न गतिविधियों में लगे हुए होते हैं।

स्वायत्त निकायों के शीर्ष प्रशासनिक निकाय को संचालन परिषद अथवा संचालन निकाय कहा जाता है और इनकी अध्यक्षता संबंधित मंत्रालय के मंत्री या सचिव द्वारा की जाती है।

इन स्वायत निकायों में नामित मंत्रालय के अधिकारियों के साथ क्रय समिति, कार्य समिति, वित्त समिति जैसी विशिष्ट समितियाँ होती हैं।

इन स्वायत्त निकायों का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा ऑडिट किया जाता है और प्रति वर्ष संसद में इनकी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है।

स्वायत्त निकायों से संबंधित मुद्दे


उत्तरदायिता


ये निकाय करदाताओं के धन से वित्तपोषित होते हैं। हालाँकि, ऐसी शिकायतें आती रही हैं कि वे सरकार की नीतियों का पालन नहीं करते हैं, ये उसी प्रकार जवाबदेह हैं जिस तरह से सरकारी विभाग हैं।

यद्यपि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को स्वायत्त निकायों की समितियों की बैठकों में उपस्थित होना आवश्यक होता है, लेकिन उनमें से अधिकतर अपनी व्यस्तता के कारण उपस्थित नहीं होते हैं।

वे कनिष्ठ अधिकारियों को नामित करते हैं जिनके पास बैठकों के दौरान सार्थक निर्णय लेने के लिये अक्सर अधिकार क्षेत्र का अभाव होता है।

अपारदर्शी नियुक्तियाँ


इन निकायों की सटीक संख्या ज्ञात नहीं है, अनुमानों के मुताबिक इनकी संख्या 400 से 650 के मध्य है।

स्वायत्त निकाय काफी संख्या में लोगों को रोज़गार प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिये, कृषि मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में लगभग 17,000 कर्मचारी हैं।

हालाँकि, सरकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विपरीत, जिनमें भर्ती नियम एक समान होते हैं और भर्ती एक केंद्रीकृत निकाय द्वारा की जाती है जैसे कि कर्मचारी चयन आयोग (SSC), संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), ऐसी नियुक्तियों के लिये ऐसा कोई निकाय नहीं होता है।

परिणामस्वरूप इन निकायों में से प्रत्येक निकाय की नियुक्ति के नियम एवं नियुक्ति प्रक्रियाएँ अलग-अलग होती हैं, कभी-कभी समान मंत्रालय के तहत अलग स्वायत्त निकायों के नियुक्ति के नियम अलग-अलग होते हैं।

स्कूल में disciplinary मुद्दों को कैसे हल करेंगे।

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✅*FAQ. by the Aspirants & Ans.


यदि आपकी कक्षा में कोई गलत व्यवहार करने वाला छात्र मौजूद हो, तो आप उसे कैसे मैनेज करेंगे?


एक teachers job इंटरव्यू में यह एक बहुत ही गंभीर प्रश्न होता है, क्योंकि शायद आप असलियत में भी इस प्रकार के मामले का सामना कर सकते हैं। यहां, आपको interviewer को यह समझाना होगा कि आप अपने स्कूल में disciplinary मुद्दों को कैसे हल करेंगे। 


इसका एक अच्छा उत्तर हो सकता है – “महोदय, मेरा मानना है कि ज्यादातर मामलों में, दुर्व्यवहार किसी छात्र द्वारा हमारी तरफ सिर्फ मदद के लिए एक पुकार से ज्यादा कुछ नहीं है, और हमे इस गंभीर समस्या को पहचानना चाहिए और इससे निपटने के लिए बच्चे से अलग से बात करनी चाहिए और यह देखना चाहिए की कहीं उन्हें कोई दिक्कत या परेशानी तो नहीं है। 


अपने अनुभव के अनुसार, मैंने पाया है कि कुछ बच्चे केवल ध्यान आकर्षित करने के लिए ही गलत व्यवधान करते हैं। तो मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि अगर हम ऐसे बच्चों पर अपना उचित ध्यान दें, तो वे कभी कोई समस्या पैदा नहीं करेंगे”।


(copied, credit to original author)


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👉 Q. What if the panel ask to give demo on such topic which I haven't prepared. Should I say No and ask them to allow what I have prepared?


👉 *Ans. Never Say No directly for any of the topic especially in PRT. Because as a PRT you are expected to teach all the subjects.


In case you got such topic in which you are not confident then also ask them to give 30-60 second to prepare for your demo. In this short time span just think about the topic and try to find how you can teach/introduce this topic as per their age in an  innovative way. Start teaching the topic. At last you can humbly request that you have prepared some other topic for demo and seek for panel's permission to show that, if they allow then go on else stop your demo teaching there.
While teaching, keep a mix of both the languages Eng./Hindi. Don't use lecture method for teaching. Try to incorporate real world examples to teach the concepts.😊

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